
गुवाहाटी: असम में शुक्रवार देर रात एक बड़ा रेल हादसा सामने आया, जब ट्रेन संख्या 20507 डीएन सैरांग–नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस हाथियों के एक झुंड से टकरा गई। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि ट्रेन का इंजन और पांच डिब्बे पटरी से उतर गए। हालांकि, राहत की बात यह रही कि इस दुर्घटना में किसी भी यात्री को चोट नहीं आई।
हादसा असम के ऊपरी क्षेत्र में उस समय हुआ, जब राजधानी एक्सप्रेस तेज रफ्तार से गुजर रही थी। स्थानीय प्रशासन और रेलवे अधिकारियों के अनुसार, दुर्घटनास्थल गुवाहाटी से करीब 126 किलोमीटर दूर स्थित है।
हाथियों के झुंड से सीधी टक्कर
स्थानीय लोगों और वन विभाग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, पटरी पर करीब आठ हाथियों का झुंड मौजूद था। ट्रेन के अचानक पहुंचने से चालक को ब्रेक लगाने का पर्याप्त समय नहीं मिला और ट्रेन सीधे झुंड से टकरा गई। इस हादसे में झुंड के अधिकांश हाथियों की मौत होने की सूचना है, जिससे इलाके में शोक और आक्रोश का माहौल है।
वन विभाग की टीम भी मौके पर पहुंच रही है और मृत हाथियों की संख्या की आधिकारिक पुष्टि की जा रही है।
पटरी से उतरे डिब्बे, लेकिन बड़ा नुकसान टला
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि दुर्घटना के बाद ट्रेन का इंजन और पांच डिब्बे पटरी से उतर गए, जिससे रेल यातायात पूरी तरह बाधित हो गया। हालांकि, राजधानी एक्सप्रेस के यात्री डिब्बे सुरक्षित रहे और किसी भी यात्री को शारीरिक नुकसान नहीं हुआ।
रेलवे प्रशासन ने तुरंत यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला और उन्हें वैकल्पिक व्यवस्था के तहत सुरक्षित स्थानों पर भेजने की प्रक्रिया शुरू की।
रेस्क्यू ट्रेन रवाना, मरम्मत कार्य शुरू
घटना की जानकारी मिलते ही रेस्क्यू ट्रेन, रेलवे अधिकारी और तकनीकी टीमें मौके के लिए रवाना कर दी गईं। रेलवे का कहना है कि प्राथमिकता पटरी को जल्द से जल्द दुरुस्त करने और फंसे यात्रियों को उनके गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचाने की है।
रेलवे इंजीनियरों की टीम दुर्घटनास्थल पर क्षतिग्रस्त पटरियों और डिब्बों की जांच कर रही है। साथ ही यह भी आकलन किया जा रहा है कि ट्रैक को पूरी तरह बहाल करने में कितना समय लगेगा।
रेल सेवाएं अस्थायी रूप से ठप
सूत्रों के अनुसार, पटरी से ट्रेन के उतरने और पटरियों पर हाथियों के शव मौजूद होने के कारण ऊपरी असम और पूर्वोत्तर के अन्य हिस्सों के लिए रेल सेवाएं फिलहाल बंद कर दी गई हैं। कई ट्रेनों को रद्द किया गया है, जबकि कुछ को वैकल्पिक मार्गों से चलाने पर विचार किया जा रहा है।
रेलवे ने यात्रियों से अपील की है कि वे यात्रा से पहले अपनी ट्रेन की स्थिति की जानकारी जरूर लें।
मानव–वन्यजीव संघर्ष पर फिर उठे सवाल
यह हादसा एक बार फिर मानव और वन्यजीव संघर्ष के गंभीर मुद्दे को उजागर करता है। असम और पूर्वोत्तर के कई हिस्सों में रेलवे लाइनें जंगल और हाथी गलियारों (Elephant Corridors) से होकर गुजरती हैं। ऐसे क्षेत्रों में पहले भी ट्रेन और हाथियों की टक्कर की घटनाएं सामने आती रही हैं।
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि तेज रफ्तार ट्रेनों, अपर्याप्त चेतावनी प्रणाली और हाथियों के पारंपरिक मार्गों में हस्तक्षेप के कारण इस तरह की घटनाएं बढ़ रही हैं।
रेलवे और वन विभाग की भूमिका पर नजर
इस दुर्घटना के बाद रेलवे और वन विभाग की समन्वय व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहे हैं। विशेषज्ञों का सुझाव है कि संवेदनशील क्षेत्रों में—
- ट्रेनों की गति सीमित की जाए
- थर्मल कैमरे और सेंसर लगाए जाएं
- ड्राइवरों को पहले से अलर्ट देने की प्रणाली विकसित की जाए
ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
जांच के आदेश
रेलवे प्रशासन ने हादसे की उच्चस्तरीय जांच के संकेत दिए हैं। जांच में यह देखा जाएगा कि क्या ट्रेन निर्धारित गति सीमा में थी और क्या संवेदनशील वन्यजीव क्षेत्र में आवश्यक सावधानियां बरती गई थीं।
निष्कर्ष
असम में राजधानी एक्सप्रेस का यह हादसा भले ही यात्रियों के लिए बड़ा नुकसान टलने के रूप में सामने आया हो, लेकिन वन्यजीव संरक्षण और रेलवे सुरक्षा के मोर्चे पर गंभीर सवाल खड़े करता है। हाथियों की मौत ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन कितना जरूरी है।
फिलहाल रेलवे की प्राथमिकता यातायात बहाल करने और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर है, जबकि वन विभाग मृत हाथियों के मामले में आगे की कार्रवाई में जुटा हुआ है।



