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सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज फातिमा बीवी को पद्मश्री सम्मान, पढ़ें प्रेरक कहानी

सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज और तमिलनाडु की पूर्व राज्यपाल फातिमा बीवी को मरणोपरांत पद्म भूषण सम्मान दिया गया है. नवंबर 2023 में फातिमा बीवी ने 96 साल की उम्र में अंतिम सांस ली थी. इनका नाम न्यायपालिका ही नहीं बल्कि देश के इतिहास में भी स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है. पहली महिला जज फातिमा बीवी का करियर शानदार रहा. इस दौरान अपनी कार्यशैली से वह देशभर में महिलाओं के लिए एक आदर्श बन गईं. उनका जीवन महिलाओं के लिए एक नजीर बन गया है. फातिमा बीवी तमिलनाडु की पूर्व राज्यपाल भी रह चुकी हैं.

1997 में वह तमिलनाडु की राज्यपाल बनीं थीं. इस पद पर काम करते हुए उन्होंने राजनीतिक क्षेत्र पर भी अपनी छाप छोड़ी. राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान तमिलनाडु विश्वविद्यालय के चांसलर के रूप में भी उन्होंने काम किया. फातिमा बीवी हायर कोर्ट में नियुक्त होने वाली पहली मुस्लिम महिला जज भी थीं. इसके साथ ही एशिया में एक देश के सर्वोच्च न्यायालय की पहली महिला जज का खिताब भी उन्हीं के नाम है.

आपको बताते चलते है कि फातिमा बीवी का जन्म अप्रैल 1927 में केरल के पतनमतिट्टा जिले के पंडालम में हुआ था. उन्होंने कैथोलिकेट हाई स्कूल से अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी की और तिरुवनंतपुरम के यूनिवर्सिटी कॉलेज में दाखिला लेकर बीएससी की डिग्री हासिल की. इसके बाद उन्होंने यहां के विधि डिग्री कॉलेज से लॉ की पढ़ाई पूरी की और 1950 में वकील के रूप में पंजीकरण कराया. इसके बाद साल 1958 में फातिमा बीवी अपनी मेहनत से केरल अधीनस्थ न्यायिक सेवा में मुंसिफ के पद पर नियुक्त हो गईं. साल 1968 में उन्हें अधीनस्थ न्यायाधीश बना दिया गया. इसके चार साल बाद वह 1972 में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) बनीं.

वहीं 1974 में उनकी नियुक्ति जिला जज के तौर पर कर दी गई. 1980 में उन्हें आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के न्यायिक सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया. इसके बाद 1983 में बीवी को केरल हाईकोर्ट में प्रमोट किया गया. इसके अगले ही साल उन्हें स्थायी जज बना दिया गया. न्याय के क्षेत्र में लंबा काम करने के बाद फातिमा बीवी 1989 में सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज बनीं. 1992 में वह सेवानिवृत्त हुईं थीं. लेकिन रिटायरमेंट के बाद उन्हें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का सदस्य बनाया गया.

 

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