
पटना/किशनगंज: बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले चुनाव आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के बाद नया ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी कर दिया है। इस मसौदा सूची में 65 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं, जिससे राज्य में कुल पंजीकृत मतदाताओं की संख्या घटकर 7.24 करोड़ रह गई है, जो पहले लगभग 7.9 करोड़ थी।
चुनाव आयोग का कहना है कि यह नाम हटाव प्रक्रिया मृत्यु, पलायन, दोहरी प्रविष्टियों और स्थायी स्थानांतरण के आधार पर की गई है। सबसे अधिक नाम हटाए जाने वाले जिलों में किशनगंज टॉप पर है, जहां अकेले 1,45,913 मतदाताओं के नाम ड्राफ्ट लिस्ट से बाहर हो गए हैं।
पटना में 3.95 लाख नाम हटे, लेकिन वोटर संख्या अब भी सबसे ज्यादा
राजधानी पटना जिले की 14 विधानसभा सीटों पर अब 46 लाख 51 हजार 694 मतदाता दर्ज हैं, जबकि पहले की सूची में यह आंकड़ा 50 लाख 47 हजार 194 था। यानी लगभग 3.95 लाख वोटर हटाए गए हैं।
नाम हटाने के कारण:
– मृत्यु
– दोहरा नामांकन
– स्थायी स्थानांतरण
– लंबी अनुपस्थिति या पलायन
किस जिले में कितने वोटर हटे – आंकड़ों में समझें तस्वीर
जिला | हटाए गए मतदाता |
---|---|
पटना | 3,95,500 |
मधुबनी | 3,52,000 |
पूर्वी चंपारण | 3,16,000 |
गोपालगंज | 3,10,000 |
किशनगंज | 1,45,913 |
किशनगंज: चारों विधानसभा में भारी कटौती, मुस्लिम बहुल सीट सबसे प्रभावित
जिले के चारों विधानसभा क्षेत्रों – किशनगंज, ठाकुरगंज, बहादुरगंज और कोचाधामन – में कुल 12 लाख 3,910 पंजीकृत मतदाता थे। लेकिन अब केवल 10 लाख 86 हजार 242 वैध गणना प्रपत्र पाए गए, बाकी 1,45,668 प्रपत्र हटाए गए।
विधानसभा-वार नाम हटाव की स्थिति:
- किशनगंज – 49,340 नाम हटे
- बहादुरगंज – 36,574 नाम हटे
- कोचाधामन – 30,722 नाम हटे
- ठाकुरगंज – 29,277 नाम हटे
जिला निर्वाचन पदाधिकारी विशाल राज के अनुसार, यह निर्णय ईसीआई के दिशानिर्देशों के तहत लिया गया है और प्रक्रिया पारदर्शी रही है।
2 अगस्त से 1 सितंबर तक चलेगा नाम जोड़ने का विशेष कैंपेन
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि जिन नागरिकों का नाम मसौदा सूची से हट गया है, वे 2 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक चलने वाले विशेष पुनरीक्षण अभियान के दौरान आवेदन कर सकते हैं।
क्या करें अगर नाम छूट गया है?
– फॉर्म 6 भरें
– मतदाता सेवा केंद्र या BLO के पास आवेदन करें
– www.nvsp.in पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करें
राजनीतिक दलों के लिए अलर्ट: जनाधार बदल सकता है समीकरण
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह बड़े पैमाने पर नाम हटने से विधानसभा सीटों के जातीय और धार्मिक समीकरणों पर भी असर पड़ सकता है। खासकर अल्पसंख्यक और प्रवासी आबादी वाले जिलों में ये बदलाव आगामी चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं।