

देहरादून: केंद्र सरकार ने देश में जातीय जनगणना कराने का ऐलान करते हुए पहला चरण उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख जैसे चार पर्वतीय राज्यों में 1 अक्टूबर 2026 से शुरू करने की घोषणा की है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी प्रेस नोट के अनुसार, इन राज्यों के असमयिक बर्फबारी और भौगोलिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए पहले फेज में इन्हें शामिल किया गया है।
गृह मंत्रालय के मुताबिक, बाकी राज्यों में जातीय जनगणना का कार्य 2027 में कराया जाएगा। केंद्र ने स्पष्ट किया है कि यह प्रक्रिया दो चरणों में संपन्न की जाएगी, जिसमें सबसे पहले भौगोलिक रूप से कठिन और संवेदनशील क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
विपक्ष के दबाव और लंबे समय से चली आ रही मांग के बाद फैसला –
गौरतलब है कि जातीय जनगणना को लेकर विपक्ष लंबे समय से केंद्र सरकार पर दबाव बना रहा था। विपक्षी दलों ने इसे सामाजिक न्याय और कल्याणकारी योजनाओं की बेहतर योजना के लिए ज़रूरी बताया। इससे पहले 2011 में मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना कराई गई थी, लेकिन इसके आंकड़े अब तक सार्वजनिक नहीं किए गए।
कोरोना ने डाली थी जनगणना 2021 पर ब्रेक –
गृह मंत्रालय ने यह भी बताया कि 2021 में जनगणना दो चरणों में होनी थी — पहला चरण अप्रैल से सितंबर 2020 के बीच और दूसरा चरण फरवरी 2021 में। लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इस कार्य को स्थगित करना पड़ा। अब केंद्र सरकार ने नई रणनीति के तहत जनगणना प्रक्रिया को पुनः शुरू करने का निर्णय लिया है।
इस घोषणा के बाद उत्तराखंड सहित अन्य पहाड़ी राज्यों में जनगणना की तैयारियों को लेकर गतिविधियां तेज हो गई हैं। यह पहला मौका होगा जब जाति के आधार पर व्यापक आंकड़े इकट्ठा किए जाएंगे, जो नीति-निर्धारण और सामाजिक योजनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।