उत्तराखंडफीचर्ड

Uttarakhand: मानव–वन्यजीव संघर्ष पर बड़ा एक्शन प्लान: हर जनपद में वन्यजीव नसबंदी केंद्र, सोलर फेंसिंग और सेंसर अलर्ट सिस्टम लागू होंगे

देहरादून। उत्तराखंड में लगातार बढ़ते मानव–वन्यजीव संघर्ष के मामलों को गंभीर चुनौती बताते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्यभर में इस समस्या से निपटने के लिए व्यापक और बहुस्तरीय कार्ययोजना की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार का उद्देश्य केवल घटनाओं के बाद मुआवजा देना नहीं, बल्कि संघर्ष की जड़ पर प्रहार कर स्थायी समाधान सुनिश्चित करना है।

इस दिशा में राज्य के प्रत्येक जनपद में आधुनिक वन्यजीव नसबंदी (बंधनाकरण) केंद्र, वन्यजीव रेस्क्यू एवं रिहैबिलिटेशन सेंटर, सोलर फेंसिंग, और सेंसर आधारित अलर्ट सिस्टम स्थापित किए जाएंगे। इसके साथ ही वन विभाग को आधुनिक संसाधनों से लैस करने के लिए ₹5 करोड़ की अतिरिक्त धनराशि भी प्रदान की जाएगी।

मानव–वन्यजीव संघर्ष: राज्य के लिए गंभीर चुनौती

मुख्यमंत्री धामी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उत्तराखंड के कई पर्वतीय और तराई क्षेत्रों में हाथी, नीलगाय, भालू, गुलदार, बंदर और जंगली सूअर जैसे वन्यजीवों के कारण कृषि फसलों, बागवानी, संपत्ति और मानव जीवन को लगातार नुकसान हो रहा है।
उन्होंने कहा कि यह समस्या केवल आर्थिक नहीं, बल्कि मानवीय और सामाजिक भी है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग डर के माहौल में जीवन जीने को मजबूर हैं और कई बार जान तक गंवानी पड़ रही है। ऐसे में सरकार की प्राथमिकता है कि मानव जीवन की सुरक्षा सर्वोपरि रहे।

सोलर फेंसिंग और सेंसर बेस्ड अलर्ट

मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य के संवेदनशील और संघर्ष-प्रभावित क्षेत्रों में चरणबद्ध और योजनाबद्ध तरीके से सोलर फेंसिंग लगाई जाएगी। इसके साथ ही सेंसर आधारित अलर्ट सिस्टम विकसित किया जाएगा, जिससे गांवों में समय रहते वन्यजीवों की मौजूदगी की सूचना मिल सके।
इस तकनीक के माध्यम से

  • ग्रामीणों को मोबाइल या अलार्म सिस्टम से चेतावनी मिलेगी.
  • रात के समय खेतों और बस्तियों की सुरक्षा बढ़ेगी
  • जान-माल के नुकसान को काफी हद तक रोका जा सकेगा

सरकार का मानना है कि तकनीक आधारित यह व्यवस्था संघर्ष रोकथाम का प्रभावी उपाय साबित होगी।

हर जनपद में वन्यजीव नसबंदी (बंधनाकरण) केंद्र

मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य के संवेदनशील और संघर्ष-प्रभावित क्षेत्रों में चरणबद्ध और योजनाबद्ध तरीके से सोलर फेंसिंग लगाई जाएगी। इसके साथ ही सेंसर आधारित अलर्ट सिस्टम विकसित किया जाएगा, जिससे गांवों में समय रहते वन्यजीवों की मौजूदगी की सूचना मिल सके।

इस तकनीक के माध्यम से ग्रामीणों को मोबाइल या अलार्म सिस्टम से चेतावनी मिलेगी रात के समय खेतों और बस्तियों की सुरक्षा बढ़ेगी जान-माल के नुकसान को काफी हद तक रोका जा सकेगा सरकार का मानना है कि तकनीक आधारित यह व्यवस्था संघर्ष रोकथाम का प्रभावी उपाय साबित होगी।

निष्कर्ष

उत्तराखंड में मानव–वन्यजीव संघर्ष को लेकर मुख्यमंत्री धामी द्वारा घोषित यह कार्ययोजना तकनीक, संसाधन और प्रशासनिक सुधार—तीनों का संतुलित मिश्रण है। सोलर फेंसिंग, सेंसर अलर्ट सिस्टम, नसबंदी केंद्र, रेस्क्यू-रिहैबिलिटेशन सेंटर और वन विभाग को सशक्त बनाने जैसे कदम यदि प्रभावी ढंग से लागू होते हैं, तो इससे न केवल मानव जीवन और आजीविका की रक्षा होगी, बल्कि वन्यजीव संरक्षण और सह-अस्तित्व की दिशा में भी उत्तराखंड एक मॉडल राज्य बन सकता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button