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पंडित दीनदयाल उपाध्याय जयंती पर मुख्यमंत्री धामी ने दी श्रद्धांजलि, कहा- अंत्योदय की राह पर बढ़ रहा उत्तराखंड

देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को भारतीय जनसंघ के प्रख्यात विचारक और संगठन निर्माता पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। देहरादून स्थित दीनदयाल पार्क में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर मुख्यमंत्री ने उनके विचारों और योगदान को नमन किया। इस अवसर पर भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बी.एल. संतोष, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट, विधायक खजान दास सहित कई वरिष्ठ नेता और जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।

“अंत्योदय है हमारी विकास नीति की प्रेरणा”

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने हमेशा वंचितों, गरीबों और समाज के अंतिम व्यक्ति के उत्थान को अपनी प्राथमिकता बनाया। उनका अंत्योदय का दर्शन आज भी भारतीय राजनीति और नीति-निर्माण के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत है।
उन्होंने कहा, “राज्य सरकार केंद्र और राज्य की योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम छोर तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। पंडित जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि असली विकास तभी संभव है जब सबसे कमजोर व्यक्ति तक सुविधाएं और अवसर पहुंचें।”

मुख्यमंत्री आवास में भी किया स्मरण

दीनदयाल पार्क में प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद मुख्यमंत्री धामी ने मुख्यमंत्री आवास में भी पंडित उपाध्याय के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि पंडित जी की शिक्षाएं आज भी हमारे लिए प्रेरणास्रोत हैं और उनकी विचारधारा उत्तराखंड सरकार की विकास यात्रा को दिशा प्रदान कर रही है।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय: जीवन और योगदान

1916 में मथुरा ज़िले के नगला चंद्रभान गांव में जन्मे पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जीवन साधारण लेकिन विचार असाधारण रहे। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की और आरएसएस से जुड़कर राष्ट्रवादी आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।
1951 में जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ की स्थापना की तो पंडित दीनदयाल उपाध्याय उसमें बतौर संगठन मंत्री शामिल हुए।
वे अपनी सादगी, विचारशीलता और संगठन क्षमता के लिए जाने जाते थे। उन्होंने ‘एकात्म मानववाद’ का दर्शन प्रस्तुत किया, जो आज भाजपा की विचारधारा की आधारशिला है।

एकात्म मानववाद और अंत्योदय की अवधारणा

पंडित दीनदयाल उपाध्याय का मानना था कि समाज का वास्तविक विकास तभी संभव है जब व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के बीच संतुलन स्थापित हो। उनका दर्शन एकात्म मानववाद इस बात पर ज़ोर देता है कि व्यक्ति का विकास केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों से जुड़ा होना चाहिए।
उन्होंने अंत्योदय—अर्थात समाज के सबसे अंतिम व्यक्ति तक विकास की किरण पहुंचाने—को राजनीति का मूल उद्देश्य बताया। यही विचारधारा आज भाजपा की नीतियों और योजनाओं में झलकती है, चाहे वह प्रधानमंत्री आवास योजना हो, उज्ज्वला योजना या जनधन योजना

भाजपा के लिए प्रेरणास्त्रोत

भारतीय जनता पार्टी पंडित दीनदयाल उपाध्याय को अपना वैचारिक मार्गदर्शक मानती है। उनकी जयंती पर हर साल पार्टी स्तर पर देशभर में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
भाजपा नेतृत्व का मानना है कि पंडित जी की विचारधारा आधुनिक भारत के सामाजिक-आर्थिक ढांचे में पूरी तरह प्रासंगिक है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कई बार अपने भाषणों में पंडित उपाध्याय के अंत्योदय और एकात्म मानववाद का उल्लेख करते हैं।

उत्तराखंड सरकार की प्राथमिकताएँ

मुख्यमंत्री धामी ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि उत्तराखंड सरकार पंडित उपाध्याय के विचारों से प्रेरित होकर योजनाओं का क्रियान्वयन कर रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य में गरीबों के कल्याण, युवाओं के रोजगार, महिलाओं के सशक्तिकरण और किसानों की आय बढ़ाने को लेकर ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार भी पंडित जी की विचारधारा को धरातल पर उतार रही है। हमारा लक्ष्य है कि उत्तराखंड के विकास का लाभ समाज के अंतिम छोर तक पहुंचे।”

कार्यक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे मौजूद

देहरादून में आयोजित इस कार्यक्रम में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बी.एल. संतोष ने पंडित उपाध्याय के योगदान को याद करते हुए कहा कि उनका जीवन हमें सिखाता है कि राजनीति केवल सत्ता प्राप्ति का माध्यम नहीं, बल्कि सेवा और समाज उत्थान का साधन है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट और विधायक खजान दास ने भी श्रद्धा सुमन अर्पित किए और कहा कि भाजपा संगठन पंडित जी के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय जयंती के अवसर पर देहरादून में आयोजित इस कार्यक्रम ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया कि भाजपा और उत्तराखंड सरकार उनकी विचारधारा को अपने कामकाज का आधार मानती है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जिस तरह अंत्योदय को राज्य की विकास नीति की प्रेरणा बताया, वह इस बात का संकेत है कि सरकार आने वाले समय में भी गरीबों और वंचितों के कल्याण पर अपना ध्यान केंद्रित रखेगी।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जीवन और विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके जीवनकाल में थे। उनकी सादगी, राष्ट्रवाद और समाज सेवा की भावना आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।

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