
देहरादून : उत्तराखंड में अल्पसंख्यकों की छात्रवृत्ति योजनाओं में व्यापक गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है। केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए पत्र में राज्य के 91 संस्थानों को संदिग्ध सूची में रखा गया है, जिसके बाद शासन और प्रशासन में हड़कंप मच गया है।
भारत सरकार की ओर से राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि इन संस्थानों की जांच कर दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए और अगर कोई अधिकारी इसमें शामिल पाया जाता है तो तत्काल निलंबन की कार्रवाई की जाए।
क्या है मामला?
राज्य में 2021-22 और 2022-23 के दौरान अल्पसंख्यक छात्रों के लिए केंद्र पोषित छात्रवृत्ति योजनाओं में अनियमितता की शिकायतें सामने आई थीं। इन योजनाओं का बजट केंद्र सरकार द्वारा दिया जाता है, और इन्हें राज्यों के माध्यम से क्रियान्वित किया जाता है। अब तक की जानकारी के अनुसार, देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और उधम सिंह नगर ज़िलों के कई संस्थान मुख्य जांच के दायरे में हैं।
जांच समिति का गठन
उत्तराखंड के अल्पसंख्यक कल्याण सचिव धीराज सिंह ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र जारी कर एसडीएम की अध्यक्षता में जांच समिति बनाने के निर्देश दिए हैं। इस समिति में खंड शिक्षा अधिकारी और सहायक अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी भी शामिल होंगे।
समिति को एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट राज्य शासन को सौंपनी है।
देशव्यापी जांच का हिस्सा
यह घोटाला सिर्फ उत्तराखंड तक सीमित नहीं है। भारत सरकार अन्य राज्यों को भी ऐसे ही संदिग्ध संस्थानों की सूची भेज चुकी है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि छात्रवृत्ति योजनाओं के क्रियान्वयन में राष्ट्रव्यापी स्तर पर अनियमितताएं सामने आ रही हैं।