
देहरादून, 03 सितंबर 2025 (सू.वि):उत्तराखंड के दिव्यांगजनों के लिए एक बड़ी राहत की शुरुआत बुधवार को हुई। राजधानी देहरादून स्थित गांधी शताब्दी जिला चिकित्सालय में राज्य का पहला जिला दिव्यांगजन पुनर्वास केंद्र (District Disability Rehabilitation Centre – DDRC) औपचारिक रूप से शुरू हो गया। इस केंद्र की सबसे खास बात यह है कि यहां दिव्यांगजनों को प्रमाण पत्र, यूडीआईडी कार्ड, आधार पंजीकरण/अपडेट, फिजियोथेरेपी, काउंसलिंग, इलाज, कृत्रिम अंग, श्रवण यंत्र और रोजगार प्रशिक्षण जैसी सभी सेवाएं एक ही छत के नीचे उपलब्ध होंगी।
उद्घाटन समारोह में जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी
इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता रायपुर विधायक खजानदास ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में महापौर सौरभ थपलियाल और विशिष्ट अतिथि के तौर पर देहरादून पार्षद सुनीता मंजखोला शामिल हुए। जिलाधिकारी सविन बंसल और मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह ने भी कार्यक्रम में भाग लिया।
महापौर सौरभ थपलियाल ने जिला प्रशासन की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह केंद्र दिव्यांगजनों के लिए “वन-स्टॉप सुविधा” साबित होगा। उन्होंने कहा कि सशक्त दिव्यांग ही सशक्त समाज की नींव रख सकते हैं और इस तरह की पहलें सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर हैं।
हेल्पलाइन नंबर और उपकरण वितरण
उद्घाटन के दौरान महापौर ने डीडीआरसी का हेल्पलाइन नंबर 8077386815 भी लॉन्च किया। कार्यक्रम में मौजूद दिव्यांग अनिल कुमार ढौंडियाल और नीरज बिष्ट को कान की मशीनें प्रदान की गईं। इसके अलावा विभिन्न शैक्षिक संस्थानों में दिव्यांग छात्रों की कला प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
विधायक खजानदास का संबोधन
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विधायक खजानदास ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस पहल को याद किया, जिसमें शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को ‘दिव्यांग’ नाम दिया गया। उन्होंने कहा कि यह नाम बदलना केवल शब्दों का परिवर्तन नहीं बल्कि दिव्यांगजनों को समाज में गरिमा और आत्मविश्वास प्रदान करने का एक कदम था।
उन्होंने कहा कि देहरादून प्रशासन ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए राज्य का पहला आधुनिक दिव्यांग पुनर्वास केंद्र स्थापित कर प्रशंसनीय कार्य किया है। साथ ही, उन्होंने खाली पड़े जिला नेत्र चिकित्सालय भवन के सदुपयोग को भी सराहा।
जिलाधिकारी सविन बंसल की पहल
डीएम सविन बंसल ने बताया कि समाज की लगभग 20 प्रतिशत आबादी किसी न किसी प्रकार की दिव्यांगता से प्रभावित है। ऐसे में दिव्यांगजनों के जीवन को सरल और आत्मनिर्भर बनाना प्रशासन की जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि डीडीआरसी केंद्र में दिव्यांगजन प्रमाण पत्र, यूडीआईडी कार्ड, आधार पंजीकरण, फिजियोथेरेपी, मनोवैज्ञानिक परामर्श, कृत्रिम अंग, उपकरण और रोजगार प्रशिक्षण जैसी सभी सेवाओं का लाभ एक ही स्थान पर उठा सकेंगे। इसके अलावा, दिव्यांगजनों के आवागमन के लिए एक स्पेशल डेडिकेटेड वाहन भी तैनात किया गया है।
केंद्र की विशेषताएं और सेवाएं
गांधी शताब्दी जिला चिकित्सालय में संचालित यह पुनर्वास केंद्र समाज कल्याण विभाग की निगरानी में नोडल एजेंसी डीडीआरसी देहरादून (मुनीशाभा सेवा सदन एवं पुनर्वास संस्थान) द्वारा संचालित किया जाएगा।
केंद्र की प्रमुख सेवाएं:
- प्रमाणन सेवाएं – दिव्यांग प्रमाण पत्र और यूडीआईडी कार्ड।
- स्वास्थ्य सुविधाएं – फिजियोथेरेपी, स्पीच थेरेपी, ऑक्युपेशनल थेरेपी, मनोवैज्ञानिक परामर्श।
- सहायक उपकरण – व्हीलचेयर, ट्राईसाइकिल, श्रवण यंत्र, कृत्रिम अंग आदि।
- कौशल विकास एवं रोजगार प्रशिक्षण – स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता की दिशा में पहल।
- शैक्षिक व सामाजिक परामर्श – विशेष शिक्षा और सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम।
केंद्र की बहु-विषयी (मल्टी-डिसिप्लिनरी) टीम में फिजियोथेरेपिस्ट, स्पीच थेरेपिस्ट, ऑक्युपेशनल थेरेपिस्ट और काउंसलर शामिल होंगे, जो दिव्यांगजनों के समग्र पुनर्वास को सुनिश्चित करेंगे।
भविष्य की योजना और निरीक्षण
उद्घाटन समारोह के बाद अतिथियों और अधिकारियों ने डीडीआरसी केंद्र में वाक चिकित्सा कक्ष, अर्ली इंटरवेंशन रूम, फिजियोथेरेपी कक्ष और स्पीच थेरेपी यूनिट का निरीक्षण किया।
मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह ने कहा कि केंद्र को और बेहतर बनाने के लिए आने वाले समय में जनसुझावों को प्राथमिकता दी जाएगी।
देहरादून में उत्तराखंड का पहला जिला दिव्यांगजन पुनर्वास केंद्र (डीडीआरसी) खुलना राज्य के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। यह न सिर्फ दिव्यांगजनों के लिए जीवन को आसान बनाएगा, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और मुख्यधारा से जुड़ा हुआ नागरिक बनाने की दिशा में अहम योगदान देगा।
समाज में दिव्यांगजनों की भागीदारी बढ़ाना और उन्हें हर सुविधा एक ही छत के नीचे उपलब्ध कराना मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की समावेशी विकास नीति को धरातल पर उतारने का एक मजबूत कदम है। आने वाले समय में यह केंद्र हजारों दिव्यांगजनों के लिए नई उम्मीद और नई ऊर्जा का स्रोत बनेगा।