
देहरादून, 12 अगस्त 2025 (सू. ब्यूरो) – उत्तराखंड में जल संरक्षण, सिंचाई और पेयजल आपूर्ति को मजबूत बनाने के लिए अगले पांच वर्षों का व्यापक प्लान तैयार किया जाएगा। मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने मंगलवार को सचिवालय में सिंचाई, लघु सिंचाई और जलश्रोत एवं नदी पुनर्जीवीकरण प्राधिकरण के साथ समीक्षा बैठक में यह निर्देश दिए।
बैठक में प्रदेशभर में बैराज, चैकडैम और जलाशयों के निर्माण व संतृप्तिकरण की प्रगति पर चर्चा हुई। मुख्य सचिव ने कहा कि प्रत्येक परियोजना की टाइमलाइन तय कर कार्ययोजना प्रस्तुत की जाए और पेयजल की कमी वाले क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाए।
मुख्य सचिव के निर्देश
- नदियों में बैराज बनाकर प्रदेशभर को संतृप्त किया जाए।
- चैकडैम निर्माण में जलश्रोत एवं नदी पुनर्जीवीकरण प्राधिकरण की गाइडलाइंस का अनिवार्य पालन।
- जलग्रहण क्षेत्रों और जल स्रोतों के उपचार पर विशेष ध्यान।
- चैकडैम के जरिए भूजल स्तर सुधार और मानसून में बाढ़/आपदा की रोकथाम।
- बैराज व चैकडैम की प्राथमिकता सूची तैयार करना।
- शहरी क्षेत्रों में भूजल पुनर्भरण के लिए लगातार कार्य।
- पर्यावरण अनुकूल तकनीक (जैव-अनुकूल) को अपनाना।
विशेष जलाशय परियोजनाओं पर जोर
मुख्य सचिव ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जलाशय के निर्माण में तेजी लाने के लिए सचिव सिंचाई को साप्ताहिक समीक्षा करने के निर्देश दिए।
इसके अलावा उन्होंने –
- जनपद पौड़ी का सतपुली बैराज जल्द पूरा करने
- जनपद नैनीताल के खैराना बैराज का निर्माण कार्य शीघ्र शुरू करने के निर्देश दिए।
भूजल और आपदा प्रबंधन में भूमिका
मुख्य सचिव ने कहा कि चैकडैम न केवल भूजल पुनर्भरण में सहायक हैं, बल्कि मानसून सीजन में धराली जैसी आपदाओं को रोकने में भी मददगार हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि जल संरचनाओं की योजना में सिंचाई और पेयजल योजनाओं को समान रूप से प्राथमिकता दी जाए।
बैठक में प्रस्तुतीकरण
बैठक के दौरान सिंचाई, लघु सिंचाई और जलश्रोत एवं नदी पुनर्जीवीकरण प्राधिकरण के अधिकारियों ने चालू और प्रस्तावित परियोजनाओं का विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया। इसमें विभिन्न जनपदों में हो रहे बैराज, चैकडैम और जलाशय निर्माण कार्यों की स्थिति पर जानकारी दी गई।
इस अवसर पर सचिव दिलीप जावलकर, सचिव युगल किशोर पंत, अपर सचिव हिमांशु खुराना, और सिंचाई व लघु सिंचाई विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।



