
देहरादून। भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम में अक्सर सुर्खियों में रहने वाले भारतीय वन सेवा (IFS) के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) ने देश के तीन शीर्ष अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी कर दिया है। इनमें भारत सरकार के कैबिनेट सचिव टी. वी. सोमनाथन, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा और केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) के सचिव पी. डैनियल शामिल हैं।
प्रकरण दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में संजीव चतुर्वेदी के मुख्य सतर्कता अधिकारी (CVO) रहते हुए किए गए भ्रष्टाचार विरोधी जांचों से जुड़ा है। चतुर्वेदी इन जांचों की अंतिम रिपोर्ट की जानकारी मांग रहे हैं, लेकिन CAT के आदेश के बावजूद यह सूचना उन्हें उपलब्ध नहीं कराई गई। इससे नाराज़ होकर उन्होंने दिसंबर 2024 में CAT की नैनीताल सर्किट बेंच में अवमानना याचिका दायर की थी।
CAT का पुराना आदेश और हाईकोर्ट की टिप्पणी
गौरतलब है कि CAT ने फरवरी 2023 में ही चतुर्वेदी को जांच रिपोर्ट से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराने का आदेश दे दिया था। लेकिन AIIMS प्रशासन ने इस आदेश के खिलाफ नैनीताल हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसके चलते CAT का आदेश स्थगित कर दिया गया था। बाद में मई 2024 में हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह स्थगन आदेश कैबिनेट सचिव, स्वास्थ्य सचिव और CVC सचिव पर लागू नहीं होता।
इसके बावजूद जब संबंधित दस्तावेज चतुर्वेदी को उपलब्ध नहीं कराए गए, तो उन्होंने तीनों अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की मांग की। CAT ने अब इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए इन अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 9 जुलाई को निर्धारित की गई है।
कैबिनेट सचिव को नोटिस: सेवा इतिहास में दुर्लभ मामला
यह मामला इसलिए भी उल्लेखनीय है क्योंकि संभवतः यह पहली बार है जब किसी कैबिनेट सचिव स्तर के अधिकारी को सेवा संबंधी प्रकरण में अवमानना नोटिस जारी हुआ है। यह घटनाक्रम देश की नौकरशाही में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जा रहा है।
संजीव चतुर्वेदी का आरोप: पारदर्शिता की सजा मिली
संजीव चतुर्वेदी, जिन्हें भ्रष्टाचार विरोधी कार्यों के लिए रेमन मैगसेसे पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है, का आरोप है कि उन्होंने AIIMS में रहते हुए कई महत्वपूर्ण मामलों की निष्पक्ष जांच की थी। इसके बदले में उनकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (ACR) में जानबूझकर कम ग्रेडिंग दी गई, और उनके द्वारा मांगी गई सूचनाएं withheld कर दी गईं।
यह मामला केवल एक अफसर की व्यक्तिगत लड़ाई नहीं, बल्कि देश की नौकरशाही व्यवस्था में पारदर्शिता और नियमों के पालन की परीक्षा बन चुका है। 9 जुलाई की अगली सुनवाई में CAT का रुख इस बात पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा कि भविष्य में अधिकारियों को न्यायिक आदेशों की अवहेलना कितनी महंगी पड़ सकती है।