देशफीचर्ड

संसद के शीतकालीन सत्र में आज ‘VB-G RAM G’ बिल पर निर्णायक बहस शुरू, विपक्ष का विरोध

ग्रामीण रोजगार गारंटी पर सरकार का नया दांव, मनरेगा की जगह लाए जाने वाले बिल पर विपक्ष हमलावर

नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र का आज 13वां दिन बेहद अहम माना जा रहा है। सत्र के अंतिम चरण में प्रवेश करते ही सरकार और विपक्ष के बीच राजनीतिक टकराव अपने चरम पर पहुंच गया है। आज की संसदीय कार्यवाही का केंद्रबिंदु ‘विकसित भारत–गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)’, यानी VB-G RAM G बिल, 2025 रहने वाला है। यह बिल ग्रामीण भारत में रोजगार, आजीविका सुरक्षा और विकास की दिशा को नए सिरे से परिभाषित करने वाला माना जा रहा है।

सूत्रों के मुताबिक, इस विधेयक पर आज शाम 6 बजे से संसद में विशेष चर्चा शुरू होगी। सरकार ने इस बिल के लिए लंबा समय निर्धारित किया है और अनुमान है कि करीब छह घंटे तक गहन बहस चलेगी। इस दौरान सत्तापक्ष जहां इसे ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य की ओर एक ऐतिहासिक कदम बताएगा, वहीं विपक्ष इसके सामाजिक, आर्थिक और संवैधानिक पहलुओं पर सवाल खड़े करेगा।

सत्र के अंतिम चरण में तेज हुई सियासत

शीतकालीन सत्र जैसे-जैसे अपने अंतिम दिनों की ओर बढ़ रहा है, संसद के भीतर राजनीतिक माहौल लगातार गर्म होता जा रहा है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार जल्दबाजी में एक बड़े सामाजिक कानून को बदलने जा रही है, जबकि सरकार का दावा है कि यह बिल ग्रामीण भारत को नई ताकत देगा।

VB-G RAM G बिल को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच पहले से ही तीखी बयानबाजी देखने को मिल रही है। विपक्षी दल इसे मनरेगा को कमजोर करने की कोशिश बता रहे हैं, जबकि सरकार इसे मनरेगा से आगे बढ़कर अधिक प्रभावी और परिणामोन्मुखी व्यवस्था करार दे रही है।

कांग्रेस ने जारी किया सख्त व्हिप

बिल की अहमियत को देखते हुए कांग्रेस ने अपने सभी लोकसभा सांसदों को 19 दिसंबर तक सदन में मौजूद रहने का व्हिप जारी किया है। पार्टी ने साफ कर दिया है कि मतदान के दौरान अनुपस्थित रहने वाले सांसदों के खिलाफ दल-बदल कानून के तहत कार्रवाई की जा सकती है।

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी इस बिल पर पूरी मजबूती से अपनी बात रखना चाहती है और किसी भी स्थिति में संख्या बल को कमजोर नहीं होने देना चाहती। अन्य विपक्षी दलों ने भी अपने सांसदों को सदन में मौजूद रहने के निर्देश दिए हैं, जिससे यह साफ है कि आज का दिन संसद के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।

क्या है ‘VB-G RAM G’ बिल?

केंद्र सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) को समाप्त कर उसकी जगह एक नया कानून लाने की तैयारी में है। इसी के तहत ‘विकसित भारत–गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)’, यानी VB-G RAM G बिल को संसद में पेश किया गया है।

सरकार का कहना है कि यह बिल केवल रोजगार गारंटी तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि ग्रामीण आजीविका, कौशल विकास और बुनियादी ढांचे के निर्माण को एकीकृत रूप से आगे बढ़ाएगा। इस कानून को ‘विकसित भारत 2047’ के राष्ट्रीय विजन से जोड़कर देखा जा रहा है।

मनरेगा से कैसे अलग है नया बिल?

VB-G RAM G बिल में मनरेगा की तुलना में कई अहम बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं—

  • काम के दिनों की संख्या 100 से बढ़ाकर 125 दिन करने का प्रावधान
  • श्रमिकों को साप्ताहिक वेतन भुगतान की व्यवस्था
  • ग्रामीण क्षेत्रों में नए इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण पर विशेष जोर
  • रोजगार के साथ-साथ आजीविका सुरक्षा और कौशल उन्नयन पर फोकस

सरकार का दावा है कि इन बदलावों से ग्रामीण मजदूरों को न केवल अधिक काम मिलेगा, बल्कि समय पर भुगतान और स्थायी आजीविका के अवसर भी उपलब्ध होंगे।

सरकार का पक्ष: ‘विकसित भारत’ की नींव

सरकार का कहना है कि मनरेगा अपने समय में एक प्रभावी योजना रही, लेकिन बदलते समय और जरूरतों के अनुसार इसमें सुधार जरूरी हो गया था। VB-G RAM G बिल को ग्रामीण भारत के लिए नई पीढ़ी का रोजगार कानून बताया जा रहा है।

सरकारी सूत्रों के मुताबिक, इस बिल का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में केवल अस्थायी रोजगार देना नहीं, बल्कि स्थायी आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है। इससे गांवों में पलायन रुकेगा और स्थानीय स्तर पर विकास को गति मिलेगी।

विपक्ष की चिंता: क्या कमजोर होगा सामाजिक सुरक्षा ढांचा?

विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार मनरेगा जैसी मजबूत और कानूनी रूप से सुरक्षित योजना को खत्म कर एक नई व्यवस्था लाना चाहती है, जिसके दीर्घकालिक प्रभावों पर पर्याप्त चर्चा नहीं हुई है। विपक्ष का कहना है कि मनरेगा ग्रामीण गरीबों के लिए एक सुरक्षा कवच रहा है और इसे खत्म करना जोखिम भरा कदम हो सकता है।

कांग्रेस और अन्य दलों ने यह भी सवाल उठाया है कि क्या नए बिल में मनरेगा जैसी कानूनी गारंटी और जवाबदेही बनी रहेगी या नहीं।

आज की बहस क्यों है अहम?

VB-G RAM G बिल पर आज होने वाली बहस सिर्फ एक विधेयक तक सीमित नहीं है। यह बहस तय करेगी कि आने वाले दशकों में ग्रामीण रोजगार नीति की दिशा क्या होगी। यही वजह है कि सरकार और विपक्ष दोनों इस बिल को लेकर पूरी ताकत झोंकने के मूड में हैं।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह चर्चा शीतकालीन सत्र की सबसे लंबी और तीखी बहसों में से एक हो सकती है। इसके नतीजे न केवल संसद के भीतर, बल्कि देश की राजनीति और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी दूरगामी असर डाल सकते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button