
सैन फ्रांसिस्को : अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को लेकर एक बड़ा और विवादास्पद फैसला लिया है। इस निर्णय के तहत हार्वर्ड में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के नए एडमिशन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है। यह घोषणा अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (DHS) की सचिव क्रिस्टी नोएम द्वारा की गई।
सचिव नोएम ने कहा कि यह कदम हार्वर्ड द्वारा बार-बार संघीय कानूनों का उल्लंघन करने के कारण उठाया गया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा, “अंतरराष्ट्रीय छात्रों का नामांकन एक विशेषाधिकार है, अधिकार नहीं। यह विशेषाधिकार हार्वर्ड द्वारा गंवा दिया गया है।”
उन्होंने आगे कहा कि अप्रैल में हार्वर्ड को मिलने वाले 2.2 बिलियन डॉलर के संघीय अनुदान को निलंबित कर दिया गया था, क्योंकि विश्वविद्यालय ने विविधता, समानता और समावेशन (DEI) कार्यक्रमों को समाप्त करने तथा वैचारिक आधार पर अंतरराष्ट्रीय छात्रों के मूल्यांकन की मांगों को ठुकरा दिया था।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2023 के शरदकालीन सत्र तक हार्वर्ड की छात्र संख्या में 27% से अधिक छात्र अंतरराष्ट्रीय थे। ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड पर यह भी आरोप लगाया है कि वह कैंपस में हिंसा, यहूदी विरोधी भावनाओं को बढ़ावा देने और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ संबंध रखने के लिए जिम्मेदार है।
इस निर्णय के चलते हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विज़िटर प्रोग्राम (SEVP) प्रमाणन भी रद्द कर दिया गया है, जिससे विदेशी छात्रों का अमेरिका में कानूनी रूप से अध्ययन करना असंभव हो जाएगा।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की प्रतिक्रिया
ट्रंप प्रशासन के इस कदम की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने कड़ी आलोचना की है। विश्वविद्यालय ने इसे “अवैध और भेदभावपूर्ण” करार दिया है और कहा है कि वह अपने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के साथ मजबूती से खड़ा रहेगा। हार्वर्ड ने यह भी संकेत दिया है कि वह इस निर्णय को अदालत में चुनौती देने पर विचार कर रहा है।
विश्वविद्यालय ने कहा, “हम 140 से अधिक देशों से आए अपने छात्रों के लिए प्रतिबद्ध हैं और किसी भी तरह की राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई को कानूनी रूप से चुनौती देंगे।”