
बेंगलुरु/नई दिल्ली: कर्नाटक की राजनीति में सोमवार को बड़ा उलटफेर देखने को मिला, जब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के करीबी माने जाने वाले मंत्री केएन राजन्ना को कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। राजन्ना का विवादित बयान, जिसमें उन्होंने मतदाता सूची में कथित छेड़छाड़ के लिए अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस की पिछली सरकार को जिम्मेदार ठहराया, सियासी तूफान का कारण बन गया।
क्या था विवादित बयान?
दरअसल, केएन राजन्ना ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि मतदाता सूची तैयार होने के दौरान कांग्रेस सत्ता में थी और पार्टी नेताओं को उस समय इस मुद्दे को उठाना चाहिए था। उन्होंने सवाल उठाया—
“मतदाता सूची कब तैयार हुई? यह तब तैयार हुई जब हमारी अपनी सरकार सत्ता में थी। उस समय, क्या सब लोग आंखें बंद करके चुपचाप बैठे थे? ये अनियमितताएं हमारी आंखों के सामने हुईं — हमें शर्म आनी चाहिए। हमने उस समय इस पर ध्यान नहीं दिया।”
राजन्ना की इस टिप्पणी ने न केवल कांग्रेस की असहज स्थिति पैदा की, बल्कि भाजपा को भी इस मुद्दे पर कांग्रेस को घेरने का एक और मौका दे दिया।
भाजपा का पलटवार
राजन्ना के बयान के बाद भाजपा ने कांग्रेस पर सीधा हमला बोला। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि यह बयान खुद यह साबित करता है कि मतदाता सूचियों में धांधली कांग्रेस की सरकार के दौरान हुई। भाजपा ने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ बताते हुए कांग्रेस नेतृत्व से सार्वजनिक माफी की मांग की।
कांग्रेस में बढ़ी बेचैनी
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस हाईकमान को यह बयान पार्टी की छवि के लिए नुकसानदायक लगा, खासकर तब जब विपक्ष लगातार ‘वोट चोरी’ के मुद्दे को भुनाने में जुटा है। सीएम सिद्धारमैया पर भी दबाव बढ़ा कि वह अपने करीबी मंत्री के खिलाफ कार्रवाई करें। नतीजतन, सोमवार को राजन्ना को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया।
राजन्ना का पलटवार — “यह साजिश है”
बर्खास्तगी के बाद केएन राजन्ना ने इसे “बड़ी साजिश” करार दिया। उन्होंने कहा, “मेरे बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। मैंने केवल सच कहा था। यह कार्रवाई मुझे चुप कराने के लिए की गई है। मैं जल्द ही राहुल गांधी से मिलकर अपनी बात रखूंगा।” उन्होंने यह भी संकेत दिए कि इस मुद्दे को वह दिल्ली तक ले जाएंगे।
दिल्ली में गूंजेगा विवाद
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद आने वाले दिनों में कर्नाटक से निकलकर दिल्ली की राजनीति में भी हलचल मचाएगा। कांग्रेस हाईकमान को अब एक तरफ आंतरिक कलह को संभालना है, तो दूसरी तरफ विपक्ष के हमलों का जवाब भी देना है।
दूसरी ओर, भाजपा इस बयान को हथियार बनाकर आने वाले चुनावों में ‘कांग्रेस की कथनी-करनी के अंतर’ को मुद्दा बनाने की तैयारी में है।
राजनीतिक असर
राजनीतिक पंडितों के मुताबिक, यह मामला कांग्रेस की चुनावी रणनीति पर असर डाल सकता है। खासकर तब, जब विपक्ष पहले से ही सरकार पर भ्रष्टाचार, महंगाई और कानून-व्यवस्था के मुद्दों पर घेर रहा है। राजन्ना जैसे वरिष्ठ और करीबी नेता का इस तरह सार्वजनिक रूप से पार्टी पर सवाल उठाना कांग्रेस की एकजुटता पर सवाल खड़े करता है।
 
				


