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New Delhi: आखिर नए संसद भवन के उद्घाटन पर ही मोदी सरकार ने क्यों खेला ‘सेंगोल’ का दांव?

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नई दिल्ली: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करने जा रहे हैं. इसी बीच कई राजनीतिक दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है. इसमें आरजेडी, एनसीपी और समाजवादी पार्टी का नाम भी जुड़ गया है. विपक्ष को मात देने के लिए मोदी सरकार ने नया दांव चला है. मोदी सरकार ने भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का नाम आगे बढ़ा कर कांग्रेस को घेरने की कोशिश की है. इसके केंद्र में हैं

आखिर सेंगोल शब्द कहाँ से आया? सेंगोल तमिल शब्द सेम्मई’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘नीतिपरायणता’. सेंगोल एक राजदंड होता है. चांदी के सेंगोल पर सोने की परत होती है. इसके ऊपर भगवान शिव के वाहन नंदी महाराज विराजमान होते हैं. सेंगोल पांच फीट लंबा है. इसे तमिलनाडु के एक प्रमुख धार्मिक मठ के मुख्य पुरोहितों का आशीर्वाद प्राप्त है. इसी सेंगोल को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लोकसभा में अध्यक्ष के आसन के पास प्रमुखता से स्थापित किया जाएगा. सेंगोल विशेष अवसरों पर बाहर ले जाया जाएगा, ताकि जनता भी इसके महत्व को जान सके.

एक समारोह के बाद ये राजदंड इलाहाबाद संग्रहालय यानी आनंद भवन में रख दिया गया था. यह नेहरू परिवार का पैतृक निवास है. 1960 के दशक में इसे वहीं के संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया. 1975 में शंकराचार्य ने अपनी किताब में इसका जिक्र किया. इसके बाद 1978 में, कांची मठ के ‘महा पेरियवा’ ने इस घटना को एक शिष्य को बताया. बाद में इसे घटना को प्रकाशित भी किया गया था. यह वाकया पिछले साल तमिलनाडु में आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर एक बार फिर सामने आया.

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