
उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (यूसीसी) समिति की रिपोर्ट अब सार्वजनिक कर दी गई है। यूसीसी नियमावली तथा क्रियान्वयन समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह ने शुक्रवार को कहा कि समिति यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है कि लिव-इन में रह रहे द्वारा उपलब्ध करायी जाने वाली जानकारी पूरी तरह से गोपनीय रहे लेकिन उसका मानना है कि 18-21 साल के सहजीवन युगलों की जानकारी उनके माता-पिता को दी जानी चाहिए। इस वर्ष फरवरी में पारित हुए यूसीसी अधिनियम में विवाह और लिव इन संबंधों के पंजीकरण को अनिवार्य किया गया है। इस वर्ष फरवरी में बुलाए गए उत्तराखंड विधानसभा के एक विशेष सत्र में दो दिनों तक चली लंबी चर्चा के बाद यूसीसी विधेयक पारित हुआ था। राज्य के राज्यपाल के बाद मार्च में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी उसे मंजूरी दे दी थी। आजाद भारत के इतिहास में ऐसा कानून बनाने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है। इस अधिनियम में राज्य में रहने वाले सभी धर्म-समुदायों के नागरिकों के लिए विवाह, संपत्ति, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक समान कानून का प्रावधान है।
यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश की अध्यक्षता में गठित विशेषज्ञ समिति की चार खंडों में रिपोर्ट को शुक्रवार को वेबसाइट ‘डब्लूडब्लूडब्लू डॉट यूसीसी डॉट यूके डॉट जीओवी डॉट इन’ पर ‘अपलोड’ कर दिया गया ताकि लोग इसे देख सकें।
लगातार दूसरी बार विधानसभा चुनाव जीतकर सत्ता में आयी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने 27 मई 2022 को इस पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। इस समिति ने लोगों से सीधे तथा अन्य माध्यमों से 43 संवाद कार्यक्रमों के जरिए 2.33 लाख लोगों के सुझाव लिए और इस वर्ष दो फरवरी को अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी । यह पूछे जाने पर कि लिव इन संबंधों में रह रहे 18 से 21 साल उम्र के युगल के माता-पिता को अनिवार्य रूप से सूचित किया जाना क्या उनकी निजता पर हमला नहीं है, सिंह ने कहा कि यह बहस का विषय है। उन्होंने कहा, ‘‘लिव इन संबंध में रहने वाले 21 साल से अधिक उम्र के युगलों का डेटा पूरी तरह से संरक्षित रहेगा। लेकिन 18 से 21 साल की उम्र के बीच के युगलों के लिए समिति का मानना है कि यह उम्र नाजुक है और युगलों की सुरक्षा के लिए उनके माता-पिता को भी विश्वास में रखा जाना चाहिए ।’’