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भारत की ऐतिहासिक मेज़बानी: फिलीपींस राष्ट्रपति मार्कोस की पांच दिवसीय भारत यात्रा आज से शुरू

रक्षा, समुद्री सुरक्षा और हिंद-प्रशांत रणनीति होगी केंद्र में; राष्ट्रपति मुर्मू और पीएम मोदी से करेंगे मुलाकात

नई दिल्ली। फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड आर. मार्कोस जूनियर शनिवार, 4 अगस्त को भारत की पांच दिवसीय राजकीय यात्रा पर दिल्ली पहुंच रहे हैं। यह दौरा द्विपक्षीय संबंधों को नई गति देने और विशेष रूप से रक्षा, समुद्री सुरक्षा और व्यापारिक सहयोग को और मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से हो रहा है। बतौर राष्ट्रपति यह उनकी पहली भारत यात्रा है।

विदेश मंत्रालय ने इस दौरे को रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने वाला ऐतिहासिक अवसर करार दिया है, जो भारत-फिलीपींस राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ पर आयोजित हो रही है।


पीएम मोदी से होगी द्विपक्षीय वार्ता

राष्ट्रपति मार्कोस की यात्रा का मुख्य आकर्षण 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता होगा। इस दौरान दोनों नेता रक्षा सहयोग, समुद्री सुरक्षा, व्यापार, प्रौद्योगिकी और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा करेंगे।

मार्कोस भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी भेंट करेंगे और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ भी बैठक निर्धारित है।


उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ पहुंचेगे मार्कोस

इस यात्रा में राष्ट्रपति मार्कोस के साथ उनकी पत्नी और प्रथम महिला लुईस अरनेटा मार्कोस, कई कैबिनेट मंत्री, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और व्यवसायिक प्रतिनिधियों का उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी भारत आ रहा है। वे दिल्ली के अलावा बेंगलुरु में भी विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेंगे, जहां नवाचार, डिजिटल टेक्नोलॉजी और स्टार्टअप पर विशेष ध्यान रहेगा।


भारत-फिलीपींस संबंध: 75 वर्षों की साझेदारी

दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध नवंबर 1949 में स्थापित हुए थे। तब से अब तक रक्षा, व्यापार, कृषि, स्वास्थ्य, दवाएं, समुद्री सुरक्षा और डिजिटल क्षेत्र में मजबूत भागीदारी बनी है। भारत की “एक्ट ईस्ट नीति“, “विजन सागर” और “हिंद-प्रशांत रणनीति” में फिलीपींस एक महत्वपूर्ण साझेदार है।


सांस्कृतिक संबंधों की भी गहराई

भारत और फिलीपींस के रिश्ते केवल रणनीति और व्यापार तक सीमित नहीं हैं। तागालोग भाषा में संस्कृत मूल के दर्जनों शब्द आज भी प्रचलन में हैं। इसके साथ ही लगुना कॉपरप्लेट शिलालेख और अगुसन तारा प्रतिमा जैसी पुरातात्विक खोजें, दोनों देशों के बीच प्राचीन सांस्कृतिक संबंधों की पुष्टि करती हैं।


रक्षा और समुद्री सहयोग की नई दिशा

भारत और फिलीपींस के बीच रक्षा सहयोग तेजी से गहरा हो रहा है। हाल ही में 30 जुलाई को भारतीय नौसेना के तीन युद्धपोत — आईएनएस मैसूर, आईएनएस किल्टन और आईएनएस शक्ति, फिलीपींस दौरे पर पहुंचे और वहां के नौसैनिक पोतों के साथ दक्षिण चीन सागर में संयुक्त गश्त की। यह पहली बार था जब दोनों देशों ने इस रणनीतिक क्षेत्र में साथ गश्त की।

इस पृष्ठभूमि में उम्मीद की जा रही है कि इस दौरे में नई रक्षा संधियों या समझौतों पर हस्ताक्षर हो सकते हैं। गौरतलब है कि फिलीपींस, भारत से पहले ही ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की खरीद कर चुका है, जिसकी गति 3,450 किमी/घंटा तक है।


निगाहें संभावित समझौतों पर

फिलीपींस के विदेश मामलों की सहायक सचिव इवांगेलिन ओंग जिमेनेज-डुक्रोक ने संकेत दिए हैं कि राष्ट्रपति मार्कोस इस यात्रा के दौरान कानून, संस्कृति और तकनीकी सहयोग से जुड़े कई समझौतों पर हस्ताक्षर कर सकते हैं, लेकिन सबसे ज़्यादा ध्यान संभावित रक्षा सहयोग पर टिका है।

राष्ट्रपति मार्कोस की यह यात्रा भारत-फिलीपींस रणनीतिक संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ने वाली है। यह न केवल दोनों देशों के राजनीतिक और आर्थिक रिश्तों को नई दिशा देगी, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा संतुलन को भी और सुदृढ़ करेगी।

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