
देहरादून, 15 अगस्त 2025 (नेशनल डेस्क): स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राजभवन देहरादून में एक गरिमामय स्वल्पाहार कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने शिरकत की। कार्यक्रम में देशभक्ति और संविधान के प्रति सम्मान की भावना स्पष्ट झलकी।
इस मौके पर राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने दो महत्वपूर्ण पुस्तकों का विमोचन किया। पहली पुस्तक ‘संवैधानिक नेतृत्व प्रेरक अभिव्यक्ति’ है, जिसे राजभवन सूचना परिसर ने प्रकाशित किया है। इस पुस्तक में राज्यपाल के विधानसभा सत्रों में दिए गए अभिभाषण, राज्य स्थापना दिवस और गणतंत्र दिवस के भाषणों को संकलित किया गया है, जो संवैधानिक मूल्यों, राज्य के विकास और जनकल्याण की दिशा में मार्गदर्शक मानी जा रही है।
दूसरी पुस्तक ‘एक शाम सैनिकों के नाम – 2025’ शीर्षक वाली कॉफी टेबल बुक है, जिसे उत्तराखण्ड सैनिक पुनर्वास संस्था ने तैयार किया है। इसमें इस वर्ष आयोजित दो महत्वपूर्ण आयोजनों—14 जनवरी 2025 को राजभवन देहरादून में हुए सशस्त्र बल वयोवृद्ध दिवस समारोह और 11 जून 2025 को राजभवन नैनीताल में हुए ‘एक शाम सैनिकों के नाम’ कार्यक्रम—की झलकियां और गतिविधियां दस्तावेजीकृत की गई हैं। इस बुक का उद्देश्य इन आयोजनों की स्मृतियों को संजोकर भविष्य के लिए संरक्षित करना है।
कार्यक्रम में विशिष्ट उपस्थिति
स्वल्पाहार कार्यक्रम में पूर्व राज्यपाल महाराष्ट्र एवं पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड श्री भगत सिंह कोश्यारी, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, कैबिनेट मंत्री श्री गणेश जोशी, श्री सुबोध उनियाल और श्री सतपाल महाराज सहित कई सांसद, विधायक, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और अन्य विशिष्टजन उपस्थित रहे।
राज्यपाल ने इस अवसर पर कहा कि ‘संवैधानिक नेतृत्व प्रेरक अभिव्यक्ति’ न केवल उनके वक्तव्यों का संकलन है, बल्कि यह राज्य के लोकतांत्रिक मूल्यों, नीतिगत प्राथमिकताओं और जनता की आकांक्षाओं का दस्तावेज भी है। उन्होंने इसे वर्तमान और भविष्य के जनप्रतिनिधियों के लिए प्रेरणादायक बताया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ‘एक शाम सैनिकों के नाम’ कॉफी टेबल बुक को राज्य के सैन्य इतिहास और सैनिक सम्मान की परंपरा को संरक्षित करने वाला महत्वपूर्ण प्रकाशन बताया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की मिट्टी वीरता, बलिदान और देशभक्ति की प्रतीक है, और यह पुस्तक आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी।
सैनिक सम्मान की परंपरा
कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों ने उत्तराखण्ड के सैनिकों के बलिदान और योगदान का स्मरण किया। राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने कहा कि सैनिक सम्मान की यह परंपरा केवल आयोजनों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे राज्य की नीतियों और जनचेतना का अभिन्न हिस्सा बनाया जाएगा।
संस्कृति और संवैधानिक मूल्यों का संगम
राजभवन का यह स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम केवल औपचारिक आयोजन नहीं था, बल्कि इसमें संवैधानिक मूल्यों, सांस्कृतिक गौरव और देशभक्ति का अद्वितीय संगम देखने को मिला। दोनों पुस्तकों के विमोचन ने इस समारोह को ऐतिहासिक महत्व प्रदान किया।