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तमिलनाडु में रचा गया चिकित्सा इतिहास: दो अस्पतालों ने एक साथ लीवर अदला-बदली कर दो मरीजों की बचाई जान

कोयंबटूर | 18 जुलाई: तमिलनाडु के कोयंबटूर में चिकित्सा विज्ञान ने एक नया मील का पत्थर पार किया है। पहली बार, दो अलग-अलग अस्पतालों — जीईएम अस्पताल और श्री रामकृष्ण अस्पताल — ने आपसी तालमेल से एक साथ लीवर ट्रांसप्लांट की जटिल प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम देकर दो गंभीर रोगियों को नई ज़िंदगी दी है।

यह “लीवर की अदला-बदली” (swap liver transplant) प्रक्रिया 3 जुलाई को सम्पन्न हुई, जिसकी जानकारी शुक्रवार को साझा की गई।


क्या है लीवर की अदला-बदली?

आमतौर पर, जब किसी रोगी को लीवर ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है, तो उसका कोई करीबी रिश्तेदार डोनर बनता है। लेकिन कई बार ब्लड ग्रुप या अन्य जैविक असंगतियों के कारण यह संभव नहीं हो पाता।
ऐसे मामलों में “स्वैप ट्रांसप्लांट” एक समाधान बनकर उभरता है, जिसमें दो मरीजों के परिजन आपसी सहमति से क्रॉस डोनेशन करते हैं।

इस प्रक्रिया में नैतिक, कानूनी और चिकित्सकीय समन्वय की आवश्यकता होती है, जिसे इन दोनों अस्पतालों ने मिलकर सफलतापूर्वक अंजाम दिया।


किसके साथ हुआ यह असाधारण ऑपरेशन?

  • रोगी 1: 59 वर्षीय पुरुष, निवासी सलेम — भर्ती: जीईएम अस्पताल
  • रोगी 2: 53 वर्षीय पुरुष, निवासी तिरुप्पुर — भर्ती: श्री रामकृष्ण अस्पताल

दोनों की पत्नियाँ डोनर बनना चाहती थीं, लेकिन ब्लड ग्रुप मेल नहीं खा रहे थे। इसके बाद डॉक्टरों ने क्रॉस-मैचिंग कर दोनों मरीजों के बीच लीवर डोनर अदला-बदली की योजना बनाई, जो पूरी तरह सफल रही।


अस्पतालों के बीच बना ऐतिहासिक तालमेल

जीईएम अस्पताल के संस्थापक-अध्यक्ष डॉ. सी. पलानीवेलु ने बताया,

“इस प्रक्रिया के लिए हमें तमिलनाडु राज्य अंग प्रत्यारोपण प्राधिकरण (TRANSTAN) से विशेष अनुमति लेनी पड़ी। दोनों अस्पतालों के बीच रियल-टाइम सर्जिकल कम्युनिकेशन और सटीक समय समन्वय इस ऑपरेशन की सफलता के मूल में रहा।”

वहीं श्री रामकृष्ण अस्पताल के प्रबंध न्यासी आर. सुंदर ने इसे

तमिलनाडु की चिकित्सा उत्कृष्टता का प्रतीक” बताया।

दोनों अस्पतालों की ट्रांसप्लांट टीमों ने समानांतर रूप से ऑपरेशन कर यह सुनिश्चित किया कि दोनों रोगियों को प्रत्यारोपित अंग सुरक्षित व सही समय पर मिल सकें।


कानूनी मान्यता और चिकित्सा मानदंड

अस्पतालों ने जानकारी दी कि यह सर्जरी मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम, 2014 के तहत की गई, जिसमें अदला-बदली प्रत्यारोपण को अनुमति प्राप्त है।
हालांकि, इंटर-हॉस्पिटल कोऑर्डिनेशन इस कानून के अंतर्गत अपेक्षाकृत नया और चुनौतीपूर्ण कदम था, जिसे इन अस्पतालों ने न सिर्फ पूरा किया, बल्कि सफल मॉडल भी प्रस्तुत किया।


विशेषज्ञों की राय

डॉ. पी. प्रवीण राज, निदेशक, जीईएम हॉस्पिटल ने कहा,

“इस सर्जरी से न केवल दो जानें बचीं, बल्कि यह देश के अन्य अस्पतालों के लिए भी एक सुरक्षित और व्यावहारिक उदाहरण बन सकता है। भविष्य में इस मॉडल को अपनाकर और मरीजों को जीवनदान दिया जा सकता है।”


मरीजों की हालत में सुधार

दोनों मरीजों की हालत स्थिर है और वे तेजी से रिकवर कर रहे हैं। डॉक्टरों और परिजनों ने इस अद्वितीय पहल के लिए अस्पताल प्रबंधन और मेडिकल टीम का आभार जताया है।

यह चिकित्सा उपलब्धि न केवल तमिलनाडु, बल्कि पूरे भारत के लिए एक प्रेरणादायक मिसाल है। दो अस्पतालों की संयुक्त कोशिश, तकनीकी सटीकता और मानवीय संवेदना ने मिलकर दिखा दिया कि अगर इच्छाशक्ति और तालमेल हो, तो असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।

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