
कोलंबो, 22 अगस्त 2025: श्रीलंका की राजनीति में शुक्रवार को बड़ा धमाका हुआ। देश के पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार कर लिया गया। यह पहली बार है जब श्रीलंका के किसी पूर्व राष्ट्रपति को ऐसे आरोपों में हिरासत में लिया गया है।
आरोप: निजी यात्रा पर सरकारी कोष का इस्तेमाल
विक्रमसिंघे पर आरोप है कि उन्होंने राष्ट्रपति रहते हुए सार्वजनिक धन का दुरुपयोग किया। उन पर यह मामला दर्ज हुआ कि उन्होंने अपनी पत्नी के यूनिवर्सिटी ऑफ वुल्वरहैम्प्टन में आयोजित स्नातक समारोह की यात्रा को व्यक्तिगत न मानकर आधिकारिक बताया और इसका खर्च सरकारी खाते से उठाया गया।
जांच एजेंसियों के अनुसार इस यात्रा पर करीब Rs. 16.9 मिलियन (लगभग 50,000 अमेरिकी डॉलर) खर्च हुए।
गिरफ्तारी और अदालत में पेशी
पूर्व राष्ट्रपति को Financial Crimes Investigation Department (FCID) की टीम ने गिरफ्तार किया और उन्हें कोलंबो के Fort Magistrate’s Court में पेश किया गया। यह कार्रवाई मौजूदा राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिस्सानायके की भ्रष्टाचार-विरोधी मुहिम का हिस्सा है, जिसके तहत कई बड़े नेताओं पर शिकंजा कसा जा रहा है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और लंबा सफर
रानिल विक्रमसिंघे श्रीलंका के सबसे अनुभवी राजनेताओं में गिने जाते हैं। वे छह बार प्रधानमंत्री रहे और जुलाई 2022 से सितंबर 2024 तक राष्ट्रपति पद पर काबिज़ रहे।
उन्होंने गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे के बाद सत्ता संभाली थी और 2022 के भयानक आर्थिक संकट से देश को उबारने का श्रेय उन्हें ही जाता है। इसी कारण उनकी गिरफ्तारी को लेकर देश की सियासत और भी गरमा गई है।
देश में संदेश: “कानून से ऊपर कोई नहीं”
सरकार का कहना है कि यह गिरफ्तारी भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का हिस्सा है। मौजूदा प्रशासन यह संकेत देना चाहता है कि चाहे कोई कितना भी बड़ा नेता क्यों न हो, कानून से ऊपर कोई नहीं है।
भविष्य की राजनीति पर असर
विश्लेषकों का मानना है कि यह गिरफ्तारी श्रीलंका की राजनीति में एक नया अध्याय खोलेगी। जहां एक ओर यह कदम भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती का संकेत है, वहीं दूसरी ओर, इससे देश में राजनीतिक ध्रुवीकरण और बढ़ सकता है।