
बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख मायावती के अनुशासन और समयबद्धता के लिए वे जानी जाती हैं। वे न वक्त से पहले पहुंचती हैं और न ही देरी से। लेकिन इस बार उनकी बैठक में कुछ बदला-बदला नजर आया।
बीएसपी मुख्यालय में मायावती की निर्धारित कुर्सी अपनी जगह पर थी, लेकिन उनके बगल की सीटें, जो आमतौर पर खास नेताओं और उनके भतीजे आकाश आनंद के लिए रखी जाती थीं, इस बार खाली पड़ी थीं।
इस बार साथ नहीं दिखे आकाश आनंद
मायावती जब मुस्कुराते हुए पार्टी दफ्तर पहुंचीं तो आमतौर पर उनके साथ मौजूद रहने वाले आकाश आनंद नदारद थे। कुछ समय पहले तक आकाश को पार्टी का भावी चेहरा माना जा रहा था, लेकिन हाल की घटनाओं ने समीकरण बदल दिए हैं। भले ही उनकी बीएसपी में वापसी हो चुकी हो, पर बैठक में उनकी कोई चर्चा नहीं हुई।
माफी मांग चुके हैं आकाश, फिर भी जिम्मेदारी से दूर
आकाश आनंद ने सार्वजनिक तौर पर अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना की है और अपने ससुर से सारे संबंध तोड़ने का भी ऐलान किया है। गौरतलब है कि उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ, जो बीएसपी के पूर्व राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं, को पहले ही पार्टी से निकाला जा चुका है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, मायावती और आकाश के बीच दूरियों की एक बड़ी वजह अशोक सिद्धार्थ ही हैं।
मायावती की रणनीति में नहीं है जल्दबाज़ी
सूत्रों के मुताबिक, आकाश की छोटे भाई की शादी के चलते मायावती ने नरमी दिखाई है, लेकिन उन्हें फिलहाल कोई बड़ी भूमिका देने का इरादा नहीं है। मायावती को लगता है कि आकाश में अभी राजनीतिक परिपक्वता की कमी है और उनके काम करने का तरीका बीएसपी की शैली से मेल नहीं खाता।
संगठन को बूथ स्तर पर मजबूत करने की हिदायत
बैठक में मायावती ने कार्यकर्ताओं से कहा कि 2027 विधानसभा चुनाव के लिए अभी से तैयारियों में जुट जाएं। उन्होंने संगठन को जमीनी स्तर तक मजबूत करने पर ज़ोर दिया और कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे हर समय जनता के बीच रहें, केवल चुनाव के वक्त ही नहीं।
इस बैठक में मायावती का स्पष्ट संदेश था—पार्टी में अनुशासन और निष्ठा सर्वोपरि है, और जिम्मेदारियों के लिए अनुभव और स्थिरता जरूरी हैं। आकाश को अभी और इंतज़ार करना पड़ सकता है।