उत्तराखंडफीचर्ड

Uttarakhand: अधीनस्थ सेवा चयन आयोग परीक्षा प्रकरण की जांच एसआईटी करेगी – मुख्य सचिव

हाईकोर्ट के रिटायर जज करेंगे जांच की निगरानी, एक माह में रिपोर्ट सौंपेगी टीम

देहरादून। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की हाल ही में सम्पन्न हुई परीक्षा पर उठे सवाल अब गंभीर स्तर पर पहुँच गए हैं। परीक्षा प्रक्रिया में गड़बड़ी और अनियमितताओं की शिकायतों को देखते हुए राज्य सरकार ने इसकी जांच विशेष जांच टीम (SIT) से कराने का निर्णय लिया है। मुख्य सचिव आनंद वर्द्धन ने बुधवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि जांच पूरी तरह निष्पक्ष होगी और इसकी निगरानी हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज करेंगे।

पारदर्शिता और अभ्यर्थियों का हित सर्वोपरि

मुख्य सचिव ने कहा कि परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता और अभ्यर्थियों का हित सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने बताया कि बीते रविवार को सम्पन्न हुई परीक्षा में विभिन्न स्तरों पर अनियमितताओं की शिकायतें मिली हैं। इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए एडिशनल एसपी स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया गया है।

एसआईटी का कार्यक्षेत्र पूरे प्रदेश में होगा। जांच टीम सभी जिलों का दौरा करेगी और अभ्यर्थियों, अभिभावकों एवं अन्य संबंधित लोगों से तथ्य और सूचनाएँ एकत्र करेगी।

हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज रखेंगे निगरानी

आनंद वर्द्धन ने कहा कि निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए एसआईटी पर सीधे तौर पर निगरानी हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज करेंगे। इससे जांच की पारदर्शिता और विश्वसनीयता और मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति परीक्षा से संबंधित तथ्य सीधे एसआईटी या निगरानी कर रहे जज को सौंप सकता है।

एक माह में रिपोर्ट, तब तक रोकी जाएगी आगे की प्रक्रिया

मुख्य सचिव ने जानकारी दी कि जांच की समयसीमा एक माह तय की गई है। इस अवधि में आयोग की ओर से परीक्षा से संबंधित कोई भी आगे की कार्रवाई नहीं होगी। इसका उद्देश्य यह है कि जांच के निष्कर्ष सामने आने से पहले अभ्यर्थियों पर कोई अतिरिक्त दबाव या अनिश्चितता न बने।

लापरवाही पर कठोर कार्रवाई होगी

मुख्य सचिव ने स्पष्ट कहा कि जांच में दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जाएगी। विशेषकर हरिद्वार परीक्षा केंद्र, जो विवादों के केंद्र में रहा है, वहां यदि किसी अधिकारी या कर्मचारी की लापरवाही साबित होती है तो उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएँ।

अभ्यर्थियों में चिंता और आक्रोश

परीक्षा में शामिल हुए हजारों अभ्यर्थी इस प्रकरण को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं। कई अभ्यर्थियों का कहना है कि बार-बार भर्ती परीक्षाओं पर सवाल उठने से उनका करियर दांव पर लग जाता है। देहरादून की एक अभ्यर्थी ने कहा, “हम सालों मेहनत करते हैं और आखिरी वक्त में जब पेपर लीक या गड़बड़ी की बात सामने आती है, तो भरोसा टूट जाता है।”

रुड़की के एक परीक्षार्थी ने कहा कि सरकार की पहल स्वागत योग्य है, लेकिन जांच जल्दी पूरी हो और दोषियों को सख्त सजा मिले तभी अभ्यर्थियों का विश्वास लौट पाएगा।

विपक्ष का आरोप – बार-बार दोहराई जा रही गलतियाँ

विपक्षी दलों ने इस मामले पर सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। उनका कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षाओं पर सवाल उठे हैं। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि “हर बार पेपर लीक, कॉपी मूल्यांकन या परीक्षा केंद्र की अनियमितताओं पर बाद में कार्रवाई होती है। असली सवाल यह है कि पहले से क्यों नहीं सख्ती बरती जाती?”

वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि परीक्षा प्रणाली में तकनीकी सुधार और डिजिटल सुरक्षा उपाय लागू करने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

सरकार का आश्वासन – भरोसा बहाल करना प्राथमिकता

मुख्य सचिव आनंद वर्द्धन ने दोहराया कि छात्रों और आमजन का परीक्षा प्रणाली पर भरोसा बनाए रखना सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि इस जांच के बाद न केवल दोषियों को सजा दी जाएगी बल्कि भविष्य में परीक्षा प्रक्रिया को और सुरक्षित एवं पारदर्शी बनाने के लिए तकनीकी और प्रशासनिक सुधार किए जाएंगे।

अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा में गड़बड़ियों को लेकर सरकार की त्वरित कार्रवाई से अभ्यर्थियों को उम्मीद जगी है कि इस बार जांच केवल औपचारिकता नहीं होगी। हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में एसआईटी की जांच से निष्पक्षता और पारदर्शिता की संभावना और मजबूत होती है। आने वाले एक माह में यह तय होगा कि दोषियों पर कार्रवाई कितनी कड़ी होती है और सरकार परीक्षा प्रणाली को सुधारने के लिए कौन से ठोस कदम उठाती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button