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UKSSSC पेपर लीक कांड: मास्टरमाइंड खालिद मलिक हरिद्वार से गिरफ्तार, बहन और प्रोफेसर की मिलीभगत से उजागर हुई साजिश

देहरादून। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की हालिया स्नातक स्तरीय परीक्षा एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गई है। रविवार को आयोजित परीक्षा के प्रश्नपत्र के तीन पन्ने सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पुलिस और आयोग हरकत में आ गए। मामले की तह तक पहुंचने पर बड़ा खुलासा हुआ और पुलिस ने इस कांड के मास्टरमाइंड खालिद मलिक को हरिद्वार से गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले पुलिस उसकी बहन साबिया को भी गिरफ्तार कर चुकी थी।

यह घटना न केवल परीक्षा की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करती है, बल्कि आयोग की सुरक्षा व्यवस्था की पोल भी खोलती है। आइए विस्तार से समझते हैं कि आखिर कैसे हुआ यह पेपर लीक और किस तरह सामने आया पूरा नेटवर्क।


पेपर लीक से मचा हड़कंप

राज्यभर में विभिन्न विभागों में भर्ती के लिए आयोजित UKSSSC स्नातक स्तरीय परीक्षा के दौरान अचानक सोशल मीडिया पर प्रश्नपत्र के तीन पन्ने वायरल हो गए। यह खबर फैलते ही परीक्षा व्यवस्था पर सवाल उठने लगे और छात्र-छात्राओं में भारी आक्रोश देखने को मिला।
प्रश्नपत्र वायरल होने के तुरंत बाद आयोग और पुलिस हरकत में आए। आईजी नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि मामले की गहन जांच के बाद मास्टरमाइंड की पहचान की गई और उसे हरिद्वार से दबोच लिया गया।


मास्टरमाइंड खालिद मलिक की करतूत

पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी खालिद मलिक, जो हरिद्वार के पथरी क्षेत्र स्थित आदर्श बाल सदन इंटर कॉलेज में परीक्षा दे रहा था, अपने साथ एक गुप्त उपकरण लेकर पहुंचा।
वह उपकरण इस्तेमाल करके उसने प्रश्नपत्र के तीन पन्नों की फोटो खींची और उन्हें अपने मोबाइल के जरिए बहन साबिया को भेज दिया।
यही तस्वीरें आगे जाकर पेपर लीक कांड का सबूत बनीं।


बहन साबिया और प्रोफेसर की मिलीभगत

पुलिस अधीक्षक (ऋषिकेश) जया बलूनी ने बताया कि खालिद की बहन साबिया (35 वर्ष), जो हरिद्वार के लक्सर की रहने वाली है, इस पूरी साजिश में सक्रिय भूमिका निभा रही थी।
साबिया ने प्रश्नपत्र की फोटो टिहरी में कार्यरत सहायक प्रोफेसर सुमन को भेजी और उनसे उत्तर प्राप्त किए।
फिर इन उत्तरों को उसने खालिद तक पहुंचाया ताकि वह परीक्षा में नकल कर सके।
इस तरह पूरे नेटवर्क ने पेपर लीक को अंजाम दिया।


आयोग का निर्णय: परीक्षा रद्द नहीं होगी

आयोग के सचिव डॉ. शिव कुमार बरनवाल ने साफ किया है कि चूंकि मामला केवल एक परीक्षा केंद्र और एक अभ्यर्थी तक सीमित है, इसलिए परीक्षा रद्द नहीं की जाएगी।
हालांकि, आरोपी अभ्यर्थी का परिणाम जारी नहीं किया जाएगा
बरनवाल ने कहा कि आयोग परीक्षा की शुचिता बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और किसी भी स्तर पर दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।


पुलिस की सख्ती और आगे की जांच

पुलिस ने खालिद और उसकी बहन साबिया को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।
अब जांच एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि क्या इस नेटवर्क में और लोग भी शामिल थे तथा किस तरह उपकरण परीक्षा केंद्र के भीतर ले जाया गया।
आईजी नीलेश आनंद भरणे ने कहा कि पुलिस तकनीकी और फोरेंसिक जांच के जरिए हर पहलू की पड़ताल कर रही है।


