
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को यहां एशिया सोसायटी और एशिया सोसायटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट की तरफ से आयोजित ‘भारत, एशिया और विश्व’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मुझे लगता है कि भारत-चीन संबंध एशिया के भविष्य के लिए अहम हैं। एक तरह से आप कह सकते हैं कि अगर दुनिया को बहुध्रुवीय बनाना है, तो एशिया को बहुध्रुवीय होना होगा और इसलिए यह रिश्ता ना केवल एशिया के भविष्य पर, बल्कि संभवत: दुनिया के भविष्य पर भी असर डालेगा।’’ उन्होंने कहा कि अभी दोनों देशों के बीच रिश्ते ‘बहुत तनावपूर्ण’ हैं।
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत का चीन के साथ कठिन इतिहास रहा है। चीन पर एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा आपके पास दो ऐसे देश हैं जो पड़ोसी हैं, इस मायने में अलग हैं कि वो एक अरब से अधिक लोगों वाले दो देश हैं, दोनों वैश्विक क्रम में आगे बढ़ रहे हैं और अक्सर उनकी सीमाएं ओवरलैप होती हैं, जिसमें यह तथ्य भी शामिल है कि उनकी सीमा एक समान है। इसलिए यह वास्तव में एक बहुत ही जटिल मुद्दा है। मुझे लगता है कि अगर आप आज वैश्विक राजनीति को देखें, तो भारत और चीन का समानांतर उदय एक बहुत ही अनोखी समस्या पेश करता है।