
नयी दिल्ली, 5 नवंबर (भाषा/विशेष): भारत की वित्तीय पारदर्शिता और धनशोधन निरोधी तंत्र (Anti-Money Laundering Framework) को वैश्विक स्तर पर बड़ी मान्यता मिली है। फ्रांस की राजधानी पेरिस में स्थित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में भारत की संपत्ति जब्ती और पुनर्वास प्रणाली की प्रशंसा करते हुए कहा है कि भारत ने “अवैध संपत्तियों को सार्वजनिक उपयोग में परिवर्तित करने” की दिशा में वैश्विक स्तर पर अनुकरणीय पहल की है।
एफएटीएफ की इस रिपोर्ट में भारत के प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate – ED) द्वारा धनशोधन (Money Laundering) के एक महत्वपूर्ण मामले का उल्लेख किया गया है। रिपोर्ट में बताया गया कि ईडी द्वारा जब्त की गई एक विवादित जमीन को अब एक हवाई अड्डे के निर्माण के लिए चिह्नित किया गया है, जो न केवल आर्थिक पुनर्वास का उदाहरण है बल्कि समाज को प्रत्यक्ष लाभ भी पहुंचाएगी।
अवैध धन पर नकेल: भारत का कड़ा कानूनी ढांचा वैश्विक चर्चा में
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने धनशोधन और आर्थिक अपराधों के खिलाफ एक “व्यवस्थित, कानूनी और संस्थागत ढांचा” तैयार किया है, जिसमें प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), बेनामी संपत्ति अधिनियम और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) जैसे कानून प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।
एफएटीएफ ने विशेष रूप से इस बात पर बल दिया कि भारत ने धनशोधन के मामलों में केवल सजा देने या संपत्ति जब्त करने तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि जब्त की गई संपत्तियों के सामाजिक और विकासात्मक उपयोग की नीति भी अपनाई है। यह पहल भारत को उन देशों की सूची में लाती है जो “आर्थिक न्याय को सामाजिक लाभ में बदलने” की दिशा में अग्रसर हैं।
ईडी की कार्रवाई का उदाहरण बना ‘सार्वजनिक हित में संपत्ति पुनर्विनियोग’
एफएटीएफ की रिपोर्ट में ईडी की एक केस स्टडी का उल्लेख करते हुए कहा गया कि “भारत ने एक जब्त की गई भूमि को सार्वजनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण हेतु पुनः चिह्नित किया है।” यह कदम उन देशों के लिए प्रेरणास्रोत बताया गया है जो अवैध रूप से अर्जित संपत्तियों को समाज के हित में उपयोग करने के प्रभावी तरीके खोज रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि यह “संपत्ति पुनर्विनियोग (Asset Repurposing)” की दिशा में एक सफल उदाहरण है, जो यह दर्शाता है कि धनशोधन निरोधी उपाय केवल दंडात्मक नहीं, बल्कि विकासोन्मुख और सामाजिक दृष्टि से उपयोगी भी हो सकते हैं।
एफएटीएफ ने यह भी कहा कि भारत ने अपनी एजेंसियों के माध्यम से वित्तीय अपराधों से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी आधारित निगरानी और केस-मैपिंग सिस्टम विकसित किए हैं, जिससे संदिग्ध लेनदेन का पता लगाना अधिक प्रभावी हुआ है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने सराहा भारत का दृष्टिकोण
एफएटीएफ की इस मान्यता को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह रिपोर्ट भारत की वित्तीय शासन व्यवस्था और नीति पारदर्शिता को एक नए आयाम पर स्थापित करती है।
नई दिल्ली स्थित अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ डॉ. विवेक भटनागर ने कहा,
“एफएटीएफ की इस रिपोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत ने धनशोधन विरोधी उपायों में केवल कठोरता नहीं दिखाई, बल्कि उन्हें सार्वजनिक विकास से जोड़कर एक सकारात्मक मॉडल प्रस्तुत किया है। यह ‘दंड से विकास’ की दिशा में नीति सोच का उदाहरण है।”
एफएटीएफ क्या है और क्यों है महत्वपूर्ण?
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) एक अंतरराष्ट्रीय निगरानी संस्था है, जिसकी स्थापना वर्ष 1989 में की गई थी। इसका उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद के वित्तपोषण (Terror Financing) और अन्य वित्तीय अपराधों की रोकथाम के लिए वैश्विक मानक तय करना है। वर्तमान में 200 से अधिक देश और क्षेत्रीय संगठन एफएटीएफ या उसके सहयोगी निकायों से जुड़े हुए हैं।
भारत वर्ष 2010 में इस संगठन का सदस्य बना और तब से अपने वित्तीय अपराध निरोधक तंत्र को लगातार मजबूत कर रहा है। एफएटीएफ की सदस्यता देशों के लिए अंतरराष्ट्रीय निवेश और वित्तीय विश्वास का भी प्रतीक मानी जाती है।
भारत के प्रयास: कानूनी सख्ती के साथ सामाजिक दृष्टिकोण
पिछले कुछ वर्षों में भारत ने धनशोधन और आर्थिक अपराधों के खिलाफ अभूतपूर्व कार्रवाई की है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), और आयकर विभाग जैसी एजेंसियों ने न केवल हजारों करोड़ की अवैध संपत्तियों को जब्त किया है, बल्कि उनके पुनर्वास को भी सामाजिक उपयोग में लाने के रास्ते तलाशे हैं।
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार,
“भारत की प्राथमिकता केवल दोषियों को सजा देना नहीं, बल्कि आर्थिक संसाधनों को समाज के हित में पुनः प्रयोग करना है। यह वही सोच है जिसने एफएटीएफ को भारत के मॉडल की सराहना करने के लिए प्रेरित किया।”
पिछले एक दशक में ईडी ने 10,000 से अधिक संपत्तियाँ जब्त की हैं, जिनकी अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। इनमें से कई मामलों में जमीन, भवन और अन्य संपत्तियाँ अब सार्वजनिक उपयोग के लिए चिह्नित की जा रही हैं — जैसे विद्यालय, स्वास्थ्य केंद्र या हवाई अड्डा निर्माण।
वैश्विक संदर्भ में भारत की स्थिति मजबूत
एफएटीएफ की यह सराहना ऐसे समय आई है जब भारत जी-20 और ब्रिक्स जैसे बहुपक्षीय मंचों पर वित्तीय पारदर्शिता और जिम्मेदार निवेश की पैरवी कर रहा है।
रिपोर्ट से यह संदेश भी गया है कि भारत अब केवल “पालनकर्ता देश” नहीं, बल्कि नीति-निर्माण में योगदान देने वाला अग्रणी राष्ट्र बन चुका है।
विश्लेषकों का मानना है कि एफएटीएफ की यह रिपोर्ट आने वाले महीनों में भारत की वित्तीय स्थिरता रेटिंग और विदेशी निवेश आकर्षण को भी बढ़ावा देगी।
धनशोधन विरोध से सामाजिक न्याय की दिशा में कदम
एफएटीएफ की मान्यता के साथ यह बात भी स्पष्ट हुई है कि भारत ने आर्थिक अपराधों के खिलाफ लड़ाई को केवल कानून की परिधि में नहीं रखा, बल्कि इसे सामाजिक न्याय और विकास के उपकरण के रूप में देखा है।
जब्त संपत्तियों का उपयोग हवाई अड्डों, अस्पतालों और स्कूलों जैसे सार्वजनिक ढांचों में करना एक ऐसा कदम है जो आर्थिक शुद्धिकरण के साथ-साथ सामाजिक उत्थान का भी माध्यम बनता है।



