
ऋषिकेश/देहरादून, 13 अगस्त 2025 (सू.वि) गंगानगरी ऋषिकेश में प्रमुख बाजारों और मार्गों की बिजली लाइनों को अब भूमिगत किया जाएगा। केंद्र सरकार ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए ₹547.83 करोड़ की मंजूरी प्रदान कर दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह परियोजना न केवल विद्युत आपूर्ति को स्थिर बनाएगी, बल्कि शहर की सुंदरता और नागरिक सुविधाओं में भी बड़ा सुधार लाएगी।
परियोजना का दायरा
स्वीकृत राशि से ऋषिकेश कुंभ क्षेत्र (गंगा कॉरिडोर) में विद्युत लाइनों का भूमिगतकरण किया जाएगा। साथ ही ऋषिकेश, हरिद्वार और देहरादून में विद्युत प्रणाली को स्वचालित बनाने के लिए SCADA (Supervisory Control and Data Acquisition) तकनीक लागू की जाएगी।
यह तकनीक बिजली आपूर्ति की रियल-टाइम मॉनिटरिंग, फॉल्ट लोकेशन और तेजी से मरम्मत की सुविधा देगी, जिससे उपभोक्ताओं को बिना रुकावट बिजली उपलब्ध हो सकेगी।
स्थानीय नागरिकों के लिए फायदे
- तारों के जाल से मुक्ति: भीड़भाड़ वाले बाजारों और संकरे मार्गों से ओवरहेड तार हटेंगे, जिससे दृश्य सौंदर्य बढ़ेगा।
- आवाजाही में आसानी: बिजली के खंभों और लटकते तारों के अभाव में बाजारों और गलियों में पैदल यात्रियों व वाहनों के लिए जगह बढ़ेगी।
- सुरक्षा में सुधार: बरसात, तूफान या अन्य प्राकृतिक आपदाओं में तार टूटने और शॉर्ट सर्किट की घटनाएं कम होंगी।
- बेहतर बिजली आपूर्ति: भूमिगत केबलिंग से वोल्टेज स्थिर रहेगा और बिजली कटौती की संभावना घटेगी।
- कम रखरखाव लागत: बार-बार मरम्मत और तार बदलने की जरूरत कम होगी।
मुख्यमंत्री का बयान
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “उत्तराखंड सरकार लगातार विद्युत अवसंरचना के आधुनिकीकरण के प्रयास कर रही है। अंडरग्राउंड केबलिंग से बिजली आपूर्ति अधिक स्थिर होगी और आपदा या प्रतिकूल मौसम से पैदा होने वाले अवरोधों से भी सुरक्षा मिलेगी। इस परियोजना के लिए वित्तीय स्वीकृति प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हृदय से आभार।”
पर्यटन और सांस्कृतिक महत्व
ऋषिकेश एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। 2028 के कुंभ मेले की दृष्टि से भी यह परियोजना अहम है, क्योंकि उस समय लाखों श्रद्धालु गंगा तट और बाजार क्षेत्रों में आएंगे। भूमिगत बिजली व्यवस्था से न केवल सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि धार्मिक व सांस्कृतिक आयोजनों के दौरान शहर की छवि भी और निखरेगी।
तकनीकी पहलू
परियोजना में उच्च गुणवत्ता वाली इन्सुलेटेड केबल का इस्तेमाल किया जाएगा, जो पानी, नमी और तापमान के उतार-चढ़ाव को सहन कर सके। SCADA प्रणाली के तहत सभी सब-स्टेशनों को एक केंद्रीकृत नियंत्रण कक्ष से जोड़ा जाएगा, जिससे बिजली वितरण की दक्षता और निगरानी क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी।
भविष्य की दिशा
विशेषज्ञों का मानना है कि यह परियोजना राज्य के अन्य शहरों के लिए भी एक मॉडल साबित हो सकती है। हरिद्वार, देहरादून और नैनीताल जैसे शहरों में भी इसी तरह की योजना लागू करने की संभावना जताई जा रही है।
विद्युत विभाग के अधिकारियों के अनुसार, स्वीकृति मिलने के बाद जल्द ही टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी और कार्य को चरणबद्ध तरीके से अगले 24-30 महीनों में पूरा किया जाएगा।
यह परियोजना न केवल ऋषिकेश की बिजली आपूर्ति को आधुनिक बनाएगी, बल्कि गंगा तटवर्ती इस पवित्र नगरी को सौंदर्य और सुविधा, दोनों के स्तर पर एक नए आयाम पर ले जाएगी। आने वाले वर्षों में जब भीड़भाड़ वाले बाजारों से तारों का जाल हटेगा और रात में बिना रुकावट बिजली के साथ शहर जगमगाएगा, तब इस निवेश का असर हर नागरिक और पर्यटक महसूस करेगा।