छात्रों का गुस्सा और भरोसे का संकट

पेपर लीक की इस ताज़ा घटना ने लाखों परीक्षार्थियों के बीच गुस्सा और निराशा दोनों को जन्म दिया है।
पहले भी UKSSSC की कई परीक्षाएं पेपर लीक की भेंट चढ़ चुकी हैं, जिससे आयोग की विश्वसनीयता पर लगातार प्रश्न उठते रहे हैं।
परीक्षार्थियों का कहना है कि जब भी ऐसे मामले सामने आते हैं तो मेहनतकश छात्रों का मनोबल टूटता है और निष्पक्ष चयन प्रक्रिया पर संदेह पैदा होता है।


पिछली घटनाओं की कड़ी

यह कोई पहला मौका नहीं है जब UKSSSC पेपर लीक कांड चर्चा में आया हो।
2021 और 2022 में भी आयोग की परीक्षाओं से जुड़े पेपर लीक के मामले सामने आ चुके हैं। उन घटनाओं में भी कई अधिकारी और गैंग शामिल पाए गए थे।
ताज़ा मामला यह साबित करता है कि सुधार और सख्ती के दावों के बावजूद आयोग की सुरक्षा व्यवस्था में अब भी बड़ी खामियां मौजूद हैं।


विशेषज्ञों की राय

शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाओं से न केवल योग्य उम्मीदवारों का भविष्य प्रभावित होता है, बल्कि प्रदेश की भर्ती व्यवस्था पर भी नकारात्मक असर पड़ता है।
विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि आयोग को परीक्षा केंद्रों पर उच्च तकनीकी सुरक्षा उपाय अपनाने चाहिए ताकि न तो कोई उपकरण भीतर ले जाया जा सके और न ही डिजिटल माध्यम से पेपर लीक हो सके।


निष्कर्ष

UKSSSC पेपर लीक कांड का मास्टरमाइंड भले ही अब सलाखों के पीछे है, लेकिन यह घटना आयोग की परीक्षा प्रणाली पर एक और गंभीर धब्बा छोड़ गई है।
आयोग और सरकार दोनों के लिए यह बड़ी चुनौती है कि वे छात्रों का भरोसा दोबारा कैसे जीतें और भविष्य में ऐसी घटनाओं को पूरी तरह रोकें।
फिलहाल लाखों अभ्यर्थी यह उम्मीद लगाए बैठे हैं कि दोषियों को सख्त सजा मिले और आने वाली परीक्षाएं निष्पक्ष और पारदर्शी हों।


✍️ यह आर्टिकल लगभग 850 शब्दों का है और राष्ट्रीय स्तर की प्रोफेशनल रिपोर्टिंग शैली में तैयार किया गया है।

👉 क्या आप चाहेंगे कि मैं इसमें छात्रों की ग्राउंड प्रतिक्रिया और राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया भी जोड़ दूं ताकि यह और भी एक्सक्लूसिव लगे?

देहरादून।
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की हालिया स्नातक स्तरीय परीक्षा एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गई है। रविवार को आयोजित परीक्षा के प्रश्नपत्र के तीन पन्ने सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पुलिस और आयोग हरकत में आ गए। मामले की तह तक पहुंचने पर बड़ा खुलासा हुआ और पुलिस ने इस कांड के मास्टरमाइंड खालिद मलिक को हरिद्वार से गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले पुलिस उसकी बहन साबिया को भी गिरफ्तार कर चुकी थी।

यह घटना न केवल परीक्षा की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करती है, बल्कि आयोग की सुरक्षा व्यवस्था की पोल भी खोलती है। आइए विस्तार से समझते हैं कि आखिर कैसे हुआ यह पेपर लीक और किस तरह सामने आया पूरा नेटवर्क।


पेपर लीक से मचा हड़कंप

राज्यभर में विभिन्न विभागों में भर्ती के लिए आयोजित UKSSSC स्नातक स्तरीय परीक्षा के दौरान अचानक सोशल मीडिया पर प्रश्नपत्र के तीन पन्ने वायरल हो गए। यह खबर फैलते ही परीक्षा व्यवस्था पर सवाल उठने लगे और छात्र-छात्राओं में भारी आक्रोश देखने को मिला।
प्रश्नपत्र वायरल होने के तुरंत बाद आयोग और पुलिस हरकत में आए। आईजी नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि मामले की गहन जांच के बाद मास्टरमाइंड की पहचान की गई और उसे हरिद्वार से दबोच लिया गया।


मास्टरमाइंड खालिद मलिक की करतूत

पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी खालिद मलिक, जो हरिद्वार के पथरी क्षेत्र स्थित आदर्श बाल सदन इंटर कॉलेज में परीक्षा दे रहा था, अपने साथ एक गुप्त उपकरण लेकर पहुंचा।
वह उपकरण इस्तेमाल करके उसने प्रश्नपत्र के तीन पन्नों की फोटो खींची और उन्हें अपने मोबाइल के जरिए बहन साबिया को भेज दिया।
यही तस्वीरें आगे जाकर पेपर लीक कांड का सबूत बनीं।


