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Uttarakhand: विजय दिवस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शहीद स्मारक पर अर्पित किया पुष्पचक्र, वीर बलिदानियों को दी श्रद्धांजलि

देहरादून: विजय दिवस के पावन अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को गांधी पार्क, देहरादून में आयोजित श्रद्धांजलि एवं सम्मान समारोह में प्रतिभाग कर शहीद स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित किया और देश की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर बलिदानियों को नमन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने 1971 के भारत–पाक युद्ध में भाग लेने वाले सैनिकों और शहीदों के परिजनों को सम्मानित कर उनके त्याग और साहस को स्मरण किया।

कार्यक्रम में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि विजय दिवस भारतीय सेना के शौर्य, त्याग और अटूट राष्ट्रनिष्ठा की गौरवगाथा का प्रतीक है। यह दिन हमें उस ऐतिहासिक विजय की याद दिलाता है, जब भारतीय सशस्त्र बलों ने 1971 के युद्ध में अदम्य साहस का परिचय देते हुए देश की अखंडता और स्वाभिमान की रक्षा की।


1971 का युद्ध: स्वर्णिम अध्याय

मुख्यमंत्री ने कहा कि 16 दिसंबर 1971 भारतीय सैन्य इतिहास का ऐसा दिन है, जो देश के इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में अंकित है। उन्होंने कहा कि इस युद्ध में पाकिस्तान के लगभग 93 हजार सैनिकों ने भारतीय सेना के समक्ष आत्मसमर्पण किया था, जो भारतीय सैन्य शक्ति और रणनीतिक कौशल का प्रमाण है।

मुख्यमंत्री धामी ने विशेष रूप से उत्तराखंड के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि इस युद्ध में वीरभूमि उत्तराखंड के 248 बहादुर सपूतों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। उन्होंने कहा कि यह राज्य केवल देवभूमि ही नहीं, बल्कि वीरभूमि भी है, जहां लगभग हर परिवार का कोई न कोई सदस्य सेना से जुड़ा रहा है।


उत्तराखंड के वीर सपूतों को मिला सम्मान

मुख्यमंत्री ने बताया कि 1971 के युद्ध में उत्तराखंड के 74 सैनिकों को उनके अदम्य साहस और पराक्रम के लिए विभिन्न वीरता पदकों से सम्मानित किया गया था। उन्होंने कहा कि इन वीरों का साहस आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि सैनिक कल्याण निदेशालय और जिला सैनिक कल्याण कार्यालयों—डीडीहाट, हरबर्टपुर, पिथौरागढ़ और हरिद्वार—को सरकारी वाहन उपलब्ध कराए जाएंगे, ताकि सैनिकों और उनके परिजनों से जुड़े कार्यों में और अधिक सुविधा मिल सके।


प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सशक्त होती भारतीय सेना

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय सेना का मनोबल लगातार बढ़ाया जा रहा है और सेना को अत्याधुनिक तकनीक और आधुनिक हथियारों से सुसज्जित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज भारत न केवल अपनी रक्षा आवश्यकताओं को स्वयं पूरा कर रहा है, बल्कि रक्षा सामग्री का निर्यात करने वाले शीर्ष देशों की सूची में भी शामिल हो चुका है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंधु के माध्यम से भारत ने यह सिद्ध कर दिया है कि हमारे सैनिकों के साथ-साथ स्वदेशी हथियार और रक्षा प्रणालियां भी किसी से कम नहीं हैं। इस अभियान में भारत में निर्मित आकाश मिसाइल, आधुनिक डिफेंस सिस्टम और ब्रह्मोस मिसाइल ने पूरी दुनिया में भारत की सैन्य क्षमता का डंका बजाया।


“यह नया भारत है” — मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री ने कहा,

“यह नया भारत है, जो दुश्मनों की हर नापाक हरकत का करारा जवाब देता है और उन्हें उनके ठिकानों में ही नेस्तनाबूद कर देता है।”

