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उत्तराखंडफीचर्ड

HC के आदेश के बाद भी नहीं मिल रहा इंसाफ, नैनीताल हाई कोर्ट में 1000 से ज्यादा अवमानना याचिकाएं

रिपोर्ट – शेलेन्द्र शेखर कग्रेती  

नैनीताल, 28 मई 2025 : उत्तराखंड में हाई कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं हो रहा है। याचिकाकर्ताओं को इंसाफ के लिए अब खुद हाई कोर्ट में ही अवमानना याचिकाएं दाखिल करनी पड़ रही हैं। स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि नैनीताल हाई कोर्ट में फिलहाल 1000 से अधिक अवमानना याचिकाएं लंबित हैं।

नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड के मुताबिक अवमानना के अधिकांश मामले राज्य सरकार और उसके अधीनस्थ विभागों से संबंधित हैं। जानकारों का कहना है कि यह स्थिति सरकारी तंत्र की न्यायिक आदेशों को लेकर गंभीरता की कमी को दर्शाती है।

अवमानना याचिका दायर करने के बाद मिलता है न्याय

  • उपनल कर्मचारी नियमितीकरण मामला: सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट दोनों से आदेश आने के बावजूद कर्मचारियों को नियमित नहीं किया गया। मजबूरी में अवमानना याचिका दाखिल की गई, जिसके बाद 8 मई को हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया।

  • महिला अधिकारी की पदोन्नति: महिला एवं बाल विकास विभाग की अधिकारी सुजाता को सेवानिवृत्त होने से ठीक एक दिन पहले पदोन्नति मिली। यह न्याय अवमानना नोटिस के बाद ही मिला, जबकि पदोन्नति की फाइल चार साल से लंबित थी।

  • चमोली जिला पंचायत मामला: पूर्व अध्यक्ष रजनी भंडारी को प्रशासक नियुक्त करने का आदेश पहले ही आ चुका था, लेकिन कार्रवाई तब हुई जब हाई कोर्ट ने डीएम चमोली और पंचायती राज सचिव को अवमानना नोटिस जारी किया।

संजीव चतुर्वेदी केस में 10 बार जारी हुआ नोटिस

चर्चित आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी से जुड़े मामले में केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को अब तक 10 बार अवमानना नोटिस भेजे जा चुके हैं।

  • 21 मई 2025 को हाई कोर्ट ने कैबिनेट सचिव, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव समेत कई अधिकारियों को नोटिस जारी किया।

  • इससे पहले दिल्ली और नैनीताल हाई कोर्ट कई बार केंद्र के सचिवों को नोटिस भेज चुके हैं।

हाई कोर्ट में लंबित हैं 57 हजार से ज्यादा केस

नैनीताल हाई कोर्ट में अभी कुल 57,000 से अधिक मामले लंबित हैं। इनमें शामिल हैं:

  • 1154 अवमानना याचिकाएं

  • 9312 सेवा से जुड़े मामले

  • 4159 आदेशों को चुनौती देने वाली याचिकाएं

  • 797 जनहित याचिकाएं

हाई कोर्ट के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली का कहना है,

“अधिकांश अवमानना याचिकाएं सरकारी अधिकारियों की लापरवाही या जानबूझकर की गई देरी के कारण दाखिल होती हैं। कोर्ट के आदेशों का समय से पालन न होने से आम जनता को मानसिक, आर्थिक और न्यायिक नुकसान उठाना पड़ता है।”

केंद्र सरकार भी चिंतित

केंद्रीय कानून मंत्री ने 3 जनवरी 2025 को सभी मंत्रालयों और विभागों को पत्र जारी कर देशभर में लंबित 1.45 लाख अवमानना याचिकाओं पर चिंता जताई थी। मंत्रालयों को निर्देश दिए गए कि न्यायिक आदेशों का समयबद्ध अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए तंत्र विकसित करें।

समाधान की जरूरत

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकारें न्यायिक आदेशों के अनुपालन के लिए संस्थागत व्यवस्था विकसित करें तो अदालतों पर बोझ कम होगा, जनता को समय पर न्याय मिलेगा और न्यायपालिका पर जनता का विश्वास और मजबूत होगा।

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