
मोदी सरकार के पिछले आठ साल के कार्यकाल के दौरान गेहूं और धान की खरीद में काफी वृद्धि हुई है. मिनिमम सपोर्ट प्राइस यानी Minimum Support Price में बढ़ोतरी और अन्य राज्यों से खरीद करने के कारण यह वृद्धि देखी गई है.
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बारे में जानकारी दी. खाद्यान्न की खरीद और वितरण के लिए नोडल एजेंसी, भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India) द्वारा अधिक मात्रा में गेहूं और धान की खरीद के कारण एमएसपी (Minimum Support Price) के दायरे में आने वाले किसानों की संख्या में भी इजाफा हुआ है.
खाद्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव सुबोध सिंह ने बताया कि ‘विपणन सत्र 2013-14 और 2021-22 के बीच गेहूं और धान की केंद्रीय खरीद में काफी वृद्धि हुई है. खरीद का आधार व्यापक हो गया है और हम अब अधिक राज्यों से अनाज खरीद रहे हैं. एमएसपी में भी इस दौरान काफी वृद्धि हुई है.’ उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश, असम और त्रिपुरा में खरीद हो रही है. उन्होंने कहा कि एफसीआई (Food Corporation of India) ने राजस्थान से धान खरीदना शुरू कर दिया है. साल 2013-14 से गेहूं और धान का उत्पादन भी बढ़ा है.
गेहूं के मामले में खरीद, साल 2013-14 के 250.72 लाख टन से बढ़कर वर्ष 2021-22 में 433.44 लाख टन हो गई. खरीदे गए गेहूं का मूल्य 33,847 करोड़ से बढ़कर 85,604 करोड़ रुपये हो गया. सिंह ने कहा कि साल 2016-17 में 20.47 लाख किसानों के मुकाबले वर्ष 2021-22 में गेहूं उगाने वाले 49.2 लाख किसान लाभान्वित हुए. साल 2016-17 से पहले लाभान्वित होने वाले किसानों की संख्या का आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. गेहूं का एमएसपी (MSP) बढ़ाकर 2,125 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. यह साल 2013-14 में 1,350 रुपये प्रति क्विंटल था. यानी इन आठ सालों में गेहूं का समर्थन मूल्य 57 प्रतिशत बढ़ गया है.
धान की बात करें तो एमएसपी साल 2013-14 के 1,345 रुपये प्रति क्विंटल के मुकाबले 53 प्रतिशत बढ़ गया है. यह फिलहाल 2,060 रुपये प्रति क्विंटल हो गया. साल 2021-22 (अक्टूबर-सितंबर) में धान की खरीद 2013-14 के 475.30 लाख टन के मुकाबले बढ़कर 857 लाख टन हो गई है. साल 2021-22 के दौरान धान किसानों को भुगतान किया गया एमएसपी मूल्य पहले के लगभग 64,000 करोड़ रुपये से बढकर लगभग 1.7 लाख करोड़ रुपये हो गया है. PTI