
जब दुनिया में भू-राजनीतिक तनाव चरम पर हो, अर्थव्यवस्थाएं डगमगा रही हों, और भविष्य धुंधला दिखाई दे रहा हो — ऐसे वक्त में निवेशक जिस एक चीज़ की ओर सबसे पहले दौड़ लगाते हैं, वो है सोना।
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने रूस से निकलने वाले एल्युमीनियम, कॉपर और निकल पर नया टैरिफ लगाया। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में उथल-पुथल शुरू हो गई, और सोने की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गईं।
सोना एक बार फिर चर्चा में है — लेकिन सिर्फ कीमतों की वजह से नहीं, बल्कि इस सवाल को लेकर भी: दुनिया सोने की दीवानी क्यों है?
📈 सोने की कीमतों में उबाल: क्यों और कैसे?
2023 से अब तक, वैश्विक बाजारों में सोने की कीमतों में 20% से ज्यादा की बढ़ोतरी हो चुकी है। केवल मार्च 2024 में ही इसकी कीमत 7% बढ़ गई थी।
रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन-अमेरिका ट्रेड टेंशन और मध्य पूर्व में अस्थिरता जैसे मुद्दों ने दुनिया भर के निवेशकों को जोखिम से बचाव के विकल्प तलाशने पर मजबूर किया है — और उनके लिए पहली पसंद है: सोना।
Morningstar जैसी फर्मों का अनुमान है कि ये बुल रन 2029 तक जारी रह सकता है।
💰 सोना: सिर्फ धातु नहीं, सुरक्षित पनाहगाह
आर्थिक मंदी, शेयर बाजार की गिरावट या करेंसी की अवमूल्यता — सोना हमेशा निवेशकों को एक “सेफ हेवन” की तरह आकर्षित करता आया है।
“सोना न तो किसी देश का करंसी कंट्रोल झेलता है, न ही डिफॉल्ट का डर होता है। इसकी चमक राजनीतिक सीमाओं से परे है।” — निवेश विशेषज्ञ, दिल्ली स्थित वेल्थ फर्म
🔍 इतिहास गवाह है: संकट के समय सोना ही काम आया
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1971 में जब अमेरिका ने डॉलर को सोने से अलग कर दिया, तब भी सोना 6 गुना तक बढ़ गया।
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2008 की वैश्विक मंदी के दौरान सोना 1000 डॉलर प्रति औंस से ऊपर गया।
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कोविड-19 महामारी में जब बाजार चरमरा गया, सोना 2000 डॉलर के पार चला गया।
भारत के लिए ये दीवानगी और भी गहरी है।
🇮🇳 भारत और सोना: एक अनोखा रिश्ता
भारत न केवल दुनिया का सबसे बड़ा सोने का उपभोक्ता है, बल्कि इसकी संस्कृति, परंपराएं और अर्थव्यवस्था तक सोने से जुड़ी हुई हैं।
1991 में, जब भारत दिवालिया होने की कगार पर था, तो सरकार ने अपने 67 टन सोना गिरवी रखा था। लंदन एयरपोर्ट के तंग तहखानों में पड़ा ये सोना हमारी आर्थिक इज़्ज़त को बचाने का आखिरी सहारा बना।
“हमने सोना गिरवी रखा, क्योंकि दुनिया को उस पर सबसे ज़्यादा भरोसा था।” – पूर्व वित्त सचिव का बयान
🌐 दुनिया की दौलत: किसके पास कितना सोना?
देश | सरकारी सोना (टन में) |
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अमेरिका | 8,133 टन |
जर्मनी | 3,352 टन |
इटली | 2,452 टन |
भारत | 812 टन |
रूस | 2,331 टन |
इसके अलावा, भारतीय घरों में अनुमानित 25,000 टन सोना है — जो दुनिया में सबसे ज़्यादा है।
🔬 क्या खास है सोने में?
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नष्ट न होने वाली धातु: सोना न तो जंग खाता है, न खराब होता है।
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अद्भुत गुण: अत्यंत मल्लिएबल (मुलायम) और डक्टाइल (खींचने योग्य) है।
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रसायनिक रूप से निष्क्रिय: इससे बने आभूषण सदियों तक वैसे ही रहते हैं।
और यही गुण इसे भविष्य के लिए एक टिकाऊ संपत्ति बनाते हैं।
🌍 क्या सोने का विकल्प मुमकिन है?
आज क्रिप्टोकरेंसी, डिजिटल गोल्ड और अन्य विकल्प मौजूद हैं, लेकिन फिर भी असली सोने की चमक कोई नहीं छीन पाया।
IMF हो या केंद्रीय बैंक, सभी अपने रिजर्व में सोने की हिस्सेदारी बढ़ा रहे हैं।
“जब सब कुछ अस्थिर हो, तो स्थिरता की तलाश इंसान को सोने तक ही लाती है।” — फेडरल रिज़र्व रिपोर्ट
❓ क्या कभी सोना सस्ता होगा?
कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर वैश्विक स्तर पर शांति लौटे, डॉलर मजबूत हो और क्रूड सस्ता हो, तो सोने की चमक थोड़ी फीकी पड़ सकती है।
लेकिन तब भी, इतिहास यही कहता है: सोने को गहराई से गिरने में सदियाँ लगती हैं — और लौटने में कुछ ही साल।
सोना सिर्फ धातु नहीं है — ये डर, भरोसे, संस्कृति और निवेश की एक पूरी कहानी है।
जब भी दुनिया डगमगाती है, इंसान उसकी चमक में स्थिरता खोजता है। शायद यही वजह है कि सोने की दीवानगी कभी थमती नहीं — ये समय के साथ और गहरी होती जाती है।