
पंचकूला : हरियाणा के पंचकूला में मंगलवार सुबह एक खौफनाक मंजर सामने आया जिसने पूरे शहर को हिला दिया। सेक्टर-27 के एक मकान के बाहर खड़ी कार में एक ही परिवार के सात लोगों के शव मिलने से सनसनी फैल गई। शुरुआती जांच में यह सामूहिक आत्महत्या का मामला लग रहा है, लेकिन घटनास्थल की स्थिति और परिवार की पृष्ठभूमि इसे एक रहस्यमयी मोड़ दे रही है।
कार में मौत का मंज़र, शीशों पर सफेद तौलिए
घटना स्थल पर पहुंची पुलिस और फॉरेंसिक टीमों को एक सफेद रंग की कार मिली, जिसके सभी शीशों पर सफेद तौलिए लटकाए गए थे ताकि कोई अंदर न देख सके। जब मोहल्ले के युवक पुनीत राणा को शक हुआ और उन्होंने कार में झांका, तो जो देखा वो किसी क्राइम थ्रिलर से कम नहीं था —
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अंदर सात लोग बेसुध पड़े थे
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कुछ के मुंह से झाग और उल्टी के निशान
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दवाइयों के पत्ते बिखरे हुए
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ड्राइवर सीट पर प्रवीण मित्तल हल्की सांसों में ज़िंदा, लेकिन बेहद कमजोर
पुनीत ने जैसे-तैसे दरवाजा खोला और पुलिस को सूचना दी।
मृतकों में पूरा परिवार शामिल
कार में मरे पाए गए लोग थे —
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प्रवीण मित्तल (42) , उनके पिता देशराज मित्तल , मां ,पत्नी , और तीन छोटे बच्चे
बताया जा रहा है कि यह परिवार उत्तराखंड के देहरादून से पंचकूला में धार्मिक कथा सुनने आया था।
प्रवीण मित्तल का खुलासा – “मैं कर्ज में डूबा हूं, अब नहीं बचूंगा”
मोहल्ले के युवक पुनीत के मुताबिक, जब उन्होंने मित्तल से बात की तो उन्होंने कहा,
“मैं बहुत कर्ज में हूं… अब 5 मिनट में मरने वाला हूं… किसी ने मेरी मदद नहीं की…”
कार में दवाइयां, उल्टी और बदबू – क्या था ज़हर का इस्तेमाल?
पुलिस ने कार से दवाइयों के अवशेष, उल्टियों के नमूने और एक सुसाइड नोट बरामद किया है।
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फॉरेंसिक विशेषज्ञों के अनुसार, कार के अंदर क्लोज्ड सर्कुलेशन में जहरीला गैस या केमिकल भी हो सकता है
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सभी शीशे बंद, एसी बंद, और अंदर की बदबू आत्महत्या के तौर-तरीकों से मेल खा रही है
देहरादून से मोहाली तक – कर्ज की कहानी
प्रवीण मित्तल की ज़िंदगी की कहानी दिल दहला देने वाली है:
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कभी हिमाचल के बद्दी में स्क्रैप फैक्ट्री थी
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कर्ज बढ़ा, बैंक ने फैक्ट्री और संपत्तियां जब्त कर लीं
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15 से 20 करोड़ रुपये तक का कर्ज
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देहरादून में किराए पर रहे, फिर खरड़ (मोहाली) में शिफ्ट हुए
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अंतिम दिनों में पंचकूला के सकेतड़ी गांव में टैक्सी ड्राइवर की नौकरी
देहरादून की गवाह – “3 साल पहले चुपचाप चले गए थे”
देहरादून में उनके पडोसी ने बताया :
“वे बहुत कम बोलते थे… किसी को भी अपनी परेशानी नहीं बताते थे… एनजीओ में काम करते थे… बच्चे भी वहीं पढ़ते थे…”
20 करोड़ का कर्ज और आत्मसमर्पण की पटकथा
पुलिस ने बताया कि प्रवीण ने सुसाइड नोट में लिखा है कि उसका अंतिम संस्कार ममेरा भाई संदीप अग्रवाल करे।
संकेत हैं कि ये आत्महत्या पूरे परिवार की सामूहिक सहमति से की गई हो सकती है।
इस घटना ने 2018 के दिल्ली के बुराड़ी कांड की यादें ताजा कर दी हैं, जहां एक ही परिवार के 11 सदस्यों ने सामूहिक आत्महत्या की थी।
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वहां धार्मिक मानसिकता
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यहां आर्थिक आत्मघात
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क्या सचमुच यह सामूहिक आत्महत्या थी या इसके पीछे कोई गहरी साजिश?
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क्या परिवार पर कोई मानसिक दबाव था?
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क्या कर्जदाताओं की धमकी या शोषण की वजह से यह कदम उठाया गया?
पुलिस अब देहरादून जाकर परिवार की बैकग्राउंड खंगाल रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और फॉरेंसिक जांच के बाद ही स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो पाएगी।
यह सिर्फ एक आत्महत्या नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम पर सवाल है —
क्या आर्थिक संकट इतने गहरे हो सकते हैं कि कोई पूरा परिवार मौत को गले लगा ले?
क्या समाज, रिश्तेदार, और व्यवस्था समय रहते किसी को बचा सकती है?