
नई दिल्ली। संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होने जा रहा है और उससे पहले ही सियासी पारा चढ़ गया है। एक ओर मोदी सरकार सत्र को लेकर अपनी रणनीति को अंतिम रूप दे रही है, वहीं दूसरी ओर इंडिया गठबंधन सरकार को घेरने की तैयारी में जुट गया है। विपक्ष इस बार केंद्र के खिलाफ ‘सात तीरों वाला चक्रव्यूह’ रच रहा है, जिनके सहारे वह सरकार को घेरने की पूरी योजना बना चुका है।
शनिवार शाम गठबंधन दलों की बैठक में इन मुद्दों पर रणनीतिक चर्चा हुई और तय किया गया कि कैसे इन सवालों को संसद में मजबूती से उठाया जाएगा। जानिए वो सात अहम मुद्दे जिन पर मानसून सत्र में सरकार से जवाब मांगने की तैयारी है:
1. बिहार में मतदाता सूची सत्यापन पर सवाल
बिहार में चल रही वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन प्रक्रिया को लेकर विपक्ष ने पहले से ही मोर्चा खोल रखा है। आरोप है कि इस प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव है। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था, जहां से चुनाव आयोग को फिलहाल राहत मिल गई, लेकिन विपक्ष का कहना है कि इससे मतदाता अधिकारों का हनन हो सकता है।
2. बिहार की कानून व्यवस्था पर तीखा वार
चुनाव से ठीक पहले बिहार में बढ़ते अपराध और प्रशासनिक विफलताओं को विपक्ष एक बड़ा मुद्दा बना रहा है। कांग्रेस और अन्य दल लगातार नीतीश सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं कि राज्य में सुशासन है या ‘जंगल राज’ लौट आया है।
3. चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न
राहुल गांधी और ममता बनर्जी जैसे विपक्षी नेताओं ने चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर सीधे आरोप लगाए हैं। राहुल ने आयोग को “बीजेपी की कठपुतली” कहा, जबकि ममता ने यहां तक कहा कि चुनाव आयोग भाजपा की “दलाली” कर रहा है।
4. पहलगाम आतंकी हमला और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर सवाल
विपक्ष का कहना है कि पहलगाम हमले में दोषियों पर अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई। कांग्रेस का आरोप है कि “26 मांगों का सिंदूर उजाड़ने वालों” को सजा देने का वादा अधूरा है। इस मुद्दे पर संसद में जोरदार बहस की तैयारी है।
5. लड़ाकू विमानों के नुकसान और विदेश नीति पर उठेंगे सवाल
ऑपरेशन सिंदूर में सैन्य संसाधनों, विशेषकर लड़ाकू विमानों के नुकसान को लेकर विपक्ष जवाब चाहता है। राहुल गांधी पहले ही विदेश मंत्री एस. जयशंकर की चुप्पी पर सवाल उठा चुके हैं। विपक्ष इस मुद्दे को राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़कर प्रस्तुत कर सकता है।
6. अहमदाबाद एअर इंडिया हादसा
एअर इंडिया की उड़ान के हादसे पर विपक्ष सरकार से पूछेगा कि जांच कहां तक पहुंची है। प्रारंभिक रिपोर्ट पर उठ रहे सवालों को आधार बनाकर विपक्ष पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग करेगा।
7. जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा कब?
यह एक पुराना लेकिन संवेदनशील मुद्दा है। महागठबंधन जम्मू-कश्मीर को पुनः पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को सत्र में प्रमुखता से उठाने की रणनीति बना रहा है। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ने अब तक सिर्फ वादे किए, जमीन पर कुछ नहीं किया।
क्या बोले विपक्षी रणनीतिकार?
बैठक में शामिल एक वरिष्ठ विपक्षी नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, “यह सत्र सिर्फ बहस का नहीं बल्कि जवाबदारी तय करने का है। जनता जानना चाहती है कि इतने गंभीर मुद्दों पर सरकार की नीति और नीयत क्या है।”
सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार
हालांकि सरकार की ओर से इन मुद्दों पर औपचारिक प्रतिक्रिया अभी नहीं आई है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि बीजेपी और सहयोगी दल इन मुद्दों पर अपना पक्ष मजबूती से रखने के लिए तैयार हैं। संसदीय कार्य मंत्री ने साफ किया है कि सरकार हर सवाल का जवाब देगी लेकिन हंगामे की राजनीति नहीं चलेगी।
अब देखना यह होगा कि मानसून सत्र जनहित में मुद्दों पर आधारित बहस के लिए जाना जाएगा या फिर राजनीतिक शोरगुल में खो जाएगा।