
भोपाल : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज आईसीएआर-केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान (CIAE), भोपाल का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने संस्थान की वैज्ञानिक उपलब्धियों की सराहना करते हुए देश के किसानों, विशेषकर छोटे और सीमांत किसानों तक मशीनीकरण तकनीकों के तेज़ी से प्रसार की आवश्यकता पर बल दिया।
चौहान ने संस्थान के वैज्ञानिकों, कर्मचारियों और छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि यंत्रों और किसान-हितैषी तकनीकों का विकास तभी सार्थक है जब वे खेतों तक पहुंचे। उन्होंने छोटे इंजन या वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों से संचालित मशीनों, सेंसर आधारित प्रणालियों और इनोवेटिव मॉडल्स पर काम करने की आवश्यकता बताई ताकि समावेशी विकास सुनिश्चित किया जा सके।
उन्होंने देश भर में किसान मेलों और मशीनीकरण पर हितधारकों के साथ विचार-विमर्श सत्रों के आयोजन की भी इच्छा जताई, जिससे आने वाले समय में भारत के कृषि मशीनीकरण का स्पष्ट रोडमैप तैयार हो सके।
मंत्री ने ICAR-CIAE द्वारा हाल के वर्षों में किए गए कार्यों की समीक्षा करते हुए कहा कि AICRP नेटवर्क के माध्यम से क्षेत्रीय आवश्यकताओं को समझकर, मशीनीकरण की 10 वर्षों की दीर्घकालिक योजना बनाई जाए। यह योजना विकसित भारत अभियान 2047 की दिशा में सार्थक भूमिका निभा सकती है।
चौहान ने संस्थान द्वारा विकसित ट्रैक्टर चालित प्लास्टिक मल्च लेयर-कम-प्लांटर यंत्र का अवलोकन किया। इस यंत्र की कार्य क्षमता 0.2 हेक्टेयर/घंटा, कार्य कुशलता 74%, और लागत बचत ₹6600/हेक्टेयर (43%) है। यह मशीन एक ही समय में ऊँची क्यारियां बनाना, ड्रिप लाइन बिछाना, प्लास्टिक मल्च डालना और बीज बोने जैसे जटिल कार्यों को कुशलतापूर्वक करती है।
इस यंत्र के माध्यम से मैन्युअल रूप से होने वाले श्रम को 29 मानव-दिन/हेक्टेयर से घटाकर 3 दिन कर दिया गया है। इसकी कुल लागत ₹3 लाख और संचालन लागत ₹1500/घंटा है, जबकि पे-बैक पीरियड मात्र 1.9 वर्ष है। यह यंत्र खरबूजा, ककड़ी, स्वीट कॉर्न, भिंडी, हरी मटर जैसी उच्च मूल्य वाली फसलों के लिए उपयुक्त है।
चौहान ने “लैब से लैंड तक” तकनीक हस्तांतरण, खाद्य सुरक्षा और मृदा स्वास्थ्य के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि इस दिशा में संस्थानों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने प्राकृतिक खेती, सस्टेनेबल मशीनीकरण, और एग्री इनोवेशन को भविष्य की कृषि का आधार बताया।
इस अवसर पर कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव और ICAR महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट, उप महानिदेशक (इंजीनियरिंग) डॉ. एस.एन. झा, उप महानिदेशक (विस्तार) डॉ. ए.के. नायक, ICAR-CIAE निदेशक डॉ. सी.आर. मेहता, और ICAR-IISS, भोपाल निदेशक डॉ. एम. मोहंती भी मौजूद थे।
केंद्रीय मंत्री का यह दौरा न केवल ICAR-CIAE के वैज्ञानिक योगदान को मान्यता देने वाला रहा, बल्कि यह भारत को कृषि तकनीकों में आत्मनिर्भर बनाने और स्मार्ट मशीनीकरण आधारित भविष्य की ओर अग्रसर करने का संकेत भी है।