
नई दिल्ली | 20 जुलाई: संसद का मानसून सत्र सोमवार, 21 जुलाई से शुरू होने जा रहा है। सत्र की सुचारु शुरुआत और कार्यवाही को लेकर केंद्र सरकार ने कमर कस ली है। इसी क्रम में केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू रविवार को एक ऑल पार्टी मीटिंग की अध्यक्षता करेंगे।
मीटिंग का समय और स्थान
यह बैठक रविवार सुबह 11 बजे संसद भवन एनेक्सी के मेन कमेटी रूम में होगी। इसमें दोनों सदनों — लोकसभा और राज्यसभा — के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के संसदीय नेताओं को आमंत्रित किया गया है।
मुद्दों पर सहमति और सहयोग की कोशिश
बैठक में सभी दलों से आग्रह किया जाएगा कि संसद की कार्यवाही के दौरान सौहार्दपूर्ण माहौल बना रहे और महत्वपूर्ण विधायी कार्य बिना बाधा के पूरे हो सकें। सरकार की ओर से इस सत्र के प्रस्तावित विधायी एजेंडे को साझा किया जाएगा, जिससे सभी मुद्दों पर पहले से आम सहमति बनाई जा सके।
21 जुलाई से 21 अगस्त तक चलेगा सत्र, 21 बैठकें प्रस्तावित
सूत्रों के मुताबिक, मानसून सत्र 21 जुलाई से 21 अगस्त तक चलेगा। कुल 21 बैठकें प्रस्तावित हैं, हालांकि 12 अगस्त से 18 अगस्त के बीच कोई बैठक निर्धारित नहीं है।
इन विधेयकों पर होगी चर्चा
इस सत्र में जिन प्रमुख विधेयकों पर चर्चा और पारित होने की संभावना है, उनमें शामिल हैं:
- जन विश्वास विधेयक, 2025
- राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, 2025
- मर्चेंट शिपिंग विधेयक, 2024
इसके अलावा 7 लंबित विधेयकों को विचार और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है, जबकि 8 नए विधेयकों को पेश कर चर्चा के लिए लाया जाएगा।
विपक्ष के साथ संवाद बना रहे — रिजिजू
मीडिया से बातचीत में मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा:
“सरकार हर राष्ट्रीय मुद्दे और लंबित विधेयकों पर चर्चा के लिए तैयार है। मैंने खड़गे जी और राहुल गांधी से हाल ही में मुलाकात की है। बतौर संसदीय कार्य मंत्री, मेरा कर्तव्य है कि मैं सभी दलों के साथ समन्वय बनाए रखूं। हम हर विषय पर खुलकर चर्चा के लिए तैयार हैं।”
सत्र में गरम हो सकते हैं ये मुद्दे
इस बार मानसून सत्र में विपक्ष सरकार को मंहगाई, बेरोजगारी, अडानी-हिंडनबर्ग रिपोर्ट, और विपक्षी गठबंधन INDIA की रणनीति जैसे मुद्दों पर घेरने की तैयारी में है। वहीं सरकार की प्राथमिकता विधायी कार्य और आर्थिक सुधार से जुड़े एजेंडों पर फोकस करने की होगी.
यह सत्र आगामी विधानसभा चुनावों और 2026 लोकसभा सत्र से पहले का एक अहम राजनीतिक अवसर है, जहां सरकार और विपक्ष दोनों के लिए अपनी-अपनी स्थिति स्पष्ट करने का मौका होगा।