
गुजरात हाई कोर्ट ने शनिवार को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी और उन्हें 2002 के गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के मामलों में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए कथित तौर पर सबूत गढ़ने से संबंधित मामले में फौरन सरेंडर करने का निर्देश दिया.
न्यायमूर्ति निर्जर देसाई की अदालत ने सीतलवाड़ की जमानत याचिका खारिज की और उन्हें तुरंत सरेंडर करने का निर्देश दिया क्योंकि वह अंतरिम जमानत हासिल करने के बाद पहले ही जेल से बाहर हैं. अदालत ने अपने आदेश में कहा, चूंकि आवेदक सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई अंतरिम जमानत पर बाहर है, इसलिए उसे तुरंत सरेंडर करने का निर्देश दिया जाता है.
तीस्ता सीतलवाड़ एक पत्रकार और समाजिक कार्यकर्ता हैं। वह सिटिजन फॉर जस्टिस एंड पीस नाम के एक NGO के लिए काम करती हैं, जो साल 2002 में गुजरात में सांप्रदायिक दंगे के पीड़ितों के लिए न्याय लड़ने के लिए स्थापित किया गया था. तीस्ता का जन्म महाराष्ट्र के मुंबई में हुआ और वहीं उनकी पढ़ाई भी हुई. उनके पिता अतुल सीतलवाड़ पेशे से वकील थे. तीस्ता के दादा एमसी सीतलवाड़ भारत के पहले अटॉर्नी जनरल रहे. सीतलवाड़ के पति आनंद भी पत्रकार रहे हैं.
साल 2007 में तीस्ता सीतलवाड़ को तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने महाराष्ट्र में सार्वजनिक मामलों में पद्मश्री से सम्मानित किया था. इससे पहले उन्हें साल 2002 में राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार भी मिल चुका है. इसके अलावा उन्हें साल 2000 में प्रिंस कलॉस अवॉर्ड, 2003 में नूर्नबर्ग अतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार पुरस्कार भी मिल चुका है.