
नई दिल्ली : पाकिस्तान की ओर से जम्मू, पठानकोट और अन्य सीमावर्ती शहरों पर हमले की कोशिशों का करारा जवाब देते हुए भारतीय सेना ने गुरुवार रात ऑपरेशन सिंदूर के दूसरे चरण में पाकिस्तान के आठ प्रमुख शहरों को निशाना बनाया। इस कार्रवाई ने पाकिस्तान के रक्षा ढांचे को झकझोर कर रख दिया है।
भारतीय हमलों से थर्राया पाकिस्तान: लाहौर, कराची, सियालकोट में धमाके
भारतीय सेना ने लाहौर, रावलपिंडी, सियालकोट, बहावलपुर और कराची समेत नौ प्रमुख शहरों में ड्रोन और मिसाइल हमले किए। रक्षा सूत्रों के अनुसार, लाहौर स्थित HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम को इजरायल से खरीदे गए ‘हारोप’ ड्रोन से निशाना बनाकर पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया।
कराची में रक्षा इकाइयों, जबकि बहावलपुर और रावलपिंडी में सैन्य संचार केंद्रों को निशाना बनाया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हमलों के बाद इन क्षेत्रों में ब्लैकआउट, एयर सायरन और अफरा-तफरी का माहौल बन गया।
भारत की रणनीति: अपनी सीमा में रहकर जवाबी हमला
सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि भारत ने सभी हमले अपनी सीमा में रहते हुए किए। LOAC (Law of Armed Conflict) के तहत वैधानिक ढंग से यह कार्रवाई की गई, जिसमें केवल सैन्य ठिकानों को ही निशाना बनाया गया। पाकिस्तान के नागरिक क्षेत्रों को जानबूझकर बचाया गया है।
पाकिस्तान की नाकाम हरकतें और बौखलाहट
भारत की इस कार्रवाई से पहले पाकिस्तान ने जम्मू, श्रीनगर, अमृतसर, भुज और फलोदी समेत 15 शहरों पर मिसाइल और ड्रोन हमले करने की असफल कोशिश की थी। भारतीय वायु रक्षा प्रणालियों – S-400, आकाश, और एकीकृत काउंटर-यूएएस ग्रिड – ने इन सभी हमलों को विफल कर दिया।
पाकिस्तान में हाई अलर्ट, आपात बैठकें
भारतीय हमलों के बाद पाकिस्तान में राष्ट्रीय आपात स्थिति जैसी स्थिति बन गई। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सुरक्षा मामलों की आपात बैठक बुलाई। पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने भारत द्वारा 12 ड्रोन हमले की पुष्टि की और कहा कि इनमें से कुछ को निष्क्रिय कर दिया गया।
सेनाओं के प्रमुखों की दिल्ली में बैठक
भारत की ओर से इस बड़े सैन्य अभियान के बाद तीनों सेनाओं के प्रमुखों और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) की आपात बैठक हुई, जिसमें आगामी रणनीतियों और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया पर चर्चा की गई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने स्थिति की निगरानी की।
भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि यह कार्रवाई आतंकी ठिकानों और सैन्य अतिक्रमण के खिलाफ थी, न कि आम जनता के विरुद्ध। दूसरी ओर पाकिस्तान इसे युद्ध की ओर बढ़ता कदम बता रहा है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया अभी तक भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को स्वीकार कर रही है।