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4 जून से हरियाणा कांग्रेस में बदलाव की शुरुआत करेंगे राहुल गांधी, संगठन में बड़े फेरबदल की तैयारी

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नई दिल्ली/चंडीगढ़। लोकसभा चुनाव परिणाम के ठीक बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी 4 जून को हरियाणा में संगठनात्मक सुधारों की शुरुआत करेंगे। इस दिन वह चंडीगढ़ में 21 एआईसीसी पर्यवेक्षकों के साथ एक अहम बैठक करेंगे, जिसमें जिला स्तर पर नए अध्यक्षों की नियुक्ति की प्रक्रिया पर मंथन होगा।

सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में कांग्रेस हरियाणा में जमीनी स्तर पर संगठन को पुनर्गठित करने की योजना बनाएगी। बताया गया है कि राज्य में पिछले 11 वर्षों से गांव स्तर पर पदाधिकारी नहीं हैं, जिससे पार्टी का नेटवर्क कमजोर पड़ा है।

गुटबाजी से जूझ रही है हरियाणा कांग्रेस

हरियाणा कांग्रेस लंबे समय से आंतरिक गुटबाजी का शिकार रही है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा और राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला के खेमों में बंटे संगठन ने पार्टी की जड़ों को कमजोर किया है। पूर्व विधायक किरण चौधरी, जो हुड्डा विरोधी खेमे से थीं, भाजपा में शामिल होकर राज्यसभा पहुंच चुकी हैं।

राज्य में हार का मुख्य कारण यही गुटबाजी और मजबूत संगठन का अभाव माना जा रहा है, जबकि कांग्रेस को 10 साल बाद सत्ता में वापसी की उम्मीद थी।

राहुल की बैठक में तय होगी आगे की रणनीति

हरियाणा के प्रभारी एआईसीसी सचिव प्रफुल्ल वी गुडाधे ने बताया, “राहुल गांधी 4 जून को चंडीगढ़ में एआईसीसी पर्यवेक्षकों से मुलाकात करेंगे। यह संगठनात्मक सुधारों के रोडमैप की दिशा में महत्वपूर्ण बैठक होगी।” उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले के लिए तीन नामों का पैनल तैयार किया जाएगा, जिसे हाईकमान के पास भेजा जाएगा। अंततः उन्हीं में से जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की जाएगी।

क्या शामिल होंगे वरिष्ठ नेता?

बैठक में वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। गुडाधे ने कहा कि इसका फैसला पार्टी हाईकमान करेगा। सूत्रों के मुताबिक, पिछली बार जब लोकसभा चुनाव की समीक्षा बैठक खड़गे निवास पर हुई थी, तब हुड्डा और राज्य अध्यक्ष उदय भान को नहीं बुलाया गया था

हालांकि एआईसीसी सचिव जितेंद्र बघेल ने कहा कि इस बार सभी वरिष्ठ नेताओं को बुलाया जाएगा और स्थानीय गुटबाजी सुधार प्रक्रिया में बाधा नहीं बनेगी।

सोशल इंजीनियरिंग का सहारा

जिला प्रमुखों की नियुक्ति में जातिगत संतुलन को भी ध्यान में रखा जाएगा। बघेल के अनुसार, पर्यवेक्षकों को अलग-अलग जिलों की जिम्मेदारी दी जाएगी और वे कार्यकर्ताओं के साथ सीधे संवाद कर, संगठन को मजबूत बनाने के सुझाव देंगे।

गुडाधे ने बताया कि भले ही कांग्रेस के पास फिलहाल जिला स्तर का संगठन नहीं है, लेकिन पार्टी की राज्य में मजबूत मौजूदगी है। 90 में से 37 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है और वोट शेयर 40% के करीब है। उन्होंने विश्वास जताया कि स्थानीय इकाइयों के गठन के बाद कांग्रेस की स्थिति मजबूत होगी।

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