
देहरादून, 17 अक्टूबर 2025: खनन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा गुरुवार को जारी राज्य खनन तत्परता सूचकांक (State Mining Readiness Index – SMRI) में उत्तराखंड ने ‘सी’ कैटेगरी में अग्रणी स्थान प्राप्त किया है। यह उपलब्धि राज्य सरकार द्वारा खनन क्षेत्र में अपनाई गई पारदर्शिता, दक्षता, सतत विकास और तकनीकी उन्नयन की नीतियों का परिणाम है।
केंद्रीय बजट 2025–26 में की गई घोषणा के अनुरूप तैयार किए गए इस सूचकांक के माध्यम से देश के विभिन्न राज्यों का खनन सुधारों, नीतिगत पारदर्शिता, पर्यावरणीय संतुलन, खनिज अन्वेषण क्षमता और प्रशासनिक दक्षता के आधार पर मूल्यांकन किया गया है। इस सूचकांक में उत्तराखंड ने पंजाब और त्रिपुरा के साथ मिलकर ‘सी’ कैटेगरी में प्रमुख स्थान प्राप्त किया, जबकि मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान को ‘ए’ कैटेगरी में और गोवा, उत्तर प्रदेश और असम को ‘बी’ कैटेगरी में रखा गया।
खनन मंत्रालय ने कहा कि यह सूचकांक राज्यों में बेन्चमार्किंग और सकारात्मक प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करेगा, जिससे पूरे देश में खनन सुधारों की गति और पर्यावरण-अनुकूल नीतियों के क्रियान्वयन को और बल मिलेगा।
उत्तराखंड के खनन क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने खनन क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इनमें प्रमुख हैं:
- ई-नीलामी प्रणाली का सशक्तिकरण: खनन पट्टों के आवंटन में पारदर्शिता सुनिश्चित की गई और प्रतिस्पर्धात्मक बोली प्रक्रिया को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाया गया।
- खनन प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण: सभी आवश्यक अनुमतियों और लेनदेन को ऑनलाइन उपलब्ध कर, जनता और उद्यमियों के लिए प्रक्रिया को सरल बनाया गया।
- अवैध खनन पर सैटेलाइट निगरानी: संवेदनशील और खनन निषिद्ध क्षेत्रों में अवैध खनन पर प्रभावी नियंत्रण सुनिश्चित किया गया।
- खनिज परिवहन के लिए ई-रवाना प्रणाली: परिवहन के डिजिटल ट्रैकिंग के माध्यम से राजस्व हानि को रोकने में सफलता मिली।
- सस्टेनेबल माइनिंग प्रैक्टिसेस: पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में स्थायी खनन तकनीकों को अपनाने के लिए ठोस कदम उठाए गए।
मुख्यमंत्री धामी का संदेश
इस उपलब्धि पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह उत्तराखंड सरकार के सशक्त शासन मॉडल, पारदर्शी नीतियों और जनकेंद्रित दृष्टिकोण का परिणाम है। उन्होंने कहा:
“हमारी सरकार ने खनन क्षेत्र में भ्रष्टाचार और अपारदर्शिता को समाप्त करते हुए एक उत्तरदायी और आधुनिक प्रणाली विकसित की है। राज्य के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन नहीं, बल्कि उनका संवेदनशील प्रबंधन हमारी प्राथमिकता है।”
उन्होंने खनन विभाग के अधिकारियों और कर्मियों को बधाई दी और बताया कि यह उपलब्धि टीम उत्तराखंड के सामूहिक प्रयासों का परिणाम है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के खनन राजस्व में 800 करोड़ की अप्रत्याशित वृद्धि इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि सरकार की नवीन खनन नीति प्रभावी, पारदर्शी और सशक्त रूप से लागू की गई है।
उत्तराखंड मॉडल अन्य राज्यों के लिए मार्गदर्शक
सीएम धामी ने यह भी बताया कि हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों के प्रतिनिधि उत्तराखंड आकर खनन क्षेत्र में अपनाए गए मॉडलों का अध्ययन कर रहे हैं। उनका लक्ष्य है कि उत्तराखंड की पारदर्शी नीतियां और प्रबंधन प्रणाली को अपने राज्यों में लागू किया जा सके।
खनन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि राज्य में खनन क्षेत्र के समुचित नियमन, सतत निगरानी और स्थानीय जनहितों की सुरक्षा के लिए ठोस कार्ययोजनाएं लागू की जा रही हैं।
भविष्य की योजनाएं
उत्तराखंड सरकार का उद्देश्य है कि आने वाले वर्षों में राज्य खनन क्षेत्र में पारदर्शिता, नवाचार और पर्यावरण संरक्षण के लिए देश में एक आदर्श मॉडल बने। इसके लिए राज्य में:
- खनिज संसाधनों का वैज्ञानिक दोहन,
- पर्यावरण संरक्षण के साथ संतुलित विकास,
- डिजिटल निगरानी और सतत प्रबंधन प्रणाली को और मजबूत किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का दृष्टिकोण केवल राजस्व वृद्धि तक सीमित नहीं है, बल्कि खनन क्षेत्र को सतत और जिम्मेदार विकास की दिशा में अग्रसर करना है।
खनन सुधारों का व्यापक प्रभाव
राज्य में लागू किए गए सुधारों से न केवल पारदर्शिता और दक्षता बढ़ी है, बल्कि स्थानीय रोजगार सृजन, निवेश बढ़ोतरी और पर्यावरणीय सुरक्षा के क्षेत्र में भी सकारात्मक परिणाम दिख रहे हैं। ई-नीलामी और डिजिटल ट्रैकिंग ने अवैध गतिविधियों को सीमित किया है, वहीं सस्टेनेबल माइनिंग प्रैक्टिसेस से पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में मदद मिली है।
सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में निवेशकों के लिए उत्तराखंड अब विश्वसनीय और पारदर्शी खनन राज्य के रूप में उभर रहा है।
खनन मंत्रालय के राज्य खनन तत्परता सूचकांक में उत्तराखंड की यह उपलब्धि केवल सांख्यिकीय पहचान नहीं है, बल्कि यह राज्य सरकार की नीति और प्रशासन की कार्यकुशलता का प्रतीक है। मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में अपनाए गए पारदर्शी, डिजिटल और सतत नीतिगत उपाय न केवल खनन क्षेत्र में सुधार ला रहे हैं, बल्कि राज्य को अन्य राज्यों के लिए मॉडल स्टेट के रूप में स्थापित कर रहे हैं।
उत्तराखंड की यह सफलता खनिज संसाधनों के संवेदनशील प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण और पारदर्शी प्रशासन के लिए आने वाले वर्षों में देशभर में प्रेरणादायक साबित होगी।