
देहरादून : हरिद्वार में बहुचर्चित भूमि घोटाले की जांच अब अपने अंतिम चरण में पहुँच चुकी है। जांच अधिकारी आईएएस रणवीर सिंह चौहान द्वारा अब तक 24 अधिकारियों और कर्मचारियों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं। दस्तावेजों और बयानों के आधार पर रिपोर्ट को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया चल रही है और संभावना है कि अगले सप्ताह रिपोर्ट शासन को सौंप दी जाएगी।
38 बीघा ज़मीन, 54 करोड़ का सौदा
घोटाला हरिद्वार के सराय क्षेत्र में नगर निगम द्वारा खरीदी गई लगभग 38 बीघा जमीन से जुड़ा है, जिसकी कीमत 54 करोड़ रुपये बताई जा रही है। मामले की गंभीरता को देखते हुए शासन ने इसकी जांच की जिम्मेदारी वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रणवीर सिंह चौहान को सौंपी थी।
चौहान ने न केवल मौके पर जाकर भूमि का निरीक्षण किया, बल्कि लैंड यूज चेंज से जुड़े सभी दस्तावेजों, खरीद प्रक्रिया और स्वीकृतियों की गहराई से जांच की है। रिपोर्ट के अनुसार, भूमि खरीद की पूरी प्रक्रिया में कई स्तरों पर अनियमितताएं पाई गई हैं।
लैंड यूज चेंज बना संदेह का केंद्र
जांच में सबसे बड़ा सवाल भूमि के लैंड यूज चेंज (धारा 143) की टाइमिंग को लेकर उठ रहा है। आरोप है कि खरीद से ठीक पहले ही भूमि का उपयोग बदल दिया गया, जिससे जमीन का मूल्य कई गुना बढ़ गया। इससे संदेह गहराया है कि इस प्रक्रिया में सुनियोजित तरीके से दाम बढ़ाने की साजिश रची गई।
बड़े अधिकारियों पर भी गिर सकती है गाज
जांच में यह भी संकेत मिल रहे हैं कि रिपोर्ट में कुछ वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका पर भी प्रश्नचिह्न लग सकता है। अब तक चार अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है और आगे और भी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।
नगर निगम और जिला प्रशासन की भूमिका पर सवाल
जांच के दौरान नगर निगम और जिला प्रशासन के अधिकारियों से विस्तार से पूछताछ की गई है। साथ ही, जमीन बेचने वालों से भी जानकारी जुटाई गई है। निगम द्वारा जमीन खरीदने के प्रस्ताव, अनुमोदन और भुगतान प्रक्रिया को विशेष रूप से परखा गया है।
जल्द आ सकती है पूरी रिपोर्ट
आईएएस रणवीर सिंह चौहान द्वारा तकनीकी और कानूनी पहलुओं की जांच लगभग पूरी कर ली गई है। अब रिपोर्ट का अंतिम सारांश तय नियमों और प्रक्रिया के अनुरूप तैयार किया जा रहा है। माना जा रहा है कि एक हफ्ते के भीतर रिपोर्ट सरकार को सौंप दी जाएगी, जिसके बाद इस मामले में और बड़े खुलासे हो सकते हैं।