
लेह/नई दिल्ली, 27 सितंबर 2025। लद्दाख की राजनीति और समाज को झकझोर देने वाले लेह हिंसा मामले में लगातार नए घटनाक्रम सामने आ रहे हैं। शुक्रवार को जहां चर्चित पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को पुलिस ने गिरफ्तार कर जोधपुर जेल भेजा, वहीं शनिवार को इस मामले में कांग्रेस के दो पार्षद और लद्दाख बौद्ध एसोसिएशन (LBA) के दो वरिष्ठ पदाधिकारी अदालत में पेश होकर सरेंडर कर दिए। अदालत ने सभी को पुलिस हिरासत में भेज दिया है।
कौन-कौन हिरासत में?
पुलिस की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, सरेंडर करने वालों में फुंटसोग स्टैनजिन त्सेपाग, स्मानला दोरजे नोरबू, रेगज़िन दोरजे (उपाध्यक्ष, LBA) और चेवांग दोरजे शामिल हैं।
- फुंटसोग स्टैनजिन त्सेपाग वह शख्स हैं जो हिंसा से जुड़ी वायरल वीडियो में नजर आए थे।
- स्मानला दोरजे नोरबू उस वायरल प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखे थे, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर भाजपा कार्यालय पर हमला करने की धमकी दी थी।
- LBA के उपाध्यक्ष रेगज़िन दोरजे और चेवांग दोरजे को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया है।
कांग्रेस का बचाव
हालांकि इस घटनाक्रम पर कांग्रेस ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि वायरल वीडियो में दिख रहे फुंटसोग स्टैनजिन त्सेपाग को कांग्रेस पार्षद बताना गलत है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस पार्टी इस मामले में किसी भी गलत सूचना के प्रसार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगी। खेड़ा ने साथ ही आरोप लगाया कि सरकार मामले को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रही है।
24 सितंबर की हिंसा की पृष्ठभूमि
यह पूरा मामला 24 सितंबर को लेह में हुए हिंसक प्रदर्शन से जुड़ा है। उस दिन प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प हिंसा में बदल गई थी।
- इस दौरान चार प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी।
- करीब 90 लोग घायल हुए, जिनमें सुरक्षाकर्मी भी शामिल थे।
- हालात बिगड़ने पर लेह जिले में कर्फ्यू लगा दिया गया और इंटरनेट सेवाएं रोक दी गईं।
- कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सीआरपीएफ, आईटीबीपी और स्थानीय पुलिस को तैनात किया गया।
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी
इस प्रकरण का सबसे बड़ा मोड़ शुक्रवार को तब आया जब पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को गिरफ्तार किया गया। उन पर हिंसा भड़काने और भीड़ को उकसाने का आरोप लगाया गया। देर रात उन्हें सुरक्षा कारणों से जोधपुर जेल भेज दिया गया।
वांगचुक की गिरफ्तारी से लद्दाख और देशभर में चर्चा तेज हो गई है। कई सामाजिक संगठनों और विपक्षी दलों ने इसे “लोकतांत्रिक आवाज़ दबाने की कोशिश” बताया है।
राजनीतिक मायने
लेह हिंसा और उसके बाद हुई गिरफ्तारियों ने लद्दाख की राजनीति को नए सिरे से गर्मा दिया है।
- कांग्रेस इसे सरकार की विफलता और अतिरेक कार्रवाई बता रही है।
- भाजपा नेताओं का कहना है कि कानून-व्यवस्था से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी है।
- LBA जैसी सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था के पदाधिकारियों का इसमें शामिल होना चिंता का विषय माना जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लद्दाख में हाल के वर्षों में केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा मिलने के बाद से स्थानीय संगठनों की मांगें और आंदोलन बढ़े हैं। रोजगार, भूमि अधिकार और स्वायत्तता जैसे मुद्दों पर बार-बार विरोध प्रदर्शन हुए हैं। लेह हिंसा इन्हीं असंतोषों की परिणति मानी जा रही है।
जांच की दिशा
लद्दाख के डीजीपी डॉ. एस.डी. सिंह जामवाल ने NDTV से बातचीत में पुष्टि की कि सभी चार व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया है। उन्होंने कहा कि जांच निष्पक्ष और साक्ष्यों के आधार पर आगे बढ़ रही है।
पुलिस का कहना है कि जिन-जिन लोगों की पहचान हिंसा और भड़काऊ भाषणों में हुई है, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस के मुताबिक, कुछ और नाम भी रडार पर हैं और आने वाले दिनों में गिरफ्तारी हो सकती है।
हिंसा का असर
लेह हिंसा ने न केवल लद्दाख बल्कि पूरे देश में चिंता पैदा की है।
- स्थानीय व्यापार प्रभावित हुआ है।
- पर्यटन उद्योग पर भी असर पड़ने की आशंका है।
- लोग रोजमर्रा की गतिविधियों में असुरक्षा महसूस कर रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि लद्दाख जैसे संवेदनशील क्षेत्र में हिंसा की घटनाएं राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी गंभीर हैं।
लेह हिंसा मामले में कांग्रेस पार्षद और LBA पदाधिकारियों का सरेंडर, सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी और पुलिस की लगातार कार्रवाई यह दर्शाती है कि मामला अभी लंबा खिंच सकता है।
हालांकि कांग्रेस इसे राजनीतिक साजिश बता रही है, लेकिन प्रशासन का कहना है कि जांच सिर्फ तथ्यों और साक्ष्यों पर आधारित है।
अब सभी की निगाहें अदालत की अगली सुनवाई और पुलिस जांच की दिशा पर हैं। इस बीच, लेह में आम लोग शांति और स्थिरता की उम्मीद कर रहे हैं।