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ISRO का EOS-09 मिशन क्यों रह गया अधूरा? लॉन्च के 9वें मिनट में तकनीकी गड़बड़ी से टूटा भारत की निगरानी क्षमताओं को मजबूत करने का सपना

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श्रीहरिकोटा : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के लिए रविवार की सुबह एक बड़ी उम्मीद के साथ शुरू हुई, लेकिन महज 9 मिनट में वह उम्मीद टूट गई। भारत के 101वें सैटेलाइट मिशन EOS-09 को श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया, लेकिन यह मिशन पूरी तरह सफल नहीं हो सका। तीसरे चरण में आई तकनीकी खामी के चलते यह महत्वाकांक्षी मिशन अधूरा रह गया।

क्या था EOS-09 मिशन का मकसद?

EOS-09 यानी Earth Observation Satellite-09 एक रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट है, जिसे PSLV-C61 लॉन्च व्हीकल के जरिए सन सिंक्रोनस पोलर ऑर्बिट (SSPO) में स्थापित किया जाना था। इसका मुख्य उद्देश्य था:

  • सीमाओं पर घुसपैठ और संदिग्ध गतिविधियों की निगरानी

  • आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए डेटा उपलब्ध कराना

  • कृषि, वन, आपदा प्रबंधन और शहरी नियोजन में सहायता

  • LOC और LAC पर रियल टाइम इंटेलिजेंस सपोर्ट देना

ISRO के मुताबिक, यह मिशन भारत की सुरक्षा और रणनीतिक निगरानी क्षमता को अभूतपूर्व बढ़ावा देने वाला था।

कैसे हुआ मिशन में फेल्योर?

ISRO प्रमुख वी. नारायणन ने पुष्टि की कि:

“मिशन का पहला और दूसरा चरण पूरी तरह सफल रहा, लेकिन तीसरे चरण में तकनीकी गड़बड़ी आने के कारण सैटेलाइट को कक्षा में स्थापित नहीं किया जा सका।”

EOS-09 सैटेलाइट को PSLV रॉकेट के चार चरणों द्वारा ऑर्बिट में पहुंचाया जाना था। हालांकि तीसरे चरण में फॉल्ट के चलते सैटेलाइट निर्धारित कक्षा तक नहीं पहुंच सका और मिशन वहीं विफल हो गया।

क्या था सैटेलाइट की खासियत?

  • लंबाई: 44.5 मीटर

  • वज़न: 321 टन

  • ऑर्बिट: सन सिंक्रोनस पोलर ऑर्बिट

  • मिशन अवधि: 5 साल

  • टेक्नोलॉजी: C-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR)

इस रडार की मदद से EOS-09 किसी भी मौसम में, दिन-रात, क्लाउड कवरेज के बावजूद उच्च-रिज़ॉल्यूशन तस्वीरें लेने में सक्षम था। इसे RISAT-1 का फॉलो-ऑन मिशन माना जा रहा था।

EOS-09 की असफलता सिर्फ एक तकनीकी झटका नहीं है, बल्कि यह भारत की स्ट्रैटेजिक और टैक्टिकल निगरानी क्षमताओं के विस्तार को लगा विराम भी है। यह मिशन खासकर चीन और पाकिस्तान सीमा पर सक्रिय गतिविधियों की निगरानी के लिए बेहद महत्वपूर्ण था।

ISRO के मुताबिक, यह सैटेलाइट आतंकवाद, तस्करी, और अनधिकृत घुसपैठ जैसे खतरों पर सीधे नजर रखने में मदद करता।

अंतरिक्ष और रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि:

  • तीसरे चरण में विफलता के बाद अब ISRO को तकनीकी कारणों की गहराई से जांच करनी होगी।

  • यह मिशन भविष्य की कई रणनीतिक सैटेलाइट लॉन्चिंग के लिए सीख का माध्यम बन सकता है।

  • भारत की EOS श्रृंखला में यह पहला बड़ा झटका है, लेकिन ISRO के पास सुधार की मजबूत क्षमता है।

ISRO की तकनीकी टीम फिलहाल इस विफलता के कारणों की डिटेल एनालिसिस कर रही है। संभावित कारणों में शामिल हैं:

  • थर्मल कंट्रोल सिस्टम में गड़बड़ी

  • थ्रस्ट मॉड्यूलेशन फेल्योर

  • सैटेलाइट से लिंक लॉस

ISRO ने यह भी स्पष्ट किया है कि जल्द ही EOS-09 की जगह नया संस्करण लॉन्च किया जाएगा।

EOS-09 मिशन की असफलता निश्चित रूप से एक झटका है, लेकिन ISRO के दशकों पुराने विश्वसनीय रिकॉर्ड को देखते हुए यह महज एक अस्थायी बाधा है। ISRO अब इस चुनौती से उबरने और अगला मिशन सफल बनाने की तैयारी में जुट चुका है।


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