
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में संगठनात्मक बदलाव की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ाए जा रहे हैं। इसी सिलसिले में हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें पार्टी के शीर्ष नेताओं ने हिस्सा लिया। इस उच्चस्तरीय विचार-विमर्श में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष मौजूद रहे।
प्रदेश नेतृत्व में बदलाव की तैयारी
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बैठक में लगभग छह राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों को लेकर चर्चा हुई है। इनमें वे राज्य प्रमुख हैं, जहां हाल ही में विधानसभा चुनाव हुए हैं या आगामी महीनों में चुनाव प्रस्तावित हैं। पार्टी नेतृत्व का मानना है कि इन राज्यों में संगठनात्मक मजबूती और कार्यकर्ताओं के मनोबल को ऊंचा बनाए रखने के लिए नेतृत्व परिवर्तन ज़रूरी है। उम्मीद है कि अगले 3 से 4 दिनों के भीतर नए प्रदेश अध्यक्षों के नामों की घोषणा कर दी जाएगी।
राष्ट्रीय अध्यक्ष पर भी जल्द फैसला संभव
प्रदेश स्तर पर नियुक्तियों के बाद भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करेगी। वर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल, जो 2024 लोकसभा चुनाव तक के लिए बढ़ाया गया था, अब समाप्ति की ओर है। ऐसे में पार्टी एक नए चेहरे को यह जिम्मेदारी सौंपने के लिए तैयार दिख रही है। संगठन में यह बदलाव आगामी विधानसभा चुनावों और 2029 के लोकसभा चुनावों की रणनीति के लिए अहम माना जा रहा है।
राजनीतिक संकेत और उद्देश्य
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बुलाई गई यह बैठक सिर्फ एक सामान्य विचार-विमर्श नहीं, बल्कि स्पष्ट संकेत है कि भाजपा आने वाले वर्षों के चुनावी संघर्ष के लिए संगठनात्मक अनुशासन और रणनीतिक दिशा पर फोकस कर रही है। पार्टी यह सुनिश्चित करना चाहती है कि केंद्र से लेकर राज्य इकाइयों तक हर स्तर पर तालमेल बना रहे।
बदलाव की ज़रूरत क्यों पड़ी?
2024 के आम चुनावों में भाजपा ने एक बार फिर केंद्र की सत्ता में वापसी की, लेकिन कुछ राज्यों में पार्टी का प्रदर्शन उम्मीद से कम रहा। ऐसे में पार्टी के लिए संगठन का पुनर्गठन जरूरी हो गया है। 2019 के बाद जब जेपी नड्डा ने अध्यक्ष पद संभाला, तब भी यही रणनीति अपनाई गई थी। अब पार्टी एक बार फिर नवीन ऊर्जा और नेतृत्व के साथ आगे बढ़ने की तैयारी में है।