
अविवाहित महिलाओं को किराए की कोख यानी की सरोगेसी की अनुमति देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने के दौरान जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया. मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि यदि महिला को गोद लेना है तो (सरोगेसी में) वह अपने स्वयं के गेमेट्स का उपयोग नहीं कर सकती. हम इस पर अतिशयोक्ति नहीं करेंगे. केवल इसी आधार पर हम यह याचिका खारिज कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि भारत में अविवाहित महिलाओं के लिए कितनी एआरटी प्रक्रियाएं हुई हैं? हमें भारतीय समाज की नब्ज का भी ध्यान रखना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों पर नोटिस जारी कर चार हफ्तों में विभिन्न पक्षकारों से जवाब तलब किया.
पिछले महीने बॉम्बे हाई कोर्ट के सामने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक हलफनामे में कहा था कि डोनर्स के शुक्राणु और एग्स का सरोगेसी के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता. आपको बताते चलें कि दूसरी महिला के कोख को प्रयोग में लेने को सरोगेसी कहा जाता है. यानी एक कपल का बच्चा किसी दूसरी महिला की कोख में पलता है. सरोगेसी की सुविधा वे महिलाएं ले सकती हैं, जो शारीरिक समस्या के कारण खुद गर्भवती नहीं हो पातीं. सरोगेसी दो तरह की होती है- ट्रेडिशनल और जेस्टेशनल. ऐसे कई देश हैं जहां सरोगेसी को अवैध माना जाता है.