
देहरादून, 04 अक्टूबर। बच्चों की सुरक्षा और जनस्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए उत्तराखंड सरकार ने प्रतिबंधित कफ सिरप और संदिग्ध औषधियों के खिलाफ प्रदेशभर में बड़ा अभियान छेड़ दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के निर्देश पर खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफ.डी.ए.) और स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त टीमें राज्य के सभी जिलों में मेडिकल स्टोर्स, अस्पतालों की औषधि दुकानों और थोक विक्रेताओं पर लगातार छापेमारी कर रही हैं।
यह कदम हाल ही में राजस्थान और मध्य प्रदेश में खांसी की दवा (कफ सिरप) के सेवन से बच्चों की मौत की घटनाओं के बाद उठाया गया है। राज्य सरकार ने इसे जनस्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर मामला मानते हुए तत्काल प्रभाव से कार्रवाई शुरू की है।
केंद्र की एडवाइजरी लागू, सैंपलिंग अभियान तेज
स्वास्थ्य सचिव एवं आयुक्त, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन डॉ. आर. राजेश कुमार ने सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों को आदेश जारी कर दिए हैं कि भारत सरकार की एडवाइजरी को प्रदेश में तत्काल प्रभाव से लागू कराया जाए।
उन्होंने कहा कि—
“बच्चों की सुरक्षा और जनस्वास्थ्य से बड़ा कोई विषय नहीं हो सकता। दोषपूर्ण या हानिकारक दवा को बाजार से तुरंत हटाना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है।”
डॉ. कुमार ने औषधि निरीक्षकों को निर्देश दिया है कि वे चरणबद्ध तरीके से कफ सिरप के नमूने एकत्र करें और प्रयोगशाला में परीक्षण कराएं। दोष पाए जाने पर संबंधित कंपनी और विक्रेता पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
डॉक्टरों को चेतावनी – प्रतिबंधित दवा न लिखें
डॉ. कुमार ने प्रदेश के सभी चिकित्सकों से अपील की है कि वे बच्चों के लिए प्रतिबंधित कफ सिरप न लिखें। उन्होंने कहा कि—
“यदि डॉक्टर प्रतिबंधित दवाएं लिखेंगे तो मेडिकल स्टोर भी उन्हें बेचेंगे। इसलिए चिकित्सक स्वयं जिम्मेदारी निभाएं और इन सिरपों से परहेज़ करें।”
किन दवाओं पर लगी रोक
भारत सरकार की एडवाइजरी के अनुसार :
- दो वर्ष से कम आयु के बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह किसी भी प्रकार की खांसी या जुकाम की दवा न दें।
- पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों में इन दवाओं का सामान्य उपयोग अनुशंसित नहीं है।
- इन दवाओं का उपयोग केवल विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह, सही खुराक और न्यूनतम अवधि के लिए ही किया जा सकता है।
- विशेष रूप से Dextromethorphan युक्त सिरप और Chlorpheniramine Maleate + Phenylephrine Hydrochloride संयोजन वाली दवाओं को चार वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रतिबंधित किया गया है।
प्रदेशभर में ताबड़तोड़ छापेमारी
अपर आयुक्त, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन एवं ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी के नेतृत्व में राज्यभर में अभियान चल रहा है। उन्होंने स्वयं देहरादून के जोगीवाला और मोहकमपुर क्षेत्रों में औषधि दुकानों का निरीक्षण किया।
जग्गी ने कहा—
“एफ.डी.ए. की टीमें सक्रिय हैं। दोषपूर्ण दवा या नियमों के उल्लंघन पर संबंधित कंपनी या विक्रेता के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”
उन्होंने बताया कि सभी जिलों में औषधि निरीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इस माह के भीतर सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और खुदरा दुकानों से नमूने लेकर प्रयोगशाला जांच कराएं।
मुख्यमंत्री धामी का सख्त संदेश – बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साफ कहा कि बच्चों की सुरक्षा और जनता के स्वास्थ्य से कोई समझौता नहीं होगा। उन्होंने कहा—
“हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि प्रदेश में बिकने वाली हर दवा सुरक्षित और मानक गुणवत्ता वाली हो। बच्चों की सुरक्षा पर किसी भी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
सीएम धामी ने आगे बताया कि सरकार औषधि गुणवत्ता निगरानी प्रणाली को और सुदृढ़ करने की दिशा में काम कर रही है।
स्वास्थ्य मंत्री रावत ने दी चेतावनी
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि राज्य सरकार बच्चों की दवाओं से जुड़ी किसी भी लापरवाही को बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने कहा—
“प्रतिबंधित सिरप न तो लिखा जाएगा और न ही बेचा जाएगा। डॉक्टर और मेडिकल स्टोर दोनों इस नियम का पालन करें। यह कदम बच्चों की सुरक्षा और जनस्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।”
जनता से अपील
एफ.डी.ए. ने राज्यभर में जनता से भी अपील की है कि—
- बच्चों को कोई भी दवा देने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
- बिना प्रिस्क्रिप्शन के किसी भी प्रकार का कफ सिरप छोटे बच्चों को न दें।
- यदि किसी दवा के सेवन से कोई प्रतिकूल प्रभाव दिखे तो तत्काल नजदीकी अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें।
प्रदेशभर में शुरू हुआ यह सख्त अभियान स्पष्ट करता है कि उत्तराखंड सरकार बच्चों की सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं करना चाहती। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने यह संदेश दे दिया है कि स्वास्थ्य से जुड़ी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।