
पटना | विशेष संवाददाता : राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के भीतर चल रही पारिवारिक और राजनीतिक उठापटक अब खुले मंच पर सामने आ चुकी है। 25 मई की शाम तेज प्रताप यादव के फेसबुक अकाउंट से आया एक व्यक्तिगत पोस्ट, और उसके बाद 8 घंटे के भीतर आए दो भावुक सोशल मीडिया संदेशों ने लालू परिवार के भीतर गंभीर टकराव की तस्वीर को उजागर कर दिया है।
12 साल पुराने रिश्ते की स्वीकारोक्ति, फिर अकाउंट हैक का दावा
25 मई की शाम तेज प्रताप यादव ने एक पोस्ट में अनुष्का यादव नामक युवती से 12 साल पुराने रिश्ते की बात स्वीकार की। हालांकि कुछ देर बाद पोस्ट डिलीट हो गया और तेज प्रताप ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर दावा किया कि उनका फेसबुक अकाउंट हैक हो गया था। लेकिन तब तक मीडिया और सोशल मीडिया में भूचाल आ चुका था।
26 मई: तस्वीरें वायरल, लालू यादव का कड़ा फैसला
अगले ही दिन 26 मई को सोशल मीडिया पर तेज प्रताप और अनुष्का की दर्जनों तस्वीरें और वीडियो वायरल हो गईं। उसी दिन राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने एक सार्वजनिक पोस्ट के जरिए तेज प्रताप को 6 साल के लिए पार्टी और परिवार से निष्कासित कर दिया।
तेजस्वी यादव ने भी मीडिया को बयान देते हुए कहा –
“मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता।”
एक सप्ताह बाद टूटी चुप्पी: दो भावुक पोस्ट, गहरे संकेत
एक सप्ताह की खामोशी के बाद 1 जून को तेज प्रताप यादव ने दो भावुक पोस्ट कर पूरे घटनाक्रम में नई ऊर्जा भर दी।
पहला पोस्ट: माता-पिता के नाम भावुक अपील
“मेरे प्यारे मम्मी-पापा… भगवान से बढ़कर हैं आप। मुझे न पद चाहिए न प्रतिष्ठा… सिर्फ आपका आशीर्वाद।”
“पापा, अगर आप नहीं होते तो न पार्टी होती, न वो जयचंद जो मुझे राजनीति से हटाना चाहते हैं।”
तेज प्रताप ने साफ कहा कि उन्हें राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं, केवल माता-पिता का स्नेह और भरोसा चाहिए।
दूसरा पोस्ट: तेजस्वी को अर्जुन, खुद को कृष्ण बताया
“मेरे अर्जुन से मुझे अलग करने का सपना देखने वालों, तुम कभी सफल नहीं हो सकोगे। कृष्ण की सेना तो ले सकते हो, पर कृष्ण को नहीं।”
तेज प्रताप ने तेजस्वी को भाई और साथी बताते हुए कहा कि वो अब भी उनके साथ हैं, लेकिन साजिशों के पर्दाफाश की चेतावनी भी दे डाली।
कौन है वो ‘जयचंद’?
तेज प्रताप के दोनों पोस्टों में बार-बार ‘जयचंद’ शब्द का उल्लेख हुआ है, जो संकेत करता है कि परिवार के भीतर या पार्टी के भीतर ही किसी ‘विश्वासघात’ करने वाले व्यक्ति को लेकर तेज प्रताप गंभीर नाराजगी रखते हैं।
तेज प्रताप के नज़रिए से ‘जयचंद’
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संजय यादव — तेजस्वी के खास सलाहकार और राज्यसभा सांसद।
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तेज प्रताप ने पहले भी संजय यादव पर आरोप लगाया था कि वो उन्हें बदनाम करवाते हैं और भाइयों में दरार पैदा कर रहे हैं।
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अन्य वरिष्ठ नेता — जैसे जगदानंद सिंह, रामचंद्र पूर्वे से भी तेज प्रताप के लंबे समय से रिश्ते तनावपूर्ण हैं।
तेजस्वी के नज़रिए से ‘जयचंद’
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आकाश यादव — अनुष्का यादव के भाई और छात्र राजद के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष।
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माना जा रहा है कि तेज प्रताप और अनुष्का के रिश्ते के कारण तेजस्वी और परिवार पर राजनीतिक दबाव बना।
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लालू यादव के भतीजे नागेंद्र राय ने इसे ‘हनी ट्रैप’ बताते हुए अनुष्का परिवार पर साजिश रचने का आरोप लगाया।
राजनीतिक और पारिवारिक संदेश क्या है?
इन पोस्टों से साफ है कि तेज प्रताप परिवार से बाहर होकर अपने अस्तित्व को खतरे में देख रहे हैं।
वो तेजस्वी को अपना ‘अर्जुन’ बताकर एक भावनात्मक वापसी की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन साथ ही साजिश करने वालों को चेतावनी भी दे रहे हैं।
यह भी स्पष्ट है कि लालू परिवार का यह विवाद अब सिर्फ निजी नहीं रहा —
यह राजद की आंतरिक राजनीति, नेतृत्व संघर्ष और सत्ता समीकरणों का सीधा प्रतिबिंब बन चुका है।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इस टकराव से पार्टी को बिहार में बड़ा नुकसान हो सकता है, खासकर 2025 विधानसभा चुनाव से पहले।
वहीं जनता में इस विवाद को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं हैं — कुछ तेज प्रताप को ‘शिकार’ मान रहे हैं, तो कुछ इसे अत्यधिक व्यक्तिगत राजनीति का नमूना बता रहे हैं।
तेज प्रताप के शब्दों में जो तल्खी है और ‘साजिश बेनकाब’ करने की बात है, वह इस बात का संकेत है कि आने वाले दिनों में राजद के भीतर और ज्यादा उथल-पुथल देखने को मिल सकती है।
लालू परिवार की यह सियासी गाथा अब केवल निजी मामला नहीं रह गया — यह बिहार की राजनीति का केंद्रीय विमर्श बन चुका है।