उन्होंने कहा कि आज दुश्मन की एक-एक गोली का जवाब कई गुना ताकत से दिया जा रहा है, और यह भारत की बदली हुई सुरक्षा नीति और मजबूत इच्छाशक्ति का प्रमाण है।


सैनिकों और उनके परिवारों के लिए ऐतिहासिक फैसले

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सैनिकों के हित में कई ऐतिहासिक निर्णय लिए गए हैं, जिनमें—

  • वन रैंक वन पेंशन योजना
  • नेशनल वॉर मेमोरियल का निर्माण
  • रक्षा बजट में निरंतर वृद्धि
  • सीमावर्ती क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर का सुदृढ़ीकरण

शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में उत्तराखंड सरकार भी सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।


शहीदों और वीरता पुरस्कार प्राप्त सैनिकों के लिए बढ़ी सहायता

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने शहीदों के आश्रितों को दी जाने वाली अनुग्रह राशि को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दिया है। इसके साथ ही वीरता पुरस्कार प्राप्त सैनिकों को मिलने वाली एकमुश्त और वार्षिकी राशि में भी अभूतपूर्व वृद्धि की गई है।

उन्होंने बताया कि—

  • परमवीर चक्र से अलंकृत सैनिक की राशि 50 लाख से बढ़ाकर 1.50 करोड़ रुपये
  • अशोक चक्र की राशि 30 लाख से बढ़ाकर 50 लाख रुपये
  • महावीर चक्र एवं कीर्ति चक्र की राशि 20 लाख से बढ़ाकर 35 लाख रुपये
  • वीर चक्र एवं शौर्य चक्र की एकमुश्त राशि 15 लाख से बढ़ाकर 25 लाख रुपये

कर दी गई है।


सरकारी नौकरी और अन्य सुविधाएं

मुख्यमंत्री ने कहा कि बलिदानियों के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी में समायोजित करने का निर्णय लिया गया है। साथ ही, सरकारी नौकरी के लिए आवेदन की अवधि को 2 वर्ष से बढ़ाकर 5 वर्ष कर दिया गया है।

उन्होंने बताया कि राज्य में—

  • नौकरी पूर्व प्रशिक्षण
  • पुत्री विवाह अनुदान
  • सरकारी बसों में निःशुल्क यात्रा
  • 25 लाख रुपये तक की संपत्ति खरीद पर 25% स्टाम्प ड्यूटी छूट

जैसी सुविधाएं वीरता पुरस्कार प्राप्त सैनिकों, सेवारत एवं पूर्व सैनिकों को दी जा रही हैं। इसके अलावा देहरादून के गुनियाल गांव में भव्य सैन्य धाम का निर्माण भी किया जा रहा है।


सैनिक कल्याण मंत्री का बयान

सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि 1971 के युद्ध में देश के लगभग 4 हजार सैनिक शहीद हुए थे, जिनमें उत्तराखंड के 248 वीर सैनिक शामिल थे और करीब 9 हजार सैनिक घायल हुए थे। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के 74 सैनिकों को वीरता पुरस्कार मिलना पूरे राज्य के लिए गर्व की बात है।

उन्होंने कहा कि सैनिकों का सम्मान हर देशवासी का कर्तव्य है और केंद्र व राज्य सरकारें मिलकर सैनिकों के कल्याण के लिए निरंतर कार्य कर रही हैं।


गरिमामय उपस्थिति

इस अवसर पर विधायक खजान दास, विधायक सविता कपूर, सचिव सैनिक कल्याण दीपेन्द्र चौधरी, मेजर जनरल (से.नि.) सम्मी सबरवाल, पूर्व सैनिक, वीरांगनाएं तथा बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित रहे।


निष्कर्ष

विजय दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा शहीद स्मारक पर दी गई श्रद्धांजलि और की गई घोषणाएं यह दर्शाती हैं कि उत्तराखंड सरकार वीर सैनिकों और उनके परिवारों के सम्मान और कल्याण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। विजय दिवस केवल अतीत की जीत का उत्सव नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य में देश की रक्षा के लिए संकल्प लेने का दिन भी है।

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