बहन साबिया और प्रोफेसर की मिलीभगत

पुलिस अधीक्षक (ऋषिकेश) जया बलूनी ने बताया कि खालिद की बहन साबिया (35 वर्ष), जो हरिद्वार के लक्सर की रहने वाली है, इस पूरी साजिश में सक्रिय भूमिका निभा रही थी।
साबिया ने प्रश्नपत्र की फोटो टिहरी में कार्यरत सहायक प्रोफेसर सुमन को भेजी और उनसे उत्तर प्राप्त किए।
फिर इन उत्तरों को उसने खालिद तक पहुंचाया ताकि वह परीक्षा में नकल कर सके।
इस तरह पूरे नेटवर्क ने पेपर लीक को अंजाम दिया।


आयोग का निर्णय: परीक्षा रद्द नहीं होगी

आयोग के सचिव डॉ. शिव कुमार बरनवाल ने साफ किया है कि चूंकि मामला केवल एक परीक्षा केंद्र और एक अभ्यर्थी तक सीमित है, इसलिए परीक्षा रद्द नहीं की जाएगी।
हालांकि, आरोपी अभ्यर्थी का परिणाम जारी नहीं किया जाएगा
बरनवाल ने कहा कि आयोग परीक्षा की शुचिता बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और किसी भी स्तर पर दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।


पुलिस की सख्ती और आगे की जांच

पुलिस ने खालिद और उसकी बहन साबिया को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।
अब जांच एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि क्या इस नेटवर्क में और लोग भी शामिल थे तथा किस तरह उपकरण परीक्षा केंद्र के भीतर ले जाया गया।
आईजी नीलेश आनंद भरणे ने कहा कि पुलिस तकनीकी और फोरेंसिक जांच के जरिए हर पहलू की पड़ताल कर रही है।


छात्रों का गुस्सा और भरोसे का संकट

पेपर लीक की इस ताज़ा घटना ने लाखों परीक्षार्थियों के बीच गुस्सा और निराशा दोनों को जन्म दिया है।
पहले भी UKSSSC की कई परीक्षाएं पेपर लीक की भेंट चढ़ चुकी हैं, जिससे आयोग की विश्वसनीयता पर लगातार प्रश्न उठते रहे हैं।
परीक्षार्थियों का कहना है कि जब भी ऐसे मामले सामने आते हैं तो मेहनतकश छात्रों का मनोबल टूटता है और निष्पक्ष चयन प्रक्रिया पर संदेह पैदा होता है।


पिछली घटनाओं की कड़ी

यह कोई पहला मौका नहीं है जब UKSSSC पेपर लीक कांड चर्चा में आया हो।
2021 और 2022 में भी आयोग की परीक्षाओं से जुड़े पेपर लीक के मामले सामने आ चुके हैं। उन घटनाओं में भी कई अधिकारी और गैंग शामिल पाए गए थे।
ताज़ा मामला यह साबित करता है कि सुधार और सख्ती के दावों के बावजूद आयोग की सुरक्षा व्यवस्था में अब भी बड़ी खामियां मौजूद हैं।


विशेषज्ञों की राय

शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाओं से न केवल योग्य उम्मीदवारों का भविष्य प्रभावित होता है, बल्कि प्रदेश की भर्ती व्यवस्था पर भी नकारात्मक असर पड़ता है।
विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि आयोग को परीक्षा केंद्रों पर उच्च तकनीकी सुरक्षा उपाय अपनाने चाहिए ताकि न तो कोई उपकरण भीतर ले जाया जा सके और न ही डिजिटल माध्यम से पेपर लीक हो सके।

UKSSSC पेपर लीक कांड का मास्टरमाइंड भले ही अब सलाखों के पीछे है, लेकिन यह घटना आयोग की परीक्षा प्रणाली पर एक और गंभीर धब्बा छोड़ गई है।
आयोग और सरकार दोनों के लिए यह बड़ी चुनौती है कि वे छात्रों का भरोसा दोबारा कैसे जीतें और भविष्य में ऐसी घटनाओं को पूरी तरह रोकें।
फिलहाल लाखों अभ्यर्थी यह उम्मीद लगाए बैठे हैं कि दोषियों को सख्त सजा मिले और आने वाली परीक्षाएं निष्पक्ष और पारदर्शी हों।

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