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सरकारी जमीन पर बने निजी स्कूलों की फीस वृद्धि पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, अभिभावकों की याचिका पर जारी किया नोटिस

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नई दिल्ली। दिल्ली में सरकारी ज़मीन पर बने निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से फीस वृद्धि करने के मामले में अब सुप्रीम कोर्ट का दखल सामने आया है। कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशक को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। यह नोटिस ‘नया समाज पेरेंट्स एसोसिएशन’ द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान जारी किया गया।

दरअसल, याचिका में दिल्ली हाईकोर्ट के उन दो आदेशों को चुनौती दी गई है, जिसमें निजी स्कूलों को शिक्षा निदेशालय (DoE) की पूर्व स्वीकृति के बिना ही फीस बढ़ाने की अनुमति दी गई थी, चाहे वे स्कूल सरकारी ज़मीन पर ही क्यों न बने हों।

क्या है पूरा मामला?

अप्रैल 2024 में दिल्ली हाईकोर्ट की एकल पीठ ने अपने अंतरिम आदेश में कहा था कि गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूलों को फीस बढ़ाने से पहले शिक्षा निदेशालय की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है, भले ही वे सरकारी (DDA) भूमि पर बने हों या नहीं। इस आदेश के बाद कई स्कूलों ने ट्यूशन फीस में 100% तक की बढ़ोतरी कर दी, जिससे अभिभावकों में भारी आक्रोश है।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि बढ़ी हुई फीस को न देने पर छात्रों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जा रही है। इससे अभिभावकों में भय और असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

कानूनी आधार पर उठे सवाल

याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दलील दी कि हाईकोर्ट का यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के ‘मॉडर्न स्कूल बनाम भारत संघ’ और ‘जस्टिस फॉर ऑल बनाम एनसीटी दिल्ली’ जैसे ऐतिहासिक मामलों में दिए गए निर्णयों के स्पष्ट उल्लंघन में है।

इन मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि यदि कोई स्कूल सरकारी ज़मीन पर बना है, तो वह स्कूल शिक्षा निदेशालय की पूर्व स्वीकृति के बिना फीस नहीं बढ़ा सकता। इसके अलावा स्कूल को डीएसई एक्ट 1973 और आवंटन पत्रों में उल्लेखित शर्तों का भी पूरी तरह से पालन करना होगा।

विशेष रूप से ‘मॉडर्न स्कूल’ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि शिक्षा निदेशक यह सुनिश्चित करें कि सरकार द्वारा आवंटित भूमि की शर्तों का सभी निजी स्कूल पालन कर रहे हैं या नहीं। यह प्रक्रिया तीन महीने के भीतर पूरी की जानी थी।

दिल्ली हाईकोर्ट की अपील खारिज, सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

8 अप्रैल 2025 को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकल पीठ के अंतरिम आदेश के खिलाफ दायर अपील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता पूर्व रिट याचिका में पक्षकार नहीं था। इसके बाद पीड़ित अभिभावकों की संस्था नया समाज पेरेंट्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया।

अब आगे क्या?

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई जून 2025 के लिए निर्धारित की है। तब तक दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशक को कोर्ट में यह स्पष्ट करना होगा कि क्या सरकारी ज़मीन पर बने इन स्कूलों द्वारा फीस वृद्धि वैध है और क्या पूर्व नियमों का उल्लंघन हुआ है।

मुख्य मुद्दे:

  • निजी स्कूलों द्वारा ट्यूशन फीस में भारी वृद्धि

  • फीस न देने पर छात्रों के खिलाफ कार्रवाई

  • सरकारी ज़मीन पर बने स्कूलों को DDA और DoE की शर्तों का उल्लंघन

  • सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले पर कड़ा संज्ञान

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