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मध्य प्रदेश : नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कृषि शिक्षा को शामिल करने का प्रयास किया गया है : तोमर

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मध्य प्रदेश को कृषि के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाने में वैज्ञानिकों की अहम भूमिका –  तोमर

केंद्रीय कृषि मंत्री ने जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के 59वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित किया

जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर का 59वां स्थापना दिवस समारोह आज ऑनलाइन आयोजित किया गया। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर समारोह के मुख्य अतिथि थे।  इस अवसर पर कृषि मंत्री ने कहा कि यदि मध्यप्रदेश आज कृषि के क्षेत्र में अग्रणी राज्यों में शामिल हुआ है तो कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केन्द्रों और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की भूमिका इसकी मजबूत नींव पर है।

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तोमर ने कहा कि जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय को पूरे देश में उत्कृष्टता संस्थान के रूप में जाना जाता है और यह कृषि क्षेत्र में कार्यरत राज्य के लोगों के लिए गर्व की बात है। इस विश्वविद्यालय ने वर्ष 1964 में अपनी स्थापना के बाद, राज्य में कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ाने और उन्नत करने में बहुत बड़ा योगदान दिया है। मध्य प्रदेश को कृषि के क्षेत्र में बार-बार प्रतिष्ठित कृषि कर्मण पुरस्कार मिला है, जिसके लिए राज्य प्रशंसा का पात्र है। श्री तोमर ने विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस पर विश्वविद्यालय से जुड़े सभी लोगों को बधाई देते हुए कहा कि इस अवसर पर बालिका छात्रावास का उद्घाटन इसके गौरवशाली इतिहास में एक नया मील का पत्थर है।

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भारतीय कृषि की प्रासंगिकता बताते हुए  तोमर ने कहा कि कोविड संकट के दौरान भी जब दुनिया भर में अन्य सभी क्षेत्र ठप हो गए थे, तब भी बुवाई और कटाई सहित कृषि क्षेत्र की सभी गतिविधियां हमारे खेतों में चल रही थी और फसलों की भरपूर पैदावार हुई थी। सरकार ने अधिक खरीद केंद्र स्थापित किए और परिवहन की सुविधा भी बढ़ाई। यह कार्य कोविड प्रोटोकॉल के दो गज की दूरी के मानदंड का सख्ती से पालन करते हुए किया गया। बाद में, अगली गर्मियों की फसलों की बुवाई के साथ, रिकॉर्ड उत्पादन के लक्ष्य को पूरा किया गया। कृषि क्षेत्र की जीडीपी दर विपरीत परिस्थितियों में भी बहुत सकारात्मक रही, जिसके लिए हमारे किसान और कृषि वैज्ञानिक बधाई के पात्र हैं। श्री तोमर ने कहा कि कृषि में मशीनीकरण का उपयोग बढ़े और अधिक से अधिक किसान स्थापित हो रहे 10,000 एफपीओ से जुड़ें, जिन पर केंद्र सरकार 6,865 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। छोटे किसान मशीनीकरण का लाभ उठा सकते हैं, प्रौद्योगिकी का उपयोग कर सकते हैं, लाभकारी फसलों की ओर रुख कर सकते हैं और प्रसंस्करण सहित सरकारी सुविधाओं का उपयोग कर सकते हैं, तो उन्हें निश्चित रूप से अपनी उपज का बेहतर लाभ मिलेगा।

तोमर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के दौर में हमारी चुनौती और भी बढ़ गई है। पर्याप्त संसाधनों की उपलब्धता के बावजूद किसानों को प्रकृति पर निर्भर रहना पड़ता है। इस संबंध में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों की फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की है। इसके तहत पिछले 6 वर्षों के दौरान किसानों को 1.22 लाख करोड़ रुपये के दावे का निपटारा किया गया है। बदलते मौसम को देखते हुए इस दिशा में अनुसंधान किया जाना चाहिए कि किसानों को कौन-से तरीके अपनाने चाहिए, कौन-सी प्रक्रियाएं और फसलें जलवायु के प्रति सहनशील हैं और हमारे उत्पादन और उत्पादकता को भी बनाए रखती हैं। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में शिक्षा की अहम भूमिका है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कृषि शिक्षा को शामिल करने का प्रयास किया गया है।

मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री  कमल पटेल और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहायक महानिदेशक (बीज) डॉ. डी.के. यादव कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. प्रदीप कुमार बिसेन ने की।

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