
दिल्ली में निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस बढ़ोतरी पर सरकार ने अब सख्त रुख अपनाया है। शिक्षा मंत्री आशीष सूद के नेतृत्व में दिल्ली सरकार ने फीस संरचना और खातों की पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं। सरकार ने 11 निजी स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है और एक प्रमुख स्कूल को सरकार के अधीन लेने की सिफारिश भी की गई है।
निरीक्षण और रिपोर्ट का आधार
राजधानी में फीस संबंधी अनियमितताओं को लेकर जिलाधिकारियों और उप-मंडल मजिस्ट्रेटों की एक विशेष समिति बनाई गई थी। इस समिति की रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली हाईकोर्ट ने द्वारका स्थित एक प्रमुख स्कूल की आलोचना की और प्रशासन को कार्रवाई के निर्देश दिए। शिक्षा मंत्री ने बताया कि 11 स्कूलों को प्रथम दृष्टया कुप्रबंधन और अनियमितताओं के आरोप में नोटिस जारी किए गए हैं।
जिन स्कूलों को नोटिस जारी किया गया
नोटिस पाने वाले प्रमुख स्कूलों में शामिल हैं:
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ग्रीन लैंड पब्लिक स्कूल, राजगढ़ कॉलोनी
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गीता बाल भारती सीनियर सेकेंडरी स्कूल, राजगढ़ कॉलोनी
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सरोज मोंटेसरी पब्लिक स्कूल, विवेक विहार
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पुनीत पब्लिक स्कूल, विश्वास नगर
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अर्वाचिन भारती भवन स्कूल, विवेक विहार
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लांसर कॉन्वेंट, प्रशांत विहार
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सृजन स्कूल, मॉडल टाउन
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क्वीन मैरी स्कूल
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गुरु तेग बहादुर स्कूल
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मीरा मॉडल स्कूल, जनकपुरी
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सेंट ग्रेगोरियस स्कूल
द्वारका स्कूल पर विशेष नजर
द्वारका के एक प्रतिष्ठित स्कूल को लेकर कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की। जिला मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने कहा कि “अगर जरूरत पड़े तो इस स्कूल को सरकार अपने अधीन ले।” इसके साथ ही शिक्षा निदेशक और उनकी टीम को स्कूल का निरीक्षण कर वहां दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम, 1973 के पालन की निगरानी करने का निर्देश दिया गया है।
खातों का ऑडिट: एक नई पहल
शिक्षा मंत्री ने यह भी जानकारी दी कि वर्तमान रेखा गुप्ता सरकार ने एसडीएम की मदद से अब तक 650 स्कूलों के खातों का ऑडिट करवाया है। तुलना के लिए उन्होंने बताया कि पिछली आप सरकार ने 10 वर्षों में सिर्फ 750 स्कूलों का ऑडिट कराया था। यह आंकड़ा दर्शाता है कि नई सरकार इस मुद्दे को लेकर कहीं अधिक सक्रिय और गंभीर है।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
सूद ने पूर्ववर्ती केजरीवाल सरकार पर भी आरोप लगाए कि वह केवल मीडिया सुर्खियों के लिए इस मुद्दे को उठाती रही, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। वहीं, वर्तमान सरकार ने कहा है कि वह “छात्रों और अभिभावकों के हितों की रक्षा” के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
दिल्ली में शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। निजी स्कूलों की फीस संरचना पर निगरानी से न केवल अभिभावकों को राहत मिल सकती है, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में संतुलन और न्याय सुनिश्चित हो सकता है।