देशफीचर्ड

नई दिल्ली :सहकारी समितियों के समावेशी विकास मॉडल के माध्यम से “सहकार-से-समृद्धि” के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी

खबर को सुने

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बहु-राज्य सहकारी समिति (एमएससीएस) अधिनियम, 2002 के तहत एक राष्ट्रीय स्तर की बहु-राज्य सहकारी निर्यात समिति की स्थापना को मंजूरी दी

इसे बहु-राज्य सहकारी समिति (एमएससीएस) अधिनियम, 2002 के तहत पंजीकृत किया जाएगा

पैक्स से एपेक्स: प्राथमिक से राष्ट्रीय स्तर की सहकारी समितियां, जिनमें प्राथमिक समितियां, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर के संघ और बहु राज्य सहकारी समितियां शामिल हैं, इसकी सदस्य बन सकती हैं। उपनियमों के अनुसार, इन सभी सहकारी समितियों के समिति बोर्ड में उनके निर्वाचित प्रतिनिधि होंगे

यह प्रासंगिक केंद्रीय मंत्रालयों के समर्थन से देश भर की विभिन्न सहकारी समितियों द्वारा उत्पादित अधिशेष वस्तुओं/सेवाओं के निर्यात के लिए एक व्यापक (अम्ब्रेला) संगठन के रूप में कार्य करेगी

सहकारी समितियों के समावेशी विकास मॉडल के माध्यम से “सहकार-से-समृद्धि” के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी

माननीय प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बहु-राज्य सहकारी समिति (एमएससीएस) अधिनियम, 2002 के तहत संबंधित मंत्रालयों, विशेष रूप से विदेश मंत्रालय तथा वाणिज्य विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के समर्थन से एक राष्ट्रीय स्तर की बहु-राज्य सहकारी निर्यात समिति की स्थापना और इसके संवर्धन को मंजूरी दे दी है। प्रासंगिक केंद्रीय मंत्रालय, ‘संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण’ का पालन करते हुए अपनी निर्यात संबंधी नीतियों, योजनाओं और एजेंसियों के माध्यम से सहकारी समितियों और संबंधित संस्थाओं द्वारा उत्पादित सभी वस्तुओं व सेवाओं के निर्यात के लिए प्रस्तावित समिति को समर्थन प्रदान करेंगे।

प्रस्तावित समिति निर्यात करने और इसे बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक (अम्ब्रेला) संगठन के रूप में कार्य करते हुए सहकारी क्षेत्र से निर्यात पर जोर देगी। इससे वैश्विक बाजारों में भारतीय सहकारी समितियों की निर्यात क्षमता को गति देने में मदद मिलेगी। प्रस्तावित समिति ‘संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण’ के माध्यम से सहकारी समितियों को भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों की विभिन्न निर्यात संबंधी योजनाओं और नीतियों का लाभ प्राप्त करने में भी सहायता प्रदान करेगी। यह सहकारी समितियों के समावेशी विकास मॉडल के माध्यम से “सहकार-से-समृद्धि” के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद करेगी, जहां सदस्य, एक ओर अपनी वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात के माध्यम से बेहतर मूल्य प्राप्त करेंगे, वहीँ दूसरी ओर वे समिति द्वारा उत्पन्न अधिशेष से वितरित लाभांश द्वारा भी लाभान्वित होंगे।

प्रस्तावित समिति के माध्यम से होने वाले उच्च निर्यात के कारण सहकारी समितियां, विभिन्न स्तरों पर अपनी वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में वृद्धि करेंगी, जिससे सहकारी क्षेत्र में रोजगार के ज्यादा अवसर पैदा होंगे। वस्तुओं के प्रसंस्करण और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप सेवाओं को बेहतर बनाने से भी रोजगार के अतिरिक्त अवसर पैदा होंगे। सहकारी उत्पादों के निर्यात में वृद्धि, “मेक इन इंडिया” को भी प्रोत्साहन देगी, जिससे अंततः आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा मिलेगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button