
काठमांडू/देहरादून: नेपाल इन दिनों गंभीर राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। सोशल मीडिया बैन के विरोध में शुरू हुआ आंदोलन अब हिंसक रूप ले चुका है। राजधानी काठमांडू और कई अन्य हिस्सों में आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आई हैं। हालात इतने बिगड़ गए कि नेपाल के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों ने अपने-अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
सूत्रों के अनुसार, इस्तीफे के बाद पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली देश छोड़कर भाग गए हैं। इस बीच प्रदर्शनकारियों ने संसद, सुप्रीम कोर्ट, राष्ट्रपति भवन और कई सांसदों के आवासों को आग के हवाले कर दिया। हालात अराजक होते जा रहे हैं और सवाल यह है कि नेपाल की सत्ता अब किसके हाथों में जाएगी।
अगला पीएम कौन? बालेंद्र शाह का नाम सबसे आगे
ओली के इस्तीफे के बाद नेपाल में नए प्रधानमंत्री को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। इस दौड़ में कई नाम सामने आ रहे हैं, लेकिन बालेंद्र शाह को पीएम बनाने की मांग सबसे जोर पकड़ रही है। शाह नेपाल की नई पीढ़ी के बीच लोकप्रिय चेहरा माने जाते हैं और मौजूदा हालात में उनके नाम पर आम सहमति बनने की संभावना जताई जा रही है।
सेना का बयान: “राष्ट्रीय एकता बनाए रखें”
नेपाल में हालात बिगड़ते देख मंगलवार को नेपाली सेना ने बयान जारी किया। सेना ने कहा कि वह “जेन जेड आंदोलन” की घटनाओं का विश्लेषण कर रही है और देश की स्वतंत्रता, संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
सेना ने युवाओं और नागरिकों से अपील की—
- शांति बनाए रखें
- सामाजिक सद्भाव को न बिगाड़ें
- राष्ट्रीय संपत्तियों की रक्षा करें
सेना ने साफ किया कि लोगों की जान और संपत्ति की सुरक्षा उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
भारत की चिंता: नेपाल सीमा से लगे जिलों में बढ़ी चौकसी
नेपाल के इस राजनीतिक संकट का सीधा असर भारत के पड़ोसी राज्यों पर भी पड़ सकता है। खासतौर पर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे सीमावर्ती राज्यों में।
इसी को देखते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक बुलाई। बैठक में सीमा सुरक्षा बल (SSB), पुलिस महानिदेशक, खुफिया विभाग और सीमावर्ती जिलों—चंपावत, पिथौरागढ़ और ऊधमसिंह नगर—के प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों को शामिल किया गया।
सीएम धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि:
- सीमा चौकियों पर निगरानी कड़ी की जाए।
- किसी भी संदिग्ध मूवमेंट पर तुरंत कार्रवाई हो।
- खुफिया इनपुट्स पर जिला स्तर पर समन्वय सुनिश्चित किया जाए।
- स्थानीय नागरिकों को भी सतर्क रहने और संदिग्ध गतिविधियों की सूचना देने के लिए प्रेरित किया जाए।
नेपाल संकट का असर क्यों महत्वपूर्ण है?
नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता का असर सीधे सीमा सुरक्षा, तस्करी और घुसपैठ पर पड़ता है।
- खुले बॉर्डर होने की वजह से दोनों देशों के बीच लोगों और सामान की आवाजाही सहज रहती है।
- ऐसे हालात में आपराधिक तत्व और असामाजिक गतिविधियां बढ़ने का खतरा रहता है।
- भारत के सीमावर्ती इलाकों में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए नेपाल की स्थिरता बेहद जरूरी है।
नेपाल का मौजूदा संकट केवल पड़ोसी देश की समस्या नहीं है, बल्कि यह भारत, खासकर उत्तराखंड जैसे सीमावर्ती राज्यों के लिए बड़ी सुरक्षा चुनौती बन सकता है।
एक तरफ नेपाल में जनता नए नेतृत्व की तलाश में है, वहीं दूसरी तरफ भारतीय सुरक्षा एजेंसियां सतर्क होकर किसी भी संभावित खतरे से निपटने की तैयारी कर रही हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि नेपाल की सत्ता की बागडोर किसके हाथों में जाती है और पड़ोसी देशों पर इसका क्या असर पड़ता है।