
नैनीताल : उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य में नए स्टोन क्रशरों के लाइसेंस जारी करने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। यह निर्णय देहरादून जिले के तीन किसानों की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया गया। साथ ही न्यायालय ने राज्य सरकार को छह सप्ताह के भीतर स्टोन क्रशरों के लिए पृथक जोन घोषित करने का निर्देश भी दिया है।
वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ ने यह फैसला महेन्द्र सिंह, बलवंत सिंह और राजवीर कौर द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया। याचिकाकर्ताओं ने बताया कि वे पेशेवर किसान हैं और उनके गांव में सरकार द्वारा 2023 में एक स्टोन क्रशर की अनुमति दी गई थी, जो नियमों का पालन नहीं कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि स्टोन क्रशर के कारण वायु और ध्वनि प्रदूषण बढ़ गया है, जिससे उनकी खेती और उत्पादकता पर प्रतिकूल असर पड़ा है।
किसानों ने यह भी बताया कि यह स्टोन क्रशर राजाजी टाइगर रिजर्व से मात्र 3.5 किमी की दूरी पर स्थित है, जिसके लिए आवश्यक वन्य जीव बोर्ड की अनुमति नहीं ली गई है। अदालत ने इसे गंभीर पर्यावरणीय लापरवाही मानते हुए राज्य सरकार को फटकार लगाई।
न्यायालय ने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने पहले ही वर्ष 2023 में नए स्टोन क्रशर जोन घोषित करने की सिफारिश की थी, लेकिन राज्य सरकार ने अब तक इस पर अमल नहीं किया है। अदालत ने यह भी कहा कि स्टोन क्रशरों को लेकर लगातार जनहित याचिकाएं आ रही हैं, लेकिन सरकार इस मुद्दे पर उदासीन बनी हुई है।
उच्च न्यायालय ने स्पष्ट निर्देश दिए कि अब राज्य में नए स्टोन क्रशर लाइसेंस तब तक जारी नहीं किए जाएंगे जब तक कि उद्योग और खनिकर्म विभाग छह महीने के भीतर स्पष्ट रूप से नया स्टोन क्रशर जोन घोषित नहीं